बांग्लादेश में शेख हसीना की सत्ता का जाना विपक्षी नेता खालिदा जिया (Bangladesh Former PM Khaleda Zia) के लिए किसी गोल्डन चांस से कम नहीं है. किसी ने सोचा भी नहीं था कि 17 साल की सजा काट रहीं खालिदा कुछ ही सालों में कैद से रिहा भी हो सकती हैं. लेकिन वाकई अब उनकी किस्मत चमकने जा रही है. चीन-पाकिस्तान समर्थक मानी जाने वाली खालिदा जिया जल्द ही रिहा होने जा रही हैं. शेख हसीना के पीएम पद से इस्तीफा देते ही उनकी रिहाई के आदेश दे दिए गए. अंतरिम सरकार में उनको अगर कुछ मिल गया, तो ये उनकी सियासत के लिए किसी यू-टर्न से कम नहीं होगा. वह कई मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद से कैद में थीं. खालिदा जिया ने कैसे बांग्लादेश की सत्ता में एंट्री की और किस तरह से धुर विरोधी शेख हसीना के रहते उनकी सियासत ने यू-टर्न लिया, जानिए.
खालिदा जिया की रिहाई के आदेश के बाद अटकलें लगाई जा रही हैं कि उन्हें या उनकी पार्टी से कुछ लोगों को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में शामिल किया जा सकता है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, खालिदा जिया के बेटे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यवाहक चेयरमैन तारिक रहमान को पीएम बनाया जा सकता है.
खालिदा कब से कब तक रहीं प्रधानमंत्री?
बेगम खालिदा जिया बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की अध्यक्ष हैं. यह पार्टी शेख हसीना की अवामी लीग की धुर विरोधी और मुख्य विपक्षी पार्टी है. खालिदा का झुकाव जमात-ए-इस्लामी की तरफ है. खालिदा के शासनकाल के दौरान, बांग्लादेश में कई हिंदू विरोधी और ईसाई विरोधी दंगे हुए. खालिदा जिया ने साल 1991 में बांग्लादेश की सत्ता संभाली थी.
- खालिदा जिया मार्च 1991 से 1996 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं.
- खालिदा उसके बाद जून 2001 से अक्टूबर 2006 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं.
- खालिदा बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री और मुस्लिम देश में बेनिजीर भुट्टो के बाद दूसरी महिला प्रधानमंत्री रहीं.
- खालिदा जिया ने 1982 में एक सैन्य तख्तापलट के बाद 1990 तक एक लोकतांत्रित आंदोलन के नेतृत्व में भी भागीदारी निभाई.
खालिदा जिया कैसे बनीं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री?
खालिदा बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान की पत्नी हैं. उनके पति जियाउर रहमान ने ही बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की स्थापना की थी. 30 मई 1981 को जियाउर रहमान की हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद 1984 में वह BNP की अध्यक्ष बनीं. साल 1982 में तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल हुसैन मुहम्मद इरशाद के नेतृत्व में एक सैन्य तख्तापलट के बाद खालिदा जिया ने लोकतंत्र के लिए आंदोलन का नेतृत्व करने में मदद की थी. साल 1991 के आम चुनाव में उनकी पार्टी BNP ने जीत हासिल की और खालिदा ने पीएम पद संभाला.
खालिदा जिया की सियासत ने कैसे लिया यू-टर्न?
खालिदा ने साल 1996 में अल्पकालिक सरकार में भी काम किया. 1996 के अगले आम चुनावों में शेख हसीना की अवामी लीग सत्ता में आई. लेकिन खालिदा की राजनीति ने एक बार फिर से यू टर्न लिया. उनकी पार्टी 2001 में फिर से सत्ता में आई. खालिदा ने 1991, 1996 और 2001 के आम चुनावों में पांच अलग-अलग संसदीय क्षेत्रों से जीत हासिल की. साल 2006 में उनकी सरकार का कार्यकाल खत्म हो गया. लेकिन जनवरी 2007 में राजनीतिक हिंसा की वजह से चुनाव नहीं हो सके. जिसकी वजह से कार्यवाहक सरकार पर सेना का कंट्रोल हो गया. इस दौरान ही खालिदा जिया और उनके 2 बेटों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे. भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक के मुताबिक, खालिदा जिया के कार्यकाल के दौरान (2001-2005) तक बांग्लादेश दुनिया का सबसे भ्रष्ट देश था.
क्यों और कब जेल गईं खालिदा जिया?
शेख हसीना की धुर विरोधी माने जाने वाली बेगम खालिदा जिया भ्रष्टाचार के एक मामले में 17 साल की सजा सुनाए जाने के बाद साल 2018 में जेल भेजी गई थीं. फिलहाल स्वास्थ्य कारणों से वह अस्पताल में भर्ती हैं. उनकी उम्र 78 साल है. उन्होंने पहली बार 1991 में बांग्लादेश की सत्ता बातौर प्रधानमंत्री संभाली थी. पति जियाउर रहमान की हत्या के बाद उन्होंने राजनीति में एंट्री की थी. मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनल पार्टी की चीफ खालिदा जिया शेख हसीना की कट्टर विरोधी मानी जाती हैं. शेख हसीना की अवामी लीग हमेशा ही बीएनपी पर कट्टरपंथी उग्रवादियों को समर्थन करने का आरोप लगाती रही है.
खालिदा जिया पर भ्रष्टाचार समेत 36 मामले
साल 2018 में खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के दो मामले में 17 साल जेल की सजा सुनाई गई थी. वह अनाथालय ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले और जिया चैरिटेबल ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में जेल में बंद हैं. उन पर प्रधानमंत्री के तौर पर शक्ति का दुरुपयोग करने का दोष साबित हुआ था. उन पर भ्रष्टाचार के 36 मामले दर्ज हैं. साल 2019 में स्वास्थ्य कारणों से अस्पताल में भर्ती कराया गया. साल 2020 में उनको मानवीय आधार पर रिहा कर दिया गया था. इस दौरान उनको घर में ही रहने की परमिशन थी. वह देश से बाहर नहीं जा सकती थीं. लेकिन बांग्लादेश में तख्तापलट और शेख हसीना के पद छोड़ते ही खालिदा अब रिहा होने जा रही हैं.
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