प्रतीकात्मक तस्वीर
काहिरा:
सार्वजनिक स्तर पर लोगों के विरोध के बाद मिस्र के अधिकारियों ने यह स्वीकार किया है कि एक सैन्य अदालत ने गलती से एक चार साल के बच्चे को आजीवन कारावास की सजा सुना दी थी। यह सजा बच्चे को एक हत्या के जुर्म में दी गई। जब यह हत्या हुई थी, उस समय बच्चा महज एक साल का था।
अहमद मंसूर कोरानी नाम के बच्चे को उसकी गैरमौजूदगी में हत्या, हत्या की कोशिश, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, शांति के लिए खतरा पैदा करने और पुलिस अधिकारी को धमकी देने के जुर्म में सजा दी गई।
उसके पिता ने हाल ही में मिस्र के एक चैनल पर घटना के बारे में बताया। उन्हें जांच के दौरान चार महीने तक हिरासत में रखा गया था। साक्षात्कार के दौरान बच्चे के पिता अपने बच्चे को मजबूती से पकड़े हुए थे और नाइंसाफी की बात बता रहे थे। वह डरे हुए थे। उन्हें डर है कि अधिकारी कहीं उनके बच्चे को छीनकर न ले जाएं।
बच्चे के पिता ने रोते हुए कहा, 'मैं एक गरीब मजबूर आदमी हूं। मैं इसी मिट्टी की पैदाइश हूं और मेरा इरादा किसी को भी नुकसान पहुंचाने का नहीं है। मैं नहीं चाहता कि कोई मेरे बेटे को मुझसे छीनकर ले जाए।'
बचाव पक्ष के वकील महमूद अबू काफ ने अल अरबिया न्यूज चैनल को बताया कि उन्होंने अभियोजन पक्ष के सामने बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र रखा था, लेकिन न्यायाधीशों ने उसे मानने से इनकार कर दिया।
चैनल पर साक्षात्कार के बाद हंगामा मच गया। सोशल मीडिया पर फैसले की निंदा शुरू हो गई। इसके बाद सेना के प्रवक्ता ने कहा कि 'गलती' हुई है। बच्चे का नाम आरोपियों की एक ऐसी सूची में शामिल हो गया था, जिसमें शामिल सभी नामों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
यह साफ नहीं हो सका है कि 'गलती' को सुधारने के लिए क्या किया जा रहा है।
अहमद मंसूर कोरानी नाम के बच्चे को उसकी गैरमौजूदगी में हत्या, हत्या की कोशिश, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, शांति के लिए खतरा पैदा करने और पुलिस अधिकारी को धमकी देने के जुर्म में सजा दी गई।
उसके पिता ने हाल ही में मिस्र के एक चैनल पर घटना के बारे में बताया। उन्हें जांच के दौरान चार महीने तक हिरासत में रखा गया था। साक्षात्कार के दौरान बच्चे के पिता अपने बच्चे को मजबूती से पकड़े हुए थे और नाइंसाफी की बात बता रहे थे। वह डरे हुए थे। उन्हें डर है कि अधिकारी कहीं उनके बच्चे को छीनकर न ले जाएं।
बच्चे के पिता ने रोते हुए कहा, 'मैं एक गरीब मजबूर आदमी हूं। मैं इसी मिट्टी की पैदाइश हूं और मेरा इरादा किसी को भी नुकसान पहुंचाने का नहीं है। मैं नहीं चाहता कि कोई मेरे बेटे को मुझसे छीनकर ले जाए।'
बचाव पक्ष के वकील महमूद अबू काफ ने अल अरबिया न्यूज चैनल को बताया कि उन्होंने अभियोजन पक्ष के सामने बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र रखा था, लेकिन न्यायाधीशों ने उसे मानने से इनकार कर दिया।
चैनल पर साक्षात्कार के बाद हंगामा मच गया। सोशल मीडिया पर फैसले की निंदा शुरू हो गई। इसके बाद सेना के प्रवक्ता ने कहा कि 'गलती' हुई है। बच्चे का नाम आरोपियों की एक ऐसी सूची में शामिल हो गया था, जिसमें शामिल सभी नामों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
यह साफ नहीं हो सका है कि 'गलती' को सुधारने के लिए क्या किया जा रहा है।
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