डेमोक्रेटिक पार्टी के कुछ प्रभावशाली सांसदों ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन से एच-1बी वीजा धारकों के देश में प्रवेश पर लगाए प्रतिबंध से कुछ स्वास्थ्यसेवा कर्मियों को छूट देने की अपील की है. राष्ट्रपति ट्रम्प प्रशासन ने 23 जून को इस महत्वपूर्ण चुनावी वर्ष में अमेरिकी कर्मचारियों के संरक्षण के लिए एच-1बी वीजा और अन्य प्रकार के विदेशी कार्य वीजा को 2020 के अंत तक स्थगित कर दिया था.
भारतीय पेशेवरों को बड़ा झटका - अब US फेडरल एजेंसियों में नहीं मिलेगी H-1B Visa पर नौकरी
एच-1बी वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों में काफी लोकप्रिय है. यह एक गैर-आव्रजक वीजा है. इसके जरिये अमेरिकी कंपनियां तकनीकी या अन्य विशेषज्ञता वाले पदों पर विदेशी कर्मचारियों की नियुक्ति कर सकती हैं. अमेरिका की प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियां हर साल इस वीजा के आधार पर चीन और भारत से हजारों पेशेवरों की नियुक्त करती हैं.
विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ, होमलैंड सुरक्षा के कार्यकारी मंत्री चाड वुल्फ और श्रम मंत्री युजिन स्कालिया को लिखे एक पत्र में सांसदों ने मंगलवार को कहा कि प्रतिबंधों ने बड़े पैमाने पर, विशेष रूप से ग्रामीण और अशिक्षित समुदायों की स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित किया है, जो अधिकतर आव्रजक चिकित्सकों के आसरे हैं.
उन्होंने कहा कि भले ही कोविड-19 संबंधित देखभाल और अनुसंधान पर काम करने वाले व्यक्तियों को रियायत दी गई है लेकिन इस संकट के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या सीमित करना सभी अमेरिकियों को जोखिम में डालता है. पत्र पर प्रतिनिधिसभा की न्यायपालिका समिति के अध्यक्ष जेरोल्ड नैडलर, प्रतिनिधिसभा की की ‘वेज एंड मीन्स कमेटी' के अध्यक्ष रिचर्ड नील और आव्रजन एवं नागरिकता पर प्रतिनिधिसभा की की उपसमिति के उपाध्यक्ष जोए लोफग्रेन के हस्ताक्षर हैं.
पत्र में कहा, ‘‘पर्याप्त स्वास्थ्य और अनुसंधान कार्यबल के बिना, हम अनावश्यक रूप से अधिक लोगों को जोखिम में डाल रहे हैं और अपनी आर्थिक बहाली में भी बाधाएं उत्पन्न कर रहे हैं.''
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं