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This Article is From Feb 11, 2022

Explainer: Elephant Walk से डरेगा रूस, चिढ़ेगा चीन? US, जापान,ऑस्ट्रेलिया का बड़ा शक्ति प्रदर्शन, 'भारत भी साथ', WW 2 आया याद

यूक्रेन (Ukraine) को लेकर जहां रूस (Russia) और अमेरिका (US) के बीच भारी तनाव है तो उधर चीन (China) इस मुद्दे पर रूस का साथ दे रहा है. ऐसे में US और सहयोगी देशों का बड़ा सैन्य शक्ति प्रदर्शन एलिफेंट वॉक (Elephant Walk) World War 2 की याद दिलाता है.

Explainer: Elephant Walk से डरेगा रूस, चिढ़ेगा चीन? US, जापान,ऑस्ट्रेलिया का बड़ा शक्ति प्रदर्शन, 'भारत भी साथ', WW 2 आया याद
US के एंडरसन वायुसेना अड्डे पर Cope North 2022 में Elephant Walk
नई दिल्ली:

अमेरिका (US), ऑस्ट्रेलिया (Australia), जापान (Japan) और सहयोगी देशों ने मिलकर अपनी सैन्य शक्ति (Military Power) का बड़ा प्रदर्शन किया है. इसे एलिफेंट वॉक (Elephant Walk) कहा जा रहा है. इसमें इन बड़े देशों की वायुसेना (Airforce) के 130 विमानों ने परेड की. अपनी एकता और ताकत की नुमाइश कर दुश्मनों को सावधान किया गया. यह Elephant Walk पश्चिमी प्रशांत महासागर में स्थित अमेरिकी अधिकार वाले द्वीप गुआम (Guam) के एंडरसन एयरबेस (Anderson Airbase) पर किया गया. एंडरसन एयरबेस की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार  यह एलीफेंट वॉक 2-18 फरवरी तक चलने वाले Cope North 2022 सैन्य अभ्यास के दौरान किया गया है. यह प्रशांत महासागर में स्थित अमेरिकी वायु सेना का सबसे बड़ा बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास होता है. डेलीमेल के मुताबिक इस बार कोप नॉर्थ में अमेरिकी वायुसेना, थलसेना और नौसेना के 2500 जवान हिस्सा ले रहे हैं और इनके साथ 1000 जापानी और ऑस्ट्रेलियाई सैनिक अभ्यास कर रहे हैं. 

भारत के लिए है ख़ास 

Cope North नियमित तौर पर होने वाला सैन्य अभ्यास है लेकिन इस बार भारत (India) के लिए बेहद खास है. अमेरिका की पैसिफिक एयरफोर्स की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक भारत पहली बार इस बड़े सैन्य अभ्यास में शामिल हो रहा है. लेकिन शायद भारत में रूस (Russia) के साथ दोस्ती को देखते हुए इस खबर पर अधिक चर्चा नहीं हुई. फिर भी, भारत चीन (China) को अपनी मौजूदगी ज़रूर दिखाना चाहेगा. पिछली बार भारत इस सैन्य अभ्यास में केवल एक पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल हुआ था. ऑस्ट्रेलिया के डिफेंस पब्लिकेशन ADBR के मुताबिक भारत के अलावा फ्रांस और दक्षिण कोरिया भी इस बार कोप नॉर्थ में शामिल हो रहे हैं. यानि इस बार के कोप नॉर्थ में क्वाड (QUAD) देश ( अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत),  शामिल हो रहे हैं. इस समूह से चीन को खासी चिढ़ है. साथ ही यूरोप के ताकवर देश फ्रांस का अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ सैन्य अभ्यास करना भी ख़ास है. गौरतलब है कि जब ऑस्ट्रेलिया का ब्रिटेन के साथ परमाणु पनडुब्बियों को लेकर बड़ा समझौता हुआ था तो फ्रांस ख़ासा नाराज़ हो गया था. लेकिन इस सैन्य अभ्यास में फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया भी साथ हैं.  

