इस्लामाबाद:
पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने कहा है कि प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी यदि स्विस अधिकारियों को राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोलने के लिए पत्र लिख देते हैं, तो उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही स्वत: ही समाप्त हो जाएगी।
शीर्ष अदालत के प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी ने अदालत में पेश होने के आदेश के खिलाफ गिलानी की याचिका पर सुनवाई करने के दौरान यह टिप्पणी की। गिलानी को जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से नहीं खोलने को लेकर आरोप तय करने के लिहाज से 13 फरवरी को अदालत में पेश होने के लिए समन भेजा गया था।
चौधरी ने कहा कि यदि गिलानी स्विस अधिकारियों को जरदारी के खिलाफ कथित धन शोधन के मामलों को फिर से खोलने के लिए पत्र लिखेंगे, तो उनके खिलाफ कार्यवाही स्वत: ही बंद हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इन मामलों में शामिल व्यक्ति प्रधानमंत्री की पार्टी का प्रमुख है, लेकिन कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। पीठ ने कहा कि कथित रूप से सफेद धन में बदले गए करीब छह करोड़ डॉलर पाकिस्तान तभी वापस आएंगे, जब स्विस अधिकारियों को पत्र लिखा जाएगा।
आठ-सदस्यीय पीठ ने गिलानी के वकील ऐतजाज अहसान को उनकी याचिका से कुछ आपत्तिजनक हिस्से हटाने के लिए भी कहा। इन पैराग्राफ में गिलानी ने अपने खिलाफ शुरू अवमानना मामले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि उन्होंने पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के समय हिरासत में लिए गए कई आला न्यायाधीशों को तो मुक्त किया था।
सर्वोच्च न्यायालय पाकिस्तान की सरकार पर जरदारी के खिलाफ स्विट्जरलैंड में कथित धन शोधन के मामलों को फिर से शुरू करने के लिए दबाव बना रहा है। अदालत ने दिसंबर, 2009 में पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ द्वारा दी गई माफी के फैसले को खारिज कर दिया था। सरकार ने जरदारी के खिलाफ मामलों को फिर से खोलने से इनकार करते हुए कहा था कि राष्ट्रपति को पाकिस्तान में और विदेश में आपराधिक मामलों में मुकदमे से पूरी तरह छूट प्राप्त है। अहसान ने अदालत में इस बात पर जोर दिया कि गिलानी को संदेह का लाभ मिलना चाहिए।
शीर्ष अदालत के प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी ने अदालत में पेश होने के आदेश के खिलाफ गिलानी की याचिका पर सुनवाई करने के दौरान यह टिप्पणी की। गिलानी को जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से नहीं खोलने को लेकर आरोप तय करने के लिहाज से 13 फरवरी को अदालत में पेश होने के लिए समन भेजा गया था।
चौधरी ने कहा कि यदि गिलानी स्विस अधिकारियों को जरदारी के खिलाफ कथित धन शोधन के मामलों को फिर से खोलने के लिए पत्र लिखेंगे, तो उनके खिलाफ कार्यवाही स्वत: ही बंद हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इन मामलों में शामिल व्यक्ति प्रधानमंत्री की पार्टी का प्रमुख है, लेकिन कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। पीठ ने कहा कि कथित रूप से सफेद धन में बदले गए करीब छह करोड़ डॉलर पाकिस्तान तभी वापस आएंगे, जब स्विस अधिकारियों को पत्र लिखा जाएगा।
आठ-सदस्यीय पीठ ने गिलानी के वकील ऐतजाज अहसान को उनकी याचिका से कुछ आपत्तिजनक हिस्से हटाने के लिए भी कहा। इन पैराग्राफ में गिलानी ने अपने खिलाफ शुरू अवमानना मामले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि उन्होंने पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के समय हिरासत में लिए गए कई आला न्यायाधीशों को तो मुक्त किया था।
सर्वोच्च न्यायालय पाकिस्तान की सरकार पर जरदारी के खिलाफ स्विट्जरलैंड में कथित धन शोधन के मामलों को फिर से शुरू करने के लिए दबाव बना रहा है। अदालत ने दिसंबर, 2009 में पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ द्वारा दी गई माफी के फैसले को खारिज कर दिया था। सरकार ने जरदारी के खिलाफ मामलों को फिर से खोलने से इनकार करते हुए कहा था कि राष्ट्रपति को पाकिस्तान में और विदेश में आपराधिक मामलों में मुकदमे से पूरी तरह छूट प्राप्त है। अहसान ने अदालत में इस बात पर जोर दिया कि गिलानी को संदेह का लाभ मिलना चाहिए।
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