काहिरा:
मिस्र में पिछले 30 वर्षो से सत्ता पर काबिज राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक शीघ्र इस्तीफा दे सकते हैं। प्रधानमंत्री अहमद शफीक ने गुरुवार को कहा कि इस संबंध में जल्दी स्पटीकरण किया जाएगा। इससे पहले मिस्र की जनता द्वारा देशव्यापी आंदोलन के मद्देनजर गुरुवार को सेना की सर्वोच्च परिषद ने हालात की समीक्षा की के लिए बैठक की। बीबीसी ने सत्ताधारी नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी के महासचिव हसाम बद्रावी के हवाले से बताया कि ऐसी संभावना है कि मुबारक गुरुवार को देर रात तक उपराष्ट्रपति उमर सुलेमान को सत्ता सौंप सकते हैं। इससे पहले मुबारक के भविष्य का फैसला करने के लिए सेना की सर्वोच्च परिषद बैठक हुई। चैनल 4 न्यूज के मुताबिक मिस्र के सेना कमांडर हसन अल रोवेनी ने काहिरा के तहरीर चौक पर प्रदर्शनकारियों से कहा, आप जो भी चाहते हैं, उसे महसूस किया गया है। सेना ने कहा है कि वह हालात पर लगातार नजर बनाए हुए है। उल्लेखनीय है कि मुबारक के इस्तीफे की मांग को लेकर पिछले दो सप्ताह से देशव्यापी आंदोलन जारी है। अब इस जनविद्रोह में आम लोगों के साथ ही श्रम संगठन, वकील और डॉक्टर भी कूद पड़े हैं। आंदोलन में सभी वर्गों के लोगों के शामिल हो जाने से मुबारक पर पद छोड़ने का दबाव लगातार बढ़ता गया। पिछले दो सप्ताह में आंदोलन के बढ़ने के साथ ही मुबारक ने गद्दी बचाने के लिए कई सुधारों और सत्ता हस्तांतरण के लिए संविधान की समीक्षा के लिए समिति गठित करने जैसे कदम उठाने की बात कही, लेकिन प्रदर्शनकारी मुबारक के इस्तीफे से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं। राजधानी काहिरा के तहरीर चौक पर पिछले 17 दिनों से डटे हजारों प्रदर्शनकारियों को जहां बुधवार को श्रम संगठनों का समर्थन मिला, वहीं अब उन्हें वकीलों, चिकित्साकर्मियों और सरकारी कर्मचारियों का समर्थन भी मिलने लगा है। गुरुवार को चिकित्साकर्मियों ने काम छोड़कर प्रदर्शन में हिस्सा लिया। काहिरा के एक महत्वपूर्ण अस्पताल के करीब 3000 कर्मचारी हड़ताल पर चले गए और उन्होंने काम छोड़कर प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसकी वजह से अस्पताल में कामकाज नहीं हो सका। इससे पहले बुधवार को करीब 3,000 रेलवे कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। मुबारक के इस्तीफे, राजनीतिक सुधारों और ज्यादा वेतन की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन पिछले 25 जनवरी से निरंतर जारी है। इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को एक बार फिर विशाल प्रदर्शन करने की घोषणा की। इससे पहले उन्होंने 2 फरवरी को 10 लाख लोगों की रैली निकाली थी। इस बीच न्यायिक समिति ने संविधान के छह अनुच्छेदों में संशोधन पर अपनी सहमति दी है, जिसमें राष्ट्रपति के कार्यकाल की अवधि सीमित करने और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को तय करने के लिए योग्यता सूची को बढ़ाने की बात कही गई है, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने मुबारक के इस्तीफे की मांग की है और उन्होंने साफ कर दिया है कि इसके अलावा वह किसी समझौते को नहीं मानेंगे। देश में हालात सामान्य बनाने की कोशिशों के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने उपराष्ट्रपति की उस चेतावनी को दरकिनार किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि यदि विपक्षी दलों से वार्ता असफल होती है तो तख्तापलट होने का खतरा है। विपक्षी पार्टी 'मुस्लिम ब्रदरहुड' ने हाल ही में कहा था कि सरकार के साथ बातचीत अनिर्णीत रही है और इसे स्थगित रखा गया है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 25 जनवरी के बाद से चल रहे विरोध प्रदर्शनों में देश में अब तक 300 लोगों की मौत हो चुकी है।
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