एनडीटीवी से बात की ढाका आतंकी हमले के पीड़ित ने
ढाका:
बांग्लादेश की राजधानी ढाका के उस रेस्तरां में जहां सात युवा आतंकियों ने करीब 12 घंटों तक लोगों को बंधक बनाए रखा, वहां का एक रसोइया (कुक) आतंकियों के कहने पर मछली और पास्ता बनाता रहा। इस कुक का नाम सुरक्षा कारणों से जाहिर नहीं किया गया है। इस पूरे घटनाक्रम का पटाक्षेप 20 बंधकों की मौत के साथ हुआ।
मौके पर चलाए गए कमांडो ऑपरेशन में दो पुलिसवालों की भी मौत हो गए। छह आतंकियों को कमांडो ने मार गिराया जबकि एक को जिंदा पकड़ लिया गया। इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली और बुधवार को फिर दोहराया कि इस प्रकार के हमले लगातार होते रहेंगे। वहीं, बांग्लादेश की सरकार ने साफ किया कि सभी आतंकी बांग्लादेशी थे और ये सभी प्रतिबंधित संगठन से ताल्लुक रखते थे।
इस आतंकी हमले में बचे एक व्यक्ति का कहना था कि सभी युवा हथियारबंद काफी निरंकुश थे। NDTV से बातचीत में उसने कहा कि अधिकतर लोग हमले के पहले कुछ ही मिनट में मार दिए गए थे। उन्होंने गैस सिलेंडर का प्रयोग कर लोगों को मारा और उनके अंग काट डाले।
सहायक शेफ ने NDTV को बताया कि मैं अपने आठ सहयोगियों के साथ बाथरूम में छिप गया था। वह छोटा था और वहां पर्याप्त हवा नहीं थी, इसलिए हमने सारे नलके खोल दिए ताकि कुछ हवा आ सके।
उन्होंने बताया कि करीब आधी रात को आतंकियों का ध्यान इस ओर गया कि बाथरूम अंदर से बंद है और फिर हम सब को बाहर निकाला गया। बाहर दो आतंकवादी थे। एक के हाथ में ऑटोमैटिक बंदूक थी और दूसरे के हाथ में बड़ा चाकू। हमें हाथ ऊपर कर बाहर आने के लिए कहा गया। उन्होंने हमारी तलाशी ली और पूछा कि हममें कोई विदेशी तो नहीं है।
हमारे बीच का डियागो नाम का विदेशी कुक पहले ही भागने में कामयाब हो गया था। पीड़ित ने कहा, किसी विदेशी को न पाकर उन्होंने हमें वापस बाथरूम के अंदर भेज दिया और दरवाजा बाहर से बंद कर दिया।
बाथरूम में बंद रहने के घंटों बाद जब वहां सांस लेना मुश्किल हो गया, तब हमने मजबूरी में दरवाजा पीटना शुरू कर दिया। आतंकियों ने हमें बाथरूम से निकलने की इजाजत दे दी। हममें से पांच तो बाहर निकल गए लेकिन चार ने वहीं रहना बेहतर समझा। मैंने भी वहीं रुकने का निर्णय लिया। NDTV से इस पीड़ित ने कहा, मैं एक हिंदू हूं, इसलिए मैं अपने भाग्य को आजमाना नहीं चाहता था।
जो पांच लोग बाथरूम से बाहर निकले वे जाकर चेयर पर बैठ गए। इस कुक ने NDTV को बताया कि जब मैंने एक आदमी से लाशों और फ्लोर पर पड़े खून की ओर इशारा कर पूछा कि क्या उसने बचाने के लिए कुछ किया, उस आदमी ने मेरी ओर देखा और मुस्कुराते हुए कहा कि वह उन लोगों में से एक है जिसने इन लोगों को मारा है। आतंकियों ने कहा कि सूरज डूबने वाला है और उन्होंने रमजान के मौके पर अपनी सहरी ले ली है। आतंकियों ने बंधकों से कहा कि अब वे सब मर जाएंगे लेकिन जन्नत में मिलेंगे।
