नशीले पदार्थों के खिलाफ मुहिम चलाने वाले एक अमेरिकी समूह ने कहा है कि भारत में ई-सिगरेट (E-Cigarette) को प्रतिबंधित करना ‘‘ऐतिहासिक '' फैसला. भारत युवाओं को इस समस्या से बचाने की लड़ाई में विश्व में अग्रणी बन गया है.
‘कैम्पेन फॉर टोबैको-फ्री किड्स' (Campaign For Tobacco Free Kids) के अध्यक्ष मैथ्यू एल मेयर्स ने कहा कि राष्ट्र भर में ई-सिगरेट की बिक्री, उत्पादन, निर्यात और विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाने का भारत का फैसला युवाओं को निकोटिन की लत से बचाने की दिशा में ‘‘साहसिक कदम'' है.
उन्होंने भारत में ई-सिगरेट की लत से युवाओं को बचाने के संबंध में लिए गए सरकार के इस निर्णायक कदम की सराहना की.
दुनियाभर के देशों में ई-सिगरेट के तेजी से पहुंचने के कारण उन सरकारों को नयी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जो युवाओं को नशे की लत से बचाने और तम्बाकू का इस्तेमाल कम करने को लेकर समर्पित हैं.
समूह ने एक बयान में कहा, ‘‘यह प्रतिबंध भारत और दुनिया के लिए ऐतिहासिक है. युवाओं को ई-सिगरेट की लत से बचाने की लड़ाई में भारत विश्व में अग्रणी बन गया है.''
मेयर्स ने कहा कि युवाओं के लिए ई-सिगरेट का प्रयोग गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि निकोटिन का किसी भी रूप में इस्तेमाल नुकसानदेह है.
उन्होंने कहा कि अमेरिका में ई-सिगरेट का प्रयोग महामारी की तरह बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि सभी देशों को युवाओं के बीच इसके प्रयोग को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए.
उल्लेखनीय है कि सरकार ने 18 सितंबर को इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (Electronic Cigarette) यानी ई- सिगरेट के उत्पादन, बिक्री, भंडारण और आयात- निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया है. इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये अध्यादेश लाया जायेगा.
इसका उल्लंघन करने पर सजा का भी प्रावधान किया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का निर्णय किया गया.
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