मुंबई पर लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों के हमलों की पांचवीं बरसी से पूर्व हमले में शामिल सात पाकिस्तानी संदिग्धों के नए वकील ने सोमवार को दावा किया कि भारत द्वारा उपलब्ध करवाए गए सबूत ‘नकली’ हैं।
लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकीउर रहमान लखवी और छह अन्य आरोपियों के वकील रजा रिजवान अब्बासी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘भारत द्वारा उपलब्ध करवाए गए दस्तावेज सूचना हैं, सबूत नहीं, जिनकी अदालत को जरूरत है। भारत द्वारा उपलब्ध करवाए गए सबूत नकली हैं।’
पाकिस्तानी अभियोजकों की टीम के सबूत से संतुष्ट होने और दोष सिद्धि हासिल करवाने के प्रति विश्वास जाहिर करने संबंधी बयान पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए अब्बासी ने कहा, ‘यह तो अभियोजन कह रहा है और यह वह है जो हम महसूस करते हैं। केवल अदालत ही फैसला करेगी।’
तीन सितारा एक होटल में मीडिया से बातचीत के दौरान अब्बासी यह दावे के साथ नहीं कह सके कि मुंबई हमला भारतीय कार्रवाई थी जैसा कि आतंकवादी संगठनों ने प्रचारित किया था। जन संपर्क कंपनी द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में नवोन्मेषी तरीके से लगाए गए बैनर सहित वह सब कुछ देखने को मिला जो एक कॉरपोरेट कार्यक्रम में दिखता है।
ख्वाजा हरीस अहमद और रियाज अकरम चीमा के निजी कारणों को लेकर संदिग्धों की पैरवी करने से खुद को दूर करने के बाद जाहिद हुसैन तिरमीजी और अब्बासी को आरोपियों ने नया वकील रखा।
अब्बासी ने दावा किया कि 2009 में शुरू हुई सुनवाई में भारत देर कर रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत द्वारा पाकिस्तान को गवाहों और साक्ष्यों तक पहुंचने देना चाहिए ताकि एक निष्पक्ष जांच हो सके।
उन्होंने भारत में अजमल कसाब के खिलाफ चले मुकदमे में भी खामियां गिनाई।
अब्बासी ने दावा किया कि कसाब ने अपना बयान बदल दिया और दावा किया कि उसे 26 नवंबर 2008 के हमलों से 20 दिन पहले गिरफ्तार किया गया था।
यह कहे जाने पर कि मुंबई में कसाब द्वारा लोगों पर गोलीबारी किए जाने की सीसीटीवी तस्वीरें और फोटो हैं, अब्बासी ने जवाब दिया, ‘ऐसा कोई सबूत अदालत को नहीं दिया गया है। जिस फोटोग्राफर ने तस्वीर ली थी उसे पेश किया जाना चाहिए।’ मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी।
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