प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
दक्षिणपूर्व बांग्लादेश में हुई मूसलाधार बारिश की वजह से हुए भूस्खलन में कई शरणार्थी शिवरों के बहने की खबर है. अभी तक की जानकारी के अनुसार इस घटना में इन शरणार्थी शिवर में रहने वाले 14 लोगों की मौत की खबर है. फिलहाल स्थानीय प्रशासन अन्य लोगों की तलाश के लिए अभियान चला रहा है. स्थानीय प्रशासन के अनुसार इस घटना में 20 से ज्यादा लोग लापता हैं, इनकी तलाश की जा रही है. मारे गए ज्यादातर लोगों में शरणार्थी शिविर में रहने वाले रोहिंग्या मुसलमान शामिल हैं. गौरतलब है कि भूस्खलन की यह घटना म्यांमार सीमा के पास हुई. इस घटना में म्यांमार की सीमा पर काक्स बाजार और रंगमाटी जिलों में कई घर और शरणार्थी स्थल बह गए.
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ध्यान हो कि म्यांमार में सैन्य कार्रवाई के कारण करीब सात लाख रोहिंग्या मुस्लिम भागकर बांग्लादेश आ गये थे. वह तब से इन्ही इलाकों में रह रहे थे. स्थानीय प्रशासन के अनुसार इलाके में हुई भारी बारिश से आसपास के घरों को भी खासा नुकसान पहुंचा है. भूस्खलन की वजह से अभी तक नौ हजार से ज्यादा लोगों के प्रभावित होने की बात सामने आ रही है. रंगमाटी के सरकारी डाक्टर शाहिद तालुकदार ने कहा कि मृतकों की अब तक पहचान नहीं हो पाई है और बचाव एवं राहत दल को प्रभावितों के पास पहुंचने में मुश्किल हो रही है. पास के पहाड़ों से मलबा बहकर आने से ज्यादातर पीड़ितों की मौत मलबे में दबकर हुई.
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अधिकारियों ने कहा कि रंगमाटी जिले में मृतकों की संख्या बढ़ सकती है. अधिकारियों के अनुसार भूस्खलन से आए मलबे की वजह से इलाके की जाम हो गई हैं. इस वहज से देश से इस इलाके का संपर्क टूट गया है. प्रशासन फिलहाल प्रभावित इलाके में राहत और बचाव अभियान चला रही है. गौरतलब है कि कुछ समय पहले ही म्यांमार से आकर इन इलाकों में बसे रोहिंग्या मुस्लिम को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख ने कहा था कि रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर म्यामां का उत्पीड़न क्षेत्रीय संघर्ष को भड़काने में समर्थ है.
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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख जीद राद अल-हुसैन ने आज इंडोनेशिया में इस बात को दोहराते हुए कहा कि हो सकता है रोहिंग्या के खिलाफ हिंसक अभियान के दौरान नरसंहार एवं जातीय सफाये की कार्रवाई हुई हो, जिसके चलते करीब 10 लाख लोग पलायन कर पड़ोसी बांग्लादेश चले गये.अल-हुसैन ने कहा कि क्षेत्र की सुरक्षा पर संभावित गंभीर प्रभाव के साथ म्यामां को बेहद गंभीर संकट का सामना करना पड़ा.
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अगर रोहिंग्या संकट से धार्मिक पहचान पर आधारित व्यापक संघर्ष भड़कता है तो आगामी विवाद गंभीर चेतावनी का कारण बन सकते हैं.’’ (इनपुट भाषा से)
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ध्यान हो कि म्यांमार में सैन्य कार्रवाई के कारण करीब सात लाख रोहिंग्या मुस्लिम भागकर बांग्लादेश आ गये थे. वह तब से इन्ही इलाकों में रह रहे थे. स्थानीय प्रशासन के अनुसार इलाके में हुई भारी बारिश से आसपास के घरों को भी खासा नुकसान पहुंचा है. भूस्खलन की वजह से अभी तक नौ हजार से ज्यादा लोगों के प्रभावित होने की बात सामने आ रही है. रंगमाटी के सरकारी डाक्टर शाहिद तालुकदार ने कहा कि मृतकों की अब तक पहचान नहीं हो पाई है और बचाव एवं राहत दल को प्रभावितों के पास पहुंचने में मुश्किल हो रही है. पास के पहाड़ों से मलबा बहकर आने से ज्यादातर पीड़ितों की मौत मलबे में दबकर हुई.
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अधिकारियों ने कहा कि रंगमाटी जिले में मृतकों की संख्या बढ़ सकती है. अधिकारियों के अनुसार भूस्खलन से आए मलबे की वजह से इलाके की जाम हो गई हैं. इस वहज से देश से इस इलाके का संपर्क टूट गया है. प्रशासन फिलहाल प्रभावित इलाके में राहत और बचाव अभियान चला रही है. गौरतलब है कि कुछ समय पहले ही म्यांमार से आकर इन इलाकों में बसे रोहिंग्या मुस्लिम को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख ने कहा था कि रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर म्यामां का उत्पीड़न क्षेत्रीय संघर्ष को भड़काने में समर्थ है.
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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख जीद राद अल-हुसैन ने आज इंडोनेशिया में इस बात को दोहराते हुए कहा कि हो सकता है रोहिंग्या के खिलाफ हिंसक अभियान के दौरान नरसंहार एवं जातीय सफाये की कार्रवाई हुई हो, जिसके चलते करीब 10 लाख लोग पलायन कर पड़ोसी बांग्लादेश चले गये.अल-हुसैन ने कहा कि क्षेत्र की सुरक्षा पर संभावित गंभीर प्रभाव के साथ म्यामां को बेहद गंभीर संकट का सामना करना पड़ा.
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अगर रोहिंग्या संकट से धार्मिक पहचान पर आधारित व्यापक संघर्ष भड़कता है तो आगामी विवाद गंभीर चेतावनी का कारण बन सकते हैं.’’ (इनपुट भाषा से)
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