चीन ने 21 देशों में खोले 'अवैध पुलिस स्टेशन', विकसित देशों को भी बनाया ठिकाना : रिपोर्ट

एक खोजी पत्रिका ने स्थानीय मीडिया के हवाले से यह रिपोर्ट किया है कि चीन (China) के विरोधियों से निपटने के लिए इन अवैध पुलिस स्टेशनों का प्रयोग किया जाता है.

चीन ने 21 देशों में खोले 'अवैध पुलिस स्टेशन', विकसित देशों को भी बनाया ठिकाना : रिपोर्ट

यूक्रेन, फ्रांस, स्पेन, जर्मनी और ब्रिटेन में भी खुले चीन के अवैध पुलिस स्टेशन : रिपोर्ट ( प्रतीकात्मक तस्वीर)

चीन (China) दुनिया की सुपरपावर बनना चाहता है. इसी प्रयास में, चीनी सरकार दुनिया के अलग-अलग इलाकों में अपनी मौजूदगी मज़बूत करना चाहती है और अपनी सुरक्षा एजेंसियों के हाथ मज़बूत करना चाहती है. एक खोजी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ने कनाडा (Canada) , आयरलैंड जैसे दुनिया के कई देशों में अवैध पुलिस स्टेशन खोल दिए हैं. चीन के इस कदम से मानवाधिकार कार्यकर्ता चिंतित हैं.  यह अनौपचारिक पुलिस सर्विस स्टेशन कनाडा में पब्लिक सिक्योरिटी ब्यूरो के साथ एफिलिएटेड हैं. इन केंद्रों का प्रयोग चीन के विरोधियों से निपटने के लिए किया जाता है. एक खोजी पत्रिका रिपोर्टिका ने स्थानीय मीडिया के हवाले से यह रिपोर्ट किया है.  स्थानीय मीडिया के रिपोर्ट के अनुसार, फुज़ोऊ ( Fuzhou ) ने कनाडा के पब्लिक सिक्योरिटी ब्लूरो के साथ मिलकर पूरे कनाडा में अनौपचारिक पुलिस स्टेशन बना लिए हैं. कम से कम तीन ऐसे स्टेशन ग्रेटर टोरंटो इलाके में ही हैं.    

दावा किया गया है कि इसके अलावा, चीनी सरकार इन अवैध पुलिस स्टेशनों के ज़रिए कुछ देशों में चुनावों पर भी प्रभाव डालने की कोशिश कर रही है. द फुझोऊ पुलिस (Fuzhou police) का कहना है कि उसने 21 देशों में 30 ऐसे स्टेशन खोले हैं. इसके साथ ही यूक्रेन, फ्रांस, स्पेन, जर्मनी और ब्रिटेन में भी चीनी पुलिस स्टेशनों के लिए ऐसे अरेंजमेंट किए गए हैं. इन देशों में से अधिकतर के नेता सार्वजनिक मंच पर  चीन के बढ़ने के बारे में सवाल उठाते हैं और मानवाधिकारों को लेकर चीन की आलोचना करते हैं.  

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी पर आरोप लगाया है कि वो सुरक्षा के नाम पर देश भर में मानवाधिकार उल्लंघन करते हैं, इनमें कैंपो में लोगों को कैद करना और जबरन परिवारों को अलग करना शामिल है.  

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वहीं चीन का कहना है कि ये जगहें "वोकेशनल स्किल ट्रेनिंग सेंटर" हैं और यह चरमपंथ से निपटने और आजीविका सुधारने के लिए ज़रूरी हैं.  
संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार के महासचिव मिशेल बैचलेट ने हाल ही में चीन और शिनजियांग की यात्रा की थी.