विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला (Harsh Vardhan Shringla) ने यहां बुधवार को कहा कि चीन (China) के साथ भारत (India) के संबंध ‘‘जटिल'' हैं और यदि सीमावर्ती इलाकों पर ‘‘अतिक्रमण'' होता है, तो दोनों देशों के बीच ‘‘सामान्य'' द्विपक्षीय संबंध नहीं हो सकते. श्रृंगला ने ‘डिप्लोमैटिक एकेडमी ऑफ रशियन मिनिस्ट्री ऑफ फॉरेन अफेयर्स' द्वारा आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि दोनों बड़े एशियाई देशों के बीच संबंध सीमा की सामान्य स्थिति पर निर्भर करते हैं.
मास्को की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर आए श्रृंगला ने कहा, ‘‘जैसा कि हमने चीन में हमारे मित्रों से कहा है, यदि सीमावर्ती इलाकों पर शांति नहीं है, तो हमारे बीच सामान्य द्विपक्षीय संबंध नहीं हो सकते. ये संबंध सीमा पर सामान्य हालात पर निश्चित ही निर्भर करते हैं.'' उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा नहीं हो सकता कि हमारे जवानों की जान जाए, सीमा पर अतिक्रमण की स्थिति हो और इसके बावजूद हमारे बीच सामान्य संबंध रहें.'
भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले साल मई से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध बना हुआ है. श्रृंगला ने कहा, ‘‘पिछले कुछ दिन में हमने सीमा से बलों को पीछे हटाने की प्रक्रिया शुरू की है.'' उन्होंने कहा कि चीन के साथ भारत के संबंध ‘‘जटिल'' हैं, लेकिन पिछले कुछ दशक में दोनों देशों के बीच संबंध में सुधार हुआ है. उन्होंने कहा कि 1980 के दशक में दोनों देशों ने फैसला किया था कि वे सीमा संबंधी मामलों पर मतभेदों को दूर रखेंगे और व्यापार और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जैसे अन्य क्षेत्रों में सहयोग करेंगे.
श्रृंगला ने कहा, ‘‘सीमा पर हमारे दृष्टिकोण समान नहीं है. इस मामले को विशेष दूत देखेंगे. इस बीच, हम व्यापार तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग विकसित करने पर काम करेंगे. पिछले कुछ साल में चीन के साथ व्यापार काफी बढ़ा है.'' उन्होंने कहा कि लेकिन, पिछले साल भारत की सीमा पर चीनी बलों की बड़ी संख्या में मौजूदगी और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अतिक्रमण की कई कोशिशों ने संबंधों पर असर डाला है.
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को अलग-थलग करने के अमेरिका के दृष्टिकोण के बारे में पूछे जाने पर श्रृंगला ने कहा, ‘‘हिंद-प्रशांत को लेकर हमारा नजरिया यह है कि यह एक मुक्त एवं समावेशी क्षेत्र है, जहां देश सहयोग बढ़ाने, कनेक्टिविटी में सुधार करने, नियम आधारित एक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के विचार को प्रोत्साहित करने के लिए काम करते हैं, जिसमें नौवहन की स्वतंत्रता दी जाए.''
उन्होंने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए रूस के साथ निकटता से काम करना चाहता है और हिंद-प्रशांत के जिक्र के बिना भारत एवं रूस के संबंधों पर हर चर्चा अधूरी है. श्रृंगला ने रूस के साथ असैन्य परमाणु ऊर्जा, रक्षा, तेल एवं गैस और व्यापार जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई.
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