लेकिन एलिफेंट वॉक और कोप नॉर्थ का समय इसे रूस-यूक्रेन संकट (Russia-Ukraine Conflict) के मद्देनज़र बेहद महत्वपूर्ण बनाता है. यूरोप पर बने संकट को लेकर अमेरिका रूस के बीच तनाव शीत युद्ध (Cold War) के बाद चरम पर है. इधर यूक्रेन  (Ukraine) के मुद्दे पर चीन (China) की तरफ से रूस (Russia) का समर्थन किए जाने के बाद अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की एलिफेंट वॉक और सैन्यअभ्यास में भारत, फ्रांस और दक्षिण कोरिया के शामिल होने से रूस (Russia)और चीन (China) ज़रूर सतर्क होंगे. जिस गुआम द्वीप पर यह सैन्य अभ्यास किया जाता है  यह इलाका दक्षिणी चीन सागर (South China Sea) के नज़दीक पड़ता है. गुआम (Guam) चीन से पूर्व की तरफ 1,800 मील दूर है.  

घातक मारक क्षमता वाले विमानों के साथ अमेरिकी वायुसेना, ऑस्ट्रेलिया की रॉयल एयर फोर्स, जापान की एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स, और क्षेत्रीय सहयोगियों ने अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन कर इसकी तस्वीरें और वीडियो भी जारी किए हैं. इसमें बड़े-बड़े हवाईजहाज़ एक के पीछे एक चलते हुए परेड करते नजर आ रहे हैं.

Elephant Walk और  World War 2 

कोप नॉर्थ (Cope North 2022) सैन्य अभ्यास पारंपरिक तौर से अमेरिका और सहयोगी बलों की तरफ से मानवीय मदद और आपातकालीन राहत कार्यों की तैयारी के लिए किया जाता है. इसमें एक-दूसरे तक सामान लाने ले जाने की तैयारी की जाती है. इसी के साथ इसका मकसद प्राकृतिक आपदा के असर से बचने की तैयारी भी रहती है. लेकिन बदलते वैश्विक परिप्रेक्ष्य में यह एलिफेंट वॉक द्वितीय विश्व युद्ध की याद दिलाता है.      

अमेरिकी एयरफोर्स (US Airforce) की एयर मोबिलिटी कमांड (Air Mobility Command) के अनुसार उन दिनों 1944 में अमेरिकी एयरफोर्स के पास बहुत से बमवर्षक विमान हुआ करते थे और  करीब 1000 विमान एलिफेंट वॉक फॉर्मेशन में एक साथ हमला किया करते थे. यह दूर से देखने में किसी झूमते हुए हाथी के जैसा लगता था. इसमें खास तौर से B-17 बमवर्षक विमानों का प्रयोग किया जाता था.  

आखिरी बार जंग में Elephant Walk 

कुवैत से ईराकी सेनाओं को खदेड़ने के लिए आखिरी बार 1991 में एलिफेंट वॉक ( Elephant Walk) फॉर्मेशन में ऑपरेशन डेजर्ट स्ट्रोर्म ( Operation Desert Storm) किया गया था. इसके बाद  23/354 टेक्टिकल फाइटर विंग ने सात स्क्वाड्रन (squadrons) से लिए गए 144 A-10 लड़ाकू विमानों साथ किए गए जंगी ऑपरेशन को खत्म किया था.  

आधुनिक समय में Elephant Walk

आधुनिक समय में एलिफेंट वॉक ( Elephant Walk) का मतलब है किसी स्ट्रेटजिक एयर कमांड (Strategic Air Command) में अधिकतम तैनाती या उड़ान. अब एलिफेंट वॉक सैन्य अभ्यासों का हिस्सा हो गई हैं. इसमें कभी कभी केवल टैक्सी एक्सर्साइज़ (Taxi Exercise)  की जाती है जिसमें यह विमान केवल फॉर्मेशन बना कर रनवे पर चलते हैं जिसके बाद कोई उड़ान नहीं भरी जाती या कोई लैंडिंग नहीं की जाती. यह एक समय युद्ध की तैयारी का बेहतीन तरीका था. उदाहरण के तौर पर 1980 के दशक की शुरूआत में अमेरिका और यूरोप के धड़कनें बढ़ाने वाले सैन्य अभ्यास में एक घंटे के भीतर 120 F-111 लड़ाकू विमान आसमान में एक साथ खड़े हो गए थे.  अब यह परंपरा बेहतरीन टीम वर्क और विमान का रखरखाव करने वालों की प्रतिबद्धता के प्रति सम्मान दर्शाने के लिए की जाती है.

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