इस्लामाबाद:
दुनिया के सर्वाधिक वांछित आतंकवादी ओसामा बिन-लादेन की पाकिस्तान में मौजूदगी के मामले की जांच कर रहे न्यायिक आयोग ने आज अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ को सौंपी, हालांकि आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है।
आधिकारिक बयान के अनुसार, उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जावेद इकबाल की अध्यक्षता वाले आयोग के सदस्यों ने प्रधानमंत्री निवास पर अशरफ से मुलाकात कर उन्हें रिपोर्ट सौंपी ।
बयान में बिना कोई विस्तृत जानकारी दिए कहा गया है, मुलाकात के दौरान न्यायमूर्ति जावेद इकबाल ने आयोग की रिपोर्ट की मुख्य विशेषताओं से प्रधानमंत्री को अवगत कराया। सरकार ने यह नहीं बताया कि आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाएगा या नहीं।
आयोग ने रिपोर्ट सौंपने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित समयसीमाओं का कई बार उल्लंघन किया। इस वजह से अटकलें लगाई जाने लगीं कि सुरक्षा एजेंसियां पाकिस्तान में ओसामा की मौजूदगी और दो मई 2011 में एबटाबाद में उसे मार गिराने वाले अमेरिकी अभियान के संबंध में सूचनाएं बाहर लाकर शर्मिंदगी को नहीं बढ़ाना चाहती हैं।
हालांकि बयान में यह कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने आयोग की रिपोर्ट को बनाने में अध्यक्ष और उनके दल द्वारा की गई मेहनत और कोशिशों की प्रशंसा की है।
सरकार ने पूर्व सैन्य अधिकारियों और राजनयिकों वाले इस आयोग से कुछ मामलों की जांच करने को कहा था जिनमें कैसे पाकिस्तान में ओसामा की मौजूदगी का पता नहीं लगा, 40 मिनट तक चले अमेरिकी अभियान की परिस्थितियों और सैन्य प्राधिकार द्वारा की गई लापरवाहियों के कारण आदि शामिल हैं। सरकार ने ओसामा को मार गिराने वाले अमेरिकी अभियान के तुरंत बाद ही इस आयोग का गठन किया था। ओसामा के खिलाफ इस अभियान ने देश की शक्तिशाली सेना के लिए शर्मिंदगी का माहौल बना दिया था। आयोग ने स्वयं सारी जांच की, पूर्व आईएसआई प्रमुख अहमद शुजा पाशा सहित गवाहों से जिरह की और एबटाबाद में स्थित ओसामा के घर का दौरा भी किया। इस घर को पिछले वर्ष गिरा दिया गया ।
मीडिया में आई खबरों में कहा गया है कि आयोग के कुछ सदस्यों ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का विरोध किया है।
आधिकारिक बयान के अनुसार, उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जावेद इकबाल की अध्यक्षता वाले आयोग के सदस्यों ने प्रधानमंत्री निवास पर अशरफ से मुलाकात कर उन्हें रिपोर्ट सौंपी ।
बयान में बिना कोई विस्तृत जानकारी दिए कहा गया है, मुलाकात के दौरान न्यायमूर्ति जावेद इकबाल ने आयोग की रिपोर्ट की मुख्य विशेषताओं से प्रधानमंत्री को अवगत कराया। सरकार ने यह नहीं बताया कि आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाएगा या नहीं।
आयोग ने रिपोर्ट सौंपने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित समयसीमाओं का कई बार उल्लंघन किया। इस वजह से अटकलें लगाई जाने लगीं कि सुरक्षा एजेंसियां पाकिस्तान में ओसामा की मौजूदगी और दो मई 2011 में एबटाबाद में उसे मार गिराने वाले अमेरिकी अभियान के संबंध में सूचनाएं बाहर लाकर शर्मिंदगी को नहीं बढ़ाना चाहती हैं।
हालांकि बयान में यह कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने आयोग की रिपोर्ट को बनाने में अध्यक्ष और उनके दल द्वारा की गई मेहनत और कोशिशों की प्रशंसा की है।
सरकार ने पूर्व सैन्य अधिकारियों और राजनयिकों वाले इस आयोग से कुछ मामलों की जांच करने को कहा था जिनमें कैसे पाकिस्तान में ओसामा की मौजूदगी का पता नहीं लगा, 40 मिनट तक चले अमेरिकी अभियान की परिस्थितियों और सैन्य प्राधिकार द्वारा की गई लापरवाहियों के कारण आदि शामिल हैं। सरकार ने ओसामा को मार गिराने वाले अमेरिकी अभियान के तुरंत बाद ही इस आयोग का गठन किया था। ओसामा के खिलाफ इस अभियान ने देश की शक्तिशाली सेना के लिए शर्मिंदगी का माहौल बना दिया था। आयोग ने स्वयं सारी जांच की, पूर्व आईएसआई प्रमुख अहमद शुजा पाशा सहित गवाहों से जिरह की और एबटाबाद में स्थित ओसामा के घर का दौरा भी किया। इस घर को पिछले वर्ष गिरा दिया गया ।
मीडिया में आई खबरों में कहा गया है कि आयोग के कुछ सदस्यों ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का विरोध किया है।
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