चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ सुषमा स्वराज
बीजिंग:
विदेश मंत्रालय ने रविवार को कहा कि भारत और चीन ने सिक्किम में नाथू ला मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने पर सहमति जता दी है. करीब 10 महीने पहले डोकलाम में पैदा हुए गतिरोध के बाद यात्रा रोक दी गयी थी. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की बीजिंग में चीनी विदेश मंत्री वांग यी से बातचीत के दौरान यह निर्णय लिया गया.
सुषमा ने वांग के साथ संयुक्त प्रेस वक्तव्य में कहा, ‘‘हम इस बात से खुश हैं कि इस साल नाथू ला मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर शुरू होगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि इस साल चीनी पक्ष के पूरे सहयोग से यात्रा भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए संतोष देने वाला अनुभव होगी.’’ पिछले साल डोकलाम में भारत के साथ सैन्य गतिरोध के बाद चीन ने यात्रा रोक दी थी.
भारतीय सैनिकों द्वारा चीन की सेना को भूटान के दावे वाले इलाके में एक सड़क बनाने से रोके जाने के बाद 16 जून को दोनों के बीच गतिरोध की स्थिति पैदा हो गयी थी. अंतत: 28 अगस्त को यह स्थिति समाप्त हुई.
विदेश मंत्रालय हर साल दो अलग-अलग मार्गों से जून से सितंबर तक यात्रा का आयोजन करता है. इन दो मार्गों में लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) और नाथू ला दर्रा (सिक्किम) हैं. धार्मिक महत्व वाली इस तीर्थयात्रा का सांस्कृतिक महत्व भी है जिसमें हर साल सैकड़ों लोग कैलाश मानसरोवर जाते हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सुषमा ने वांग के साथ संयुक्त प्रेस वक्तव्य में कहा, ‘‘हम इस बात से खुश हैं कि इस साल नाथू ला मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर शुरू होगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि इस साल चीनी पक्ष के पूरे सहयोग से यात्रा भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए संतोष देने वाला अनुभव होगी.’’ पिछले साल डोकलाम में भारत के साथ सैन्य गतिरोध के बाद चीन ने यात्रा रोक दी थी.
भारतीय सैनिकों द्वारा चीन की सेना को भूटान के दावे वाले इलाके में एक सड़क बनाने से रोके जाने के बाद 16 जून को दोनों के बीच गतिरोध की स्थिति पैदा हो गयी थी. अंतत: 28 अगस्त को यह स्थिति समाप्त हुई.
विदेश मंत्रालय हर साल दो अलग-अलग मार्गों से जून से सितंबर तक यात्रा का आयोजन करता है. इन दो मार्गों में लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) और नाथू ला दर्रा (सिक्किम) हैं. धार्मिक महत्व वाली इस तीर्थयात्रा का सांस्कृतिक महत्व भी है जिसमें हर साल सैकड़ों लोग कैलाश मानसरोवर जाते हैं.
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