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हिज्बुल्लाह कैसे बना? नसरल्लाह कैसे इससे जुड़ा? जानिए सब्जी बेचने वाले के बेटे की पूरी कहानी

Israel Air Strike: इजरायल के एयर स्ट्राइक में मारे गए हिज्बुल्लाह चीफ नसरल्लाह की ही नहीं, बल्कि उसके बेटे और बेटी की भी मौत इजरायल के कारण ही हुई है. जानिए उसकी पूरी कहानी...

हिज्बुल्लाह कैसे बना? नसरल्लाह कैसे इससे जुड़ा? जानिए सब्जी बेचने वाले के बेटे की पूरी कहानी
Hezbollah Chief Hassan Nasrallah Death: 1992 में नसरल्लाह हिज्बुल्लाह का चीफ बना था.

Hezbollah Chief Hassan Nasrallah Death: एक सब्जी बेचने वाले के यहां 1960 में बेरूत में जन्मे सैयद हसन नसरल्लाह की मौत हो चुकी है. नसरल्लाह का बचपन बेहद गरीबी में बीता. उसके पिता की नौ संतानें थीं. सन 1982 में वह अब्बास अल-मुसावी के संपर्क में आया. यही अब्बास अल-मुसावी बाद में हिज्बुल्लाह का चीफ बना. 1992 में इजरायल ने जब मुसावी की हत्या की तो नसरल्लाह 32 साल की उम्र में हिज्बुल्लाह का चीफ बन गया. 1997 में उसके बेटे हादी की 18 साल की उम्र में मौत इजरायली सैनिकों के हाथों ही हुई. अब शुक्रवार को इजरायल के हमले में उसके साथ-साथ उसकी बेटी जैनब की भी मौत हो गई.  

कैसे बना हिज्बुल्लाह?

हिज्बुल्लाह शब्द का अर्थ है- पार्टी ऑफ गॉड. इसकी स्थापना 1975-90 के बीच की गई थी. साल 1943 तक लेबनान में फ्रांस का शासन था और इसका प्रभुत्व खत्म होने के बाद एक समझौते के तहत लेबनान की सत्ता देश के ही कई धार्मिक गुटों में बंट गई थी. 1943 में जो समझौता हुआ था, उसके तहत धार्मिक गुटों की राजनीतिक ताकतों में बंटवारा हुआ, जो इस तरह था...एक सुन्नी मुसलमान ही देश का प्रधानमंत्री बनेगा, एक ईसाई राष्ट्रपति बनेगा, संसद का स्पीकर शिया मुसलमान बनेगा. इसके बाद इजरायल और फिलिस्तीन के बीच 1948 में शुरू हुए संघर्ष की वजह से फिलिस्तीन के कई शरणार्थी लेबनान पहुंचे. इनके यहां आने की वजह से लेबनान में सुन्नी मुस्लिमों की आबादी बढ़ गई. वहीं शिया मुसलमान अल्पसंख्यक हो गए. लेकिन इस समय सत्ता ईसाईयों के हाथ में थी, ऐसे में शिया मुसलमानों को हाशिए पर चले जाने का डर सताने लगा. इसके बाद ही यहां गृह युद्ध की शुरुआत हुई. लेबनान में चल रही अंदरूनी लड़ाई के बीच, इजरायल की सेना ने साल 1978 और 1982 में फिलिस्तीन के गुरिल्ला लड़ाकों को भगाने के लिए दक्षिणी लेबनान पर हमला कर दिया. इस हमले के बाद इजरायल ने कई इलाकों पर कब्जा भी कर लिया. ये वही इलाके थे, जिसका इस्तेमाल फिलिस्तीनी लड़ाके इजरायल के खिलाफ हमले के लिए कर रहे थे.

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साल 1979 में ईरान में सरकार बदली और नई सरकार को लगा कि यही वक्त है कि अब वह मध्य पूर्व इलाकों में अपना दबदबा बढ़ा सकता है. ईरान ने लेबनान और इजरायल के बीच चल रहे तनाव का फायदा उठाना चाहा और शिया मुसलामानों पर अपना प्रभाव जमाना शुरू कर दिया. इसी के साथ साल 1982 में हिज्बुल्लाह नाम के शिया संगठन की शुरुआत हुई. 

नसरल्लाह ने ऐसे बढ़ाया

नसरल्लाह ने संगठन के नेता के रूप में कार्यभार संभाला और इसे एक राजनीतिक-सैन्य इकाई बनाने का लक्ष्य रखा. नसरल्लाह का हिजबुल्लाह पर पूरा नियंत्रण हो गया. वह संगठन का महासचिव होने के साथ ही शूरा परिषद का प्रमुख बन गया. शूरा परिषद हिज्बुल्लाह के धार्मिक, सैन्य, रणनीतिक मामलों के लिए फैसला लेने वाली सर्वोच्च संस्था है. नसरल्लाह के नेतृत्व में हिजबुल्लाह ने लेबनान के भीतर राजनीतिक वैधता हासिल की. नसरल्लाह के मार्गदर्शन में हिजबुल्लाह ने अपनी मिलिट्री ताकत भी बढ़ा ली. अमेरिका ने साल 1997 में हिज्बुल्लाह को एक विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया. अमेरिका की तरह ही यूरोपीय संघ, अरब लीग और खाड़ी सहयोग परिषद सहित 60 से अधिक अन्य देश और संगठन भी हिज्बुल्लाह को आंशिक रूप से या पूर्ण तरह से आतंकवादी समूह घोषित कर चुके हैं. इजरायल से लड़ाई छिड़ने से पहले हिज्बुल्लाह से लगभग 40,000 लड़ाके जुड़े बताए जाते थे. हालांकि, हमास का साथ देकर उसने इजरायल को भड़का दिया और आखिर में बेटी के साथ मारा गया.

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