- मिडिल ईस्ट में यमन में UAE की खेप पर सऊदी बमबारी के बाद अब अमेरिका-ईरान में जुबानी जंग शुरू हो गई है
- इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मुलाकात के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान को सीधी चुनौती दे दी है
- अमेरिका ने जून में ईरान के तीन बड़े न्यूक्लियर ठिकानों नतांज, फोर्डो और इस्फहान पर हमले किए थे
मिडिल ईस्ट में तनाव फिर से बढ़ गया है. दो मोर्चों पर युद्ध के बादल गहरा गए हैं. एक तरफ यमन को लेकर सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे पुराने सहयोगियों के बीच ठन गई है, वहीं अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सीधी चेतावनी के बाद ईरान ने भी कड़े तेवर अपना लिए हैं. ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने साफ कहा है कि उनके देश पर होने वाले किसी भी हमले का नतीजा हमलावर के लिए बेहद दर्दनाक होगा.
नेतन्याहू से मुलाकात के बाद ट्रंप की धमकी
फ्लोरिडा में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मुलाकात के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान को सीधी चुनौती दी. उन्होंने कहा कि अगर तेहरान ने अपना बर्ताव नहीं सुधारा और परमाणु या मिसाइल कार्यक्रम को आगे बढ़ाया तो इसके नतीजे पिछली बार से भी ज्यादा खतरनाक होंगे. ट्रंप ने साफ कहा कि कि अगर ईरान अपनी परमाणु क्षमताओं को बढ़ाता है तो वह इजरायली सैन्य कार्रवाई का समर्थन करेंगे.
ईरान का जबाव- हमला किया तो पछताएंगे
ट्रंप की चेतावनी के कुछ ही घंटों के अंदर ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने सोशल मीडिया के जरिए इसका कड़ा जबाव दिया. उन्होंने दावा किया है कि ईरान किसी भी हमले का कड़ा जवाब देने को तैयार है. बिना किसी का नाम लिए उन्होंने कहा कि ईरान का जवाब इतना कड़ा होगा कि हमलावर को अपने किए पर पछतावा होगा.
जून में 24 दिनों तक चली थी जंग
13 जून 2025 को इजरायल ने ईरान के कथित न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया था. लगातार 12 दिनों तक सैन्य, परमाणु और रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया गया था. बाद में अमेरिका ने 22 जून को नतांज, फोर्डो और इस्फहान में ईरान के तीन न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला बोला. इसकी वजह से 24 दिनों तक जंग के हालात रहे थे, उसके बाद सीजफायर का ऐलान किया गया था.
यमन में सऊदी बमबारी, UAE से संबंध बिगड़े
इधर सऊदी अरब ने मंगलवार को यमन की बंदरगाह सिटी मुकल्ला पर हवाई हमला किया. सऊदी अरब का दावा है कि उसने यूएई से आए हथियारों और सैन्य वाहनों की उस खेप को नष्ट कर दिया है, जो अलगाववादी समूह सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC) के लिए भेजी गई थी. सऊदी ने यूएई के इस कदम को क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए बेहद खतरनाक करार दिया.
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यमन में दक्षिणी अलगाववादी गुट सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (एसटीसी) ने हाल ही में यूएई समर्थित हदरामौत और महरा प्रांतों के बड़े हिस्सों पर कब्जा कर लिया था. इसके जवाब में पीएलसी ने ये कदम उठाया. इस टकराव से पहले से ही टूटी-फूटी यमनी सरकार के टूटने का खतरा बढ़ गया है, जिसके अलग-अलग गुटों को सऊदी अरब और यूएई का समर्थन हासिल है.
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