जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ने बुधवार को औपचारिक रूप से अपना विरोध प्रदर्शन रोक दिया और इसके लिए आधी रात में अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई को जिम्मेदार ठहराया, जिसमें कम से कम चार लोगों की मौत हो गई. 50 से अधिक घायल हो गए.
इससे पहले खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने दावा किया था कि सुरक्षाकर्मियों के साथ हुईं हिंसक झड़पों में ‘‘सैकड़ों'' लोगों की मौत हुई है. इस्लामाबाद तक मार्च का नेतृत्व करने वाली खान की पत्नी बुशरा बीबी और खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर के बारे में चिंताओं के बीच पार्टी ने कहा कि वे दोनों खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के ऐबटाबाद के पास मनसेहरा शहर में हैं.
प्रशासन ने सड़कें फिर से खोलनी शुरू कर दीं और उन स्थानों की सफाई शुरू कर दी है, जहां पीटीआई के तीन दिन के विरोध प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ हुई थी. आधी रात को हुई कार्रवाई के बाद खान के समर्थकों को राजधानी इस्लामाबाद के डी-चौक और उसके आसपास के इलाकों को खाली करके जाना पड़ा.
पीटीआई ने इस कार्रवाई को ‘‘फासीवादी सैन्य शासन'' के तहत ‘‘नरसंहार'' करार दिया जबकि पुलिस सूत्रों ने कहा कि कार्रवाई के दौरान करीब 450 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया. खान की पार्टी ने अपने आधिकारिक ‘एक्स' हैंडल पर एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘‘सरकार की क्रूरता और राजधानी को निहत्थे लोगों के लिए बूचड़खाने में तब्दील करने की सरकार की योजना को देखते हुए (हम) कुछ समय के लिए शांतिपूर्ण विरोध निलंबित करने की घोषणा करते हैं.''
पीटीआई ने कहा कि खान के निर्देशों के आधार पर अगली योजनाओं की घोषणा की जाएगी. इससे पहले पार्टी की राजनीतिक एवं कोर समितियों ने ‘सरकार द्वारा की गयी क्रूरता का विश्लेषण' पेश किया. पार्टी के बयान में भी ‘‘अभियान के नाम पर शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों की कथित हत्या और उन पर आतंक एवं क्रूरता'' की निंदा की गई.
पीटीआई ने प्रधान न्यायाधीश से ‘शहीद (पार्टी) कार्यकर्ताओं की कथित नृशंस हत्या' का स्वत: संज्ञान लेने तथा प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और इस्लामाबाद एवं पंजाब के पुलिस प्रमुखों के खिलाफ ‘हत्या के प्रयास' को लेकर कानूनी कार्रवाई का आदेश देने की अपील की. इस बीच, बाद में गंडापुर ने मनसेहरा में मीडिया से कहा कि विरोध अब भी जारी है और यह तब तक जारी रहेगा जब तक पार्टी संस्थापक खान इसे वापस नहीं ले लेते.
उन्होंने कहा, ‘‘धरना जारी है. चूंकि विरोध को खत्म करना केवल इमरान खान के हाथ में है. धरना एक आंदोलन है. इसलिए यह जारी रहेगा. यह तब तक जारी रहेगा जब तक खान इसे वापस नहीं ले लेते.''
इससे पहले मंगलवार शाम पीटीआई समर्थकों की अधिकारियों से झड़प हुई जिसके बाद वे रविवार को शुरू हुए इस्लामाबाद मार्च के तहत डी-चौक पर धरना देने में सफल रहे. सोमवार आधी रात से पुलिस के साथ पीटीआई समर्थकों की झड़पों में छह सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए.
गंडापुर और बुशरा बीबी ने घोषणा की थी कि प्रदर्शनकारी तब तक नहीं हटेंगे जब तक खान को जेल से रिहा नहीं किया जाता. हालांकि, सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें क्षेत्र से हटाने के अपने प्रयास जारी रखे. खान ने प्रदर्शन का आह्वान किया था. डी-चौक के आसपास राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय, संसद और उच्चतम न्यायालय स्थित हैं.
बुधवार तड़के पुलिस और रेंजर्स ने ब्लू एरिया व्यापार क्षेत्र को खाली करने के लिए एक अभियान चलाया. फलस्वरूप प्रदर्शनकारियों को बीबी और गंडापुर के साथ जाना पड़ा. पिछले वर्ष अगस्त से जेल में बंद 72 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री ने 24 नवंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के लिए अंतिम आह्वान किया था. यह आह्वान उन्होंने 13 नवंबर को किया था.
खान ने कथित तौर पर जनादेश की चोरी, लोगों की अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी और संविधान के 26वें संशोधन के पारित होने की निंदा की थी. संविधान के 26वें संशोधन पर उन्होंने कहा था कि इसने ‘‘तानाशाही शासन'' को मजबूत किया है. सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प में कम से कम चार लोग मारे गए.
‘जियो न्यूज' की रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामाबाद के पॉलीक्लिनिक अस्पताल में दो शव और गोली लगने से घायल हुए 26 लोग हैं, जबकि पाकिस्तान इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ने दो लोगों के मारे जाने और 28 के घायल होने की सूचना दी है. पीटीआई ने रात की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सरकार पर हिंसा का इस्तेमाल करने और उसके सैकड़ों कार्यकर्ताओं की हत्या के प्रयास का आरोप लगाया.
पीटीआई ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, “शहबाज-जरदारी-आसिम गठबंधन के नेतृत्व वाले क्रूर, फासीवादी सैन्य शासन में सुरक्षाबलों के हाथों पाकिस्तान में नरसंहार का प्रयास किया गया। देश में खून-खराबा हो रहा है.”
पार्टी ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन का जिक्र करते हुए यह टिप्पणी की. गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने मौतों के दावों को विरोध प्रदर्शन की विफलता को छिपाने के प्रयास के रूप में खारिज कर दिया.
उन्होंने कहा, ‘‘ये लोग शवों की तलाश कर रहे हैं, यहां तक कि अस्पतालों का भी दौरा कर रहे हैं, लेकिन वहां कोई शव नहीं है.''
सूचना मंत्री अत्ता तरार ने अलग से कहा कि गंडापुर और अन्य नेता भाग गए क्योंकि उनका विरोध प्रदर्शन विफल हो गया था. उन्होंने कहा, ‘‘अपनी शर्मिंदगी को छिपाने के लिए जगह नहीं है, वह कह रहे हैं कि लोग मारे गए जबकि अभी तक कोई सबूत नहीं है.''
उन्होंने कहा कि जो लोग घायल हुए हैं उन्हें प्रदर्शनकारियों की गोलियां लगी हैं. पुलिस महानिरीक्षक अली नासिर रिजवी ने कहा कि प्रदर्शनकारी हथियारबंद थे और उन्हें तोड़फोड़ में प्रशिक्षित अफगान नागरिकों का समर्थन प्राप्त था. उन्होंने कहा, ‘‘हमने 39 हथियार बरामद किए हैं.''
रिजवी ने यह भी घोषणा की कि 31 दिसंबर के बाद किसी भी अफ़गान नागरिक को अनापत्ति प्रमाण पत्र के बिना इस्लामाबाद में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों और उनके नेताओं के खिलाफ़ कानून उल्लंघन और हिंसा के लिए सात प्राथमिकी दर्ज की गई हैं.
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