पाकिस्तान की नेशनल असेंबली (फाइल फोटो)
इस्लामाबाद:
व्यापक बहस का विषय बने हुए हिंदू विवाह विधेयक 2016 को दशकों की देरी और निष्क्रियता के बाद आखिरकार पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में पेश कर दिया गया. यह विधेयक अल्पसंख्यक समुदाय में विवाहों के लिए एक कानूनी संरचना पेश करता है.
हिंदू विवाह विधेयक 2016 पर विधि एवं न्याय की स्थाई समिति की रिपोर्ट कल नेशनल असेंबली में पेश की गई. चूंकि सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) इसका समर्थन कर रही है, इसलिए यह मंजूरी से महज एक ही कदम दूर है. नेशनल असेंबली के सदस्य और विधेयक लाने वालों में से एक रमेश लाल ने कहा कि विधेयक को मंजूरी देने में समिति को 10 माह लग गए और इसकी रिपोर्ट को सदन में पेश करने में छह माह और लग गए. स्थाई समिति ने इस विधेयक को आठ फरवरी को मंजूरी दी थी.
डॉन ऑनलाइन ने लाल के हवाले से कहा, ‘‘यह देरी संभवत: असाधारण बहसों और इस विधेयक पर चर्चा के कारण हुई. लेकिन कम से कम अब सरकार को अगले सत्र में इसे सदन में रखने के बारे में सोचना चाहिए.’’ समिति के अध्यक्ष चौधरी बशीर विर्क ने कहा, ‘‘काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियॉलॉजी समेत सभी पक्षों से चर्चा की गई.’’ हालांकि हिंदु समुदाय के कुछ लोगों ने विधेयक के प्रावधान 12 और 15 पर कड़ी आपत्तियां जाहिर कीं. यह क्रमश: ‘हिंदू विवाह को खत्म करने’ और ‘आपसी सहमति से हिंदू विवाह को खत्म करने’ से जुड़े हैं.
विधेयक का मसविदा अलग हो चुके लोगों को पुन: विवाह की अनुमति देता है और इसका प्रावधान 17 कहता है कि हिंदू विधवा दोबारा विवाह कर सकती है. अपने पति की मौत के छह माह बाद उसे अपनी मर्जी से ऐसा करने का अधिकार है. ऐसी अपेक्षा है कि यह विधेयक विवाहित हिंदू महिलाओं के अपहरण को रोक सकता है.
विर्क ने कहा, ‘‘इस विधेयक के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान है. इस कानून के मंजूर हो जाने के बाद, जो कोई हिंदू विवाहिता का अपहरण करेगा, वह दंड का अधिकारी होगा क्योंकि पीड़िता का परिवार शादी का सबूत दिखा सकेगा.’’ यह विधेयक जबरन धर्म परिवर्तन पर भी लगाम लगा सकता है क्योंकि हिंदू विवाहों का पंजीकरण संबंधित सरकारी विभागों में कराया जा सकेगा.
पंजाब, खबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान ने इस बात पर अपनी सहमति जताई है कि संघीय सरकार हिंदू विवाह कानून बना ले, फिर वे इसे अंगीकार करेंगे. हालांकि सिंध ने अपना खुद का हिंदू विवाह पंजीकरण नियम बनाया था.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
हिंदू विवाह विधेयक 2016 पर विधि एवं न्याय की स्थाई समिति की रिपोर्ट कल नेशनल असेंबली में पेश की गई. चूंकि सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) इसका समर्थन कर रही है, इसलिए यह मंजूरी से महज एक ही कदम दूर है. नेशनल असेंबली के सदस्य और विधेयक लाने वालों में से एक रमेश लाल ने कहा कि विधेयक को मंजूरी देने में समिति को 10 माह लग गए और इसकी रिपोर्ट को सदन में पेश करने में छह माह और लग गए. स्थाई समिति ने इस विधेयक को आठ फरवरी को मंजूरी दी थी.
डॉन ऑनलाइन ने लाल के हवाले से कहा, ‘‘यह देरी संभवत: असाधारण बहसों और इस विधेयक पर चर्चा के कारण हुई. लेकिन कम से कम अब सरकार को अगले सत्र में इसे सदन में रखने के बारे में सोचना चाहिए.’’ समिति के अध्यक्ष चौधरी बशीर विर्क ने कहा, ‘‘काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियॉलॉजी समेत सभी पक्षों से चर्चा की गई.’’ हालांकि हिंदु समुदाय के कुछ लोगों ने विधेयक के प्रावधान 12 और 15 पर कड़ी आपत्तियां जाहिर कीं. यह क्रमश: ‘हिंदू विवाह को खत्म करने’ और ‘आपसी सहमति से हिंदू विवाह को खत्म करने’ से जुड़े हैं.
विधेयक का मसविदा अलग हो चुके लोगों को पुन: विवाह की अनुमति देता है और इसका प्रावधान 17 कहता है कि हिंदू विधवा दोबारा विवाह कर सकती है. अपने पति की मौत के छह माह बाद उसे अपनी मर्जी से ऐसा करने का अधिकार है. ऐसी अपेक्षा है कि यह विधेयक विवाहित हिंदू महिलाओं के अपहरण को रोक सकता है.
विर्क ने कहा, ‘‘इस विधेयक के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान है. इस कानून के मंजूर हो जाने के बाद, जो कोई हिंदू विवाहिता का अपहरण करेगा, वह दंड का अधिकारी होगा क्योंकि पीड़िता का परिवार शादी का सबूत दिखा सकेगा.’’ यह विधेयक जबरन धर्म परिवर्तन पर भी लगाम लगा सकता है क्योंकि हिंदू विवाहों का पंजीकरण संबंधित सरकारी विभागों में कराया जा सकेगा.
पंजाब, खबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान ने इस बात पर अपनी सहमति जताई है कि संघीय सरकार हिंदू विवाह कानून बना ले, फिर वे इसे अंगीकार करेंगे. हालांकि सिंध ने अपना खुद का हिंदू विवाह पंजीकरण नियम बनाया था.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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