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ट्रंप के खिलाफ No Kings प्रदर्शन में लोगों ने पीले रंग के बैनर पोस्टर क्यों लिए हुए थे, दूसरे आंदोलनों से नाता

No Kings Protest: अमेरिका में लाखों लोगों ने “नो किंग्स” के बैनर तले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लिया है. इस विरोध प्रदर्शन में लोग पीला बैनर-पोस्टर लेकर क्यों आ रहे हैं?

ट्रंप के खिलाफ No Kings प्रदर्शन में लोगों ने पीले रंग के बैनर पोस्टर क्यों लिए हुए थे, दूसरे आंदोलनों से नाता
  • अमेरिका में “नो किंग्स” विरोध प्रदर्शन में लाखों लोग शामिल, ट्रंप के सत्तावाद के खिलाफ यह आंदोलन
  • ट्रंप की कुर्सी पर वापसी के बाद यह दूसरा बड़ा विरोध प्रदर्शन थी और जून के पहले प्रदर्शन से कहीं अधिक भीड़ वाला
  • पीले रंग को विरोध का रंग बनाया गया है. यह सत्तावाद के खिलाफ ऐतिहासिक अहिंसक संघर्ष और एकता का प्रतीक है
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अमेरिका भर में उत्तर सीमा से दक्षिण सीमा तक लाखों लोगों ने “नो किंग्स” के बैनर तले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लिया है. लोगों ने ट्रंप पर देