हिंदुजा परिवार (Hinduja family) को बड़ी राहत मिली है. स्विट्जरलैंड की एक अदालत ने 21 जून मानव तस्करी के आरोप में हिंदुजा परिवार के चार सदस्यों को सजा सुनाई थी. मगर एक दिन बाद ही ऊपरी अदालत ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया. यहां तक की शिकायतकर्ताओं ने शिकायत भी वापस ले ली और अदालत को बताया कि बगैर उनकी जानकारी के उनसे गलत हस्ताक्षर करवाकर यह मामला बनाया गया. ब्रिटेन के सबसे धनी परिवारों में शुमार हिंदुजा परिवार का नाता भारत से भी है.
क्या कहा शिकायतकर्ताओं ने?
हिंदुजा परिवार के स्पोक्सपर्सन ने बताया कि स्विस कानून प्रक्रियाओं के अनुसार ऊपरी अदालत के फैसले के बाद निचली अदालत का फैसला अप्रभावी और निष्क्रिय हो जाता है. हिंदुजा परिवार के चार सदस्यों के खिलाफ सबसे गंभीर आरोप मानव तस्करी को कल अदालत ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है. इस मामले में अब कोई शिकायतकर्ता नहीं बचा है और इन शिकायतकर्ताओं ने अदालत में बताया कि उनसे ऐसे बयानों पर हस्ताक्षर करवाए गए थे, जिन्हें वे समझ ही नहीं पाए थे. उनका ऐसी कार्यवाही करने का न तो इरादा था और न ही उन्होंने ऐसी कार्यवाही शुरू की थी. उन सभी ने आगे गवाही दी कि हिंदुजा परिवार के चार सदस्यों ने उनके साथ "सम्मान और परिवार की तरह" व्यवहार किया था. परिवार के चारों सदस्यों को स्विस न्यायिक प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है और उन्हें विश्वास है कि सच्चाई की जीत होगी.
क्या था मामला?
जिनेवा की लोअर कोर्ट ने प्रकाश हिंदुजा और उनकी पत्नी कमल हिंदुजा को क्रमश: चार साल और छह महीने की सजा दी थी. उनके बेटे अजय और उनकी पत्नी नम्रता को चार साल की सजा दी गई. इन चारों को भारत से ले लाए गए नौकरों का शोषण करने के आरोप में सजा दी गई है. आरोप यह भी था कि वे नौकरों को स्विट्जरलैंड ले जाने के बाद उनके पासपोर्ट जब्त कर लेते थे. मगर अब ऊपरी अदालत ने इन सभी आरोपों से चारों को बरी कर दिया है.
परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने रखी नींव
हिंदुजा परिवार एक कारोबारी घराना है. परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने सन 1914 में हिंदुजा ग्रुप की नींव रखी थी. बताया जाता है कि परमानंद दीपचंद हिंदुजा का भारत के बंटवारे से पहले सिंध के शिकारपुर में जन्म हुआ था. यह इलाका अब पाकिस्तान में है. सन 1914 में वे मुंबई चले गए थे. वे वहां व्यापार में पारंगत हो गए. इस ग्रुप ने सन 1919 में अपना पहला इंटरनेशनल आफिस ईरान में खोला था. वही सन 1979 तक इस समूह का हेडक्वार्टर था. हिंदुजा ग्रुप 1979 के बाद यूरोप चला गया. शुरुआती वर्षों में हिंदुजा ग्रुप मुख्य रूप से मर्चेंट बैंकिंग और ट्रेडिंग का व्यवसाय करता था. बाद में परमानंद दीपचंद हिंदुजा के तीन बेटों - श्रीचंद, गोपीचंद और प्रकाश ने कारोबार संभाल लिया और कंपनी का कई देशों में विस्तार कर लिया.
हिंदुजा ग्रुप 1979 में ईरान से ब्रिटेन पहुंचा
हिंदुजा परिवार ने 1979 में अपने ग्रुप का मुख्यालय लंदन में बनाया. इस परिवार का दावा है कि उनका ग्रुप तमाम देशों में कुल करीब 2,00,000 लोगों को रोजगार देता है. ग्रुप के मौजूदा चेयरमैन गोपीचंद ने मई 2023 में पदभार संभाला था. वे ब्रिटेन के सबसे अमीर व्यक्ति हैं. पिछले साल श्रीचंद हिंदुजा का निधन हो गया. उनके बाद उनके छोटे पुत्र गोपीचंद ने उनका कारोबार संभाल लिया.
हिंदुजा ग्रुप की कई कंपनियां
हिंदुजा ग्रुप की कई कंपनियां हैं. इनमें हिंदुजा हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड, अशोक लीलैंड, स्विच मोबिलिटी, पीडी हिंदुजा हॉस्पिटल, हिंदुजा बैंक, इंडसइंड बैंक, हिंदुजा लीलैंड फाइनेंस लिमिटेड, जीओसीएल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, गल्फ ऑइल इंटरनेशनल लिमिटेड, क्वेकर-हाउटन इंटरनेशनल लिमिटेड, हिंदुजा नेशनल पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड, हिंदुजा रिन्यूएबल्स एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड आदि शामिल हैं.
ब्रिटेन में बेशकीमती संपत्तियां
ब्रिटेन में हिंदुजा परिवार की बहुत कीमती संपत्तियां हैं. हिंदुजा ग्रुप का लंदन के व्हाइटहॉल में रैफ्फल्स नाम का होटल है. यह होटल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के सरकारी आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट के बहुत समीप है. ग्रुप के पास कार्लटन हाउस का भी एक हिस्सा है, जो कि बकिंघम पैलेस से भी काफ़ी पास है. इस भवन में कई आफिस, घर आदि हैं. अमीरों की दौलत का आकलन करने वाली फोर्ब्स की सूची के मुताबिक हिंदुजा परिवार की कुल दौलत 47 बिलियन डॉलर से अधिक है. इस परिवार के गोपी हिंदुजा ब्रिटेन के सबसे अमीर व्यक्ति हैं. दुनिया के सबसे धनवान लोगों की सूची में शामिल हिंदुजा परिवार ब्रिटेन का सबसे अमीर घराना है. फोर्ब्स के मुताबिक हिंदुजा परिवार सन 2022 में दुनिया का 146वां सबसे धनी परिवार था.
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