काहिरा:
मिस्र में राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक के पतन के बाद कानून व्यवस्था की स्थिति बहाल करने के लिए सैन्य नेतृत्व ने विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाने और अराजकता एवं अव्यवस्था के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर ली है। इस कड़ी में सुरक्षा बलों ने सोमवार को काहिरा के तहरीर चौक से प्रदर्शनकारियों को अंतिम रूप से हटाने की कोशिश की। कतर के टीवी चैनल 'अल जजीरा' के अनुसार एक सैन्य अधिकारी ने कहा कि सशस्त्र बलों की सर्वोच्च परिषद सोमवार को एक आदेश जारी करेगी। इस आदेश के तहत मजदूर संगठनों या पेशेवर समूहों की बैठकों व विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लागू हो जाएगा। अधिकारी ने कहा कि सभी मिस्रवासी अपने काम में जुट जाएंगे। काहिरा के तहरीर चौक पर सोमवार सुबह तक जिन प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया था, सेना ने उनसे कहा कि या तो वे वहां से हट जाएं अन्यथा उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। ज्ञात हो कि नए सैन्य शासकों ने संसद भंग करने और संविधान को निलम्बित करने की घोषणा की है। बीबीसी के अनुसार हजारों प्रदर्शनकारी, सेना द्वारा की गई पुराने शासन से मुक्ति की घोषणा की प्रशंसा करते हुए पहले ही तहरीर चौक से जा चुके हैं। सेना ने कहा है कि वह छह महीने तक या चुनाव होने तक सत्ता पर बनी रहेगी। तहरीर चौक पर बाकी बचे प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए सोमवार को सैन्य पुलिस को लगाया गया। कुछ प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया गया। उल्लेखनीय है कि मिस्र में लगातार 18 दिनों तक सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक ने शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया था। मिस्र में हालात सामान्य करने के प्रयास के तहत सरकारी बैंकों में सोमवार को अवकाश घोषित किया गया है, क्योंकि बैंक कर्मचारियों ने देश के मुख्य स्टेट बैंक के संचालन में व्यवधान पैदा किया। समाचार चैनल 'अल जजीरा' के अनुसार चूंकि मंगलवार को सार्वजनिक छुट्टी है, लिहाजा अब बैंक बुधवार को खुलेंगे। दरअसल, विरोध प्रदर्शनों के कारण मिली कामयाबी से उत्साहित अब कुछ कर्मचारी अपने अधिकारियों को हटाना चाहते हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि कम्पनियों में अधिकारियों और उनके वेतन में भारी अंतर है। प्रमुख कार्यकर्ता वाएल गोनिम ने कहा कि रविवार को सेना और युवा प्रतिनिधियों के बीच एक उत्साहजनक बैठक हुई थी। गोनिम ने कहा, "सेना ने कहा कि भ्रष्ट लोगों को छोड़ा नहीं जाएगा, चाहे वे किसी भी पद पर क्यों न हों।" गोनिम ने कहा, "हम इस क्रांति की उपलब्धियों को बचाने और अपने विचारों को जाहिर करने के मिस्र के युवकों के अधिकारों का अभूतपूर्व सम्मान करने की आकांक्षा महसूस करते हैं।" एक सरकारी चैनल पर रविवार को एक बयान में सशस्त्र सेनाओं की उच्च परिषद ने कहा था कि संविधान को रद्द कर दिया जाएगा और नया संवैधानिक मसौदा तैयार करने के लिए एक नई समिति गठित की जाएगी। इसके बाद जनमत संग्रह कराया जाएगा। मिस्र के पुराने संविधान के मुताबिक कई राजनीतिक दल और समूह चुनाव में हिस्सा लेने से वंचित थे। इसमें केवल मुबारक की वफादार पार्टी 'नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी' भाग लेती थी। कार्यवाहक प्रधानमंत्री अहमद शफीक ने कहा है कि देश की सुरक्षा व्यवस्था बहाल करना उनकी पहली प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, "हमारा मुख्य उद्देश्य सुरक्षा व्यवस्था बहाल करना है। मिस्रवासियों में सुरक्षा की भावना को वापस लाने की जरूरत है।" उत्तरी शहर अलेक्जेड्रिया में भी लोगों ने अपने-अपने काम पर जाना शुरू कर दिया है। लेकिन विरोध प्रदर्शन के आयोजकों ने चेतावनी दी है कि यदि सैन्य परिषद ने सुधार के उनके एजेंडे को स्वीकार नहीं किया तो वे फिर से रैलियां निकालेंगे। एक प्रदर्शनकारी नेता सफात हेगाजी ने कहा, "यदि सेना हमारी मांगे नहीं पूरी करती, तो हम दोबारा तीव्र विद्रोह करेंगे।"