पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सोमवार को कहा कि उनके पूर्ववर्ती इमरान खान ने मौजूदा सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को 2019 में आईएसआई के प्रमुख के पद से हटा दिया था क्योंकि खुफिया प्रमुख ने उनकी पत्नी से जुड़े भ्रष्टाचार के सबूत पेश किए थे. मुनीर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के प्रमुख थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री खान ने 2019 में मुनीर के स्थान पर लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद को आईएसआई प्रमुख बनाया था.
प्रधानमंत्री शरीफ ने सोमवार को नेशनल असेंबली को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मैं यह पूरी जिम्मेदारी के साथ कहता हूं कि मौजूदा सेना प्रमुख (मुनीर) जब डीजी (महानिदेशक) आईएसआई थे, तब उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री (खान) से कहा था कि उनकी पत्नी बुशरा बीबी भ्रष्टाचार में शामिल हैं. उन्होंने यह बात तथ्यों के आधार पर कही थी.''
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘लेकिन जाहिर तौर पर खान इस पर भड़क गए और उन्हें यह पसंद नहीं आया और बाकी इतिहास है.''
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के अध्यक्ष खान ने हाल में एक ट्वीट में ब्रिटेन के अखबार ‘‘द डेली टेलीग्राफ'' की एक खबर को खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि व्यक्तिगत मतभेदों के कारण मुनीर को खान द्वारा पद से हटाया गया था.
खबर में दावा किया गया कि खान ने नियुक्ति के आठ महीने बाद जून 2019 में मुनीर को हटा दिया, क्योंकि वह भ्रष्टाचार के लिए उनकी पत्नी और उनके करीब लोगों की जांच करना चाहते थे.
खान ने ट्वीट किया, ‘‘खबर में दावा किया गया है कि मैंने जनरल आसिम को डीजी आईएसआई के पद से इस्तीफा देने को मजबूर किया क्योंकि उन्होंने मेरी पत्नी बुशरा बेगम के भ्रष्टाचार के मामले उठाए थे. यह पूरी तरह झूठ है. न तो जनरल आसिम ने मुझे मेरी पत्नी के भ्रष्टाचार का कोई सबूत दिखाया और न ही मैंने इस वजह से उनसे इस्तीफा मांगा.''
नौ मई को, खान (70) को अर्धसैनिक बल पाकिस्तान रेंजर्स ने भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तार किया था, जब वह इस्लामाबाद उच्च न्यायालय परिसर में थे. इसके बाद देश भर में प्रदर्शन शुरू हो गए थे.
पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार, प्रदर्शनकारियों ने रावलपिंडी में सेना मुख्यालय पर धावा बोल दिया और लाहौर में एक कोर कमांडर के घर में आग लगा दी. पुलिस ने हिंसक झड़पों में मरने वालों की संख्या 10 बताई, जबकि खान की पार्टी ने दावा किया कि सुरक्षाकर्मियों की गोलीबारी में उसके 40 कार्यकर्ताओं की मौत हो गई.
पाकिस्तान की संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली ने सोमवार को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें सैन्य और सत्ता प्रतिष्ठानों पर नौ मई को हमलों में शामिल उपद्रवियों पर सेना अधिनियम और आतंकवाद रोधी अधिनियम सहित मौजूदा कानूनों के तहत मुकदमा चलाने का संकल्प लिया गया.
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