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This Article is From Feb 13, 2013

मालदीव के बर्खास्त राष्ट्रपति नशीद ने भारतीय उच्चायोग में शरण मांगी

मालदीव के बर्खास्त राष्ट्रपति नशीद ने भारतीय उच्चायोग में शरण मांगी
माले: ग्लोबल वार्मिग पर दुनिया का ध्यान खींचने के लिए पानी के भीतर मंत्रिमंडल का बैठक करने वाले मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने मंगलवार को यहां भारतीय उच्चायोग में शरण ली। एक न्यायाधीश को अवैध रूप से हिरासत में रखने के मामले में पेशी पर नहीं जाने के बाद अदालत से गिरफ्तारी वारंट जारी होने पर नशीद ने यह कदम उठाया है।

मालदीव के विपक्षी नेता नशीद ने एक ट्वीट में कहा है, "अपनी सुरक्षा और हिंद महासागर में स्थायित्व का ध्यान रखते हुए मैंने मालदीव स्थित भारतीय उच्चायोग में शरण ली है।"

नशीद के उच्चायोग पहुंचने की खबर मिलते ही बड़ी तादाद में मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के कार्यकर्ता जमा हो गए।

मालदीव द्वीपों वाला देश है जिसे गहरे नीले सागर, फिरोजा मूंगों, सफेद बालू वाले सागर तटों और ताड़ के पेड़ों के लिए जाना जाता है। यह देश 1,190 द्वीपों से बना है जिनमें से करीब 200 पर ही लोग निवास करते हैं और देश की जनसंख्या 350,000 है।

हुलहुमाल अदालत ने आपराधिक न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अब्दुल्ला मोहम्मद को पिछले वर्ष हिरासत में रखे जाने से सम्बंधित मामले की पिछली सुनवाई के दौरान गैर हाजिर रहने पर नशीद के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। इसके बाद नशीद भारतीय उच्चायोग पहुंचे हैं।

कुछ खबरों के मुताबिक भारतीय उच्चायोग के सामने  बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद हैं। दूतावास के पीछे स्थित ट्रेडर्स होटल के सामने भी पुलिस बंदोबस्त किया गया है।

पिछले साल एक कथित विद्रोह के बाद सात फरवरी को नशीद ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद मालदीव में अनिश्चितता का दौर शुरू हो गया। नशीद के बाद मोहम्मद वाहिद हसन राष्ट्रपति पद पर काबिज हुए।

अब्दुल्ला मोहम्मद को बर्खास्त करने के कारण नशीद को विरोध का सामना करना पड़ा था।

बाद में नशीद ने दावा किया कि उन्हें हथियार के बल पर पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था और द्वीपों के देश मालदीव में लोकतंत्र बहाली के लिए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद मांगी थी।

राष्ट्रपति के प्रवक्ता इमाद मसूद ने सिन्हुआ से कहा कि नशीद के अदालती आदेश को धता बताने के बाद उन्हें हाजिर होने के लिए समन जारी किया गया और अदालत ने पुलिस को उन्हें हाजिर करने का आदेश दिया।

हालांकि नशीद की राजनीतिक पार्टी एमडीपी ने गिरफ्तारी वारंट की घोर निंदा की है और वारंट के साथ-साथ उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को राजनीतिक मंशा वाला बताया है।

उनकी पार्टी ने बुधवार को कहा, "एमडीपी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सतर्क रहने और नशीद के लिए स्वतंत्र एवं निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित कराने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।"

एमडीपी ने कहा है कि मामले की दूसरी सुनवाई 10 फरवरी को होनी थी। चूंकि नशीद उस तारीख को भारत की यात्रा पर थे और आपात चिकित्सकीय कारणों से वे माले लौट पाने में असमर्थ थे। पार्टी ने कहा है कि नशीद के वकील ने इस आशय की सूचना लिखित रूप में अदालत को दे दी थी।

ग्लोबल वार्मिंग से अपने देश पर मंडरा रहे खतरे के प्रति दुनिया का ध्यान खींचने के लिए वर्ष 2009 में राजधानी माले के उत्तर में छह मीटर भीतर आधे घंटे तक मंत्रिमंडल की बैठक कर नशीद दुनिया भर के अखबारों की सुर्खियों में आए थे।

विकिलीक्स ने ट्वीट किया है कि नशीद ने वैसा ही काम किया है जैसा 'जूलियन असांजे' ने किया था।

दुष्कर्म के आरोपों का सामना कर रहे असांजे ने प्रत्यर्पण से बचने के लिए जून 2012 में लंदन स्थित एक्वोडर के दूतावास में शरण ली थी। उन्हें स्वीडन प्रत्यर्पित किए जाने का खतरा था।

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