कुछ देर बाद जब कमांडो करीब आने लगे, तब कुक और अन्य तीन मौके का फायदा उठाकर पहले तो फर्स्ट फ्लोर पर चढ़ गए और फिर वहां से कूदकर नजदीक की बिल्डिंग में भाग गए।
मौके पर चलाए गए कमांडो ऑपरेशन में दो पुलिसवालों की भी मौत हो गए। छह आतंकियों को कमांडो ने मार गिराया जबकि एक को जिंदा पकड़ लिया गया। इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली और बुधवार को फिर दोहराया कि इस प्रकार के हमले लगातार होते रहेंगे। वहीं, बांग्लादेश की सरकार ने साफ किया कि सभी आतंकी बांग्लादेशी थे और ये सभी प्रतिबंधित संगठन से ताल्लुक रखते थे।
इस आतंकी हमले में बचे एक व्यक्ति का कहना था कि सभी युवा हथियारबंद काफी निरंकुश थे। NDTV से बातचीत में उसने कहा कि अधिकतर लोग हमले के पहले कुछ ही मिनट में मार दिए गए थे। उन्होंने गैस सिलेंडर का प्रयोग कर लोगों को मारा और उनके अंग काट डाले।
सहायक शेफ ने NDTV को बताया कि मैं अपने आठ सहयोगियों के साथ बाथरूम में छिप गया था। वह छोटा था और वहां पर्याप्त हवा नहीं थी, इसलिए हमने सारे नलके खोल दिए ताकि कुछ हवा आ सके।
उन्होंने बताया कि करीब आधी रात को आतंकियों का ध्यान इस ओर गया कि बाथरूम अंदर से बंद है और फिर हम सब को बाहर निकाला गया। बाहर दो आतंकवादी थे। एक के हाथ में ऑटोमैटिक बंदूक थी और दूसरे के हाथ में बड़ा चाकू। हमें हाथ ऊपर कर बाहर आने के लिए कहा गया। उन्होंने हमारी तलाशी ली और पूछा कि हममें कोई विदेशी तो नहीं है।
हमारे बीच का डियागो नाम का विदेशी कुक पहले ही भागने में कामयाब हो गया था। पीड़ित ने कहा, किसी विदेशी को न पाकर उन्होंने हमें वापस बाथरूम के अंदर भेज दिया और दरवाजा बाहर से बंद कर दिया।
बाथरूम में बंद रहने के घंटों बाद जब वहां सांस लेना मुश्किल हो गया, तब हमने मजबूरी में दरवाजा पीटना शुरू कर दिया। आतंकियों ने हमें बाथरूम से निकलने की इजाजत दे दी। हममें से पांच तो बाहर निकल गए लेकिन चार ने वहीं रहना बेहतर समझा। मैंने भी वहीं रुकने का निर्णय लिया। NDTV से इस पीड़ित ने कहा, मैं एक हिंदू हूं, इसलिए मैं अपने भाग्य को आजमाना नहीं चाहता था।
जो पांच लोग बाथरूम से बाहर निकले वे जाकर चेयर पर बैठ गए। इस कुक ने NDTV को बताया कि जब मैंने एक आदमी से लाशों और फ्लोर पर पड़े खून की ओर इशारा कर पूछा कि क्या उसने बचाने के लिए कुछ किया, उस आदमी ने मेरी ओर देखा और मुस्कुराते हुए कहा कि वह उन लोगों में से एक है जिसने इन लोगों को मारा है। आतंकियों ने कहा कि सूरज डूबने वाला है और उन्होंने रमजान के मौके पर अपनी सहरी ले ली है। आतंकियों ने बंधकों से कहा कि अब वे सब मर जाएंगे लेकिन जन्नत में मिलेंगे।
कुछ देर बाद जब कमांडो करीब आने लगे, तब कुक और अन्य तीन मौके का फायदा उठाकर पहले तो फर्स्ट फ्लोर पर चढ़ गए और फिर वहां से कूदकर नजदीक की बिल्डिंग में भाग गए।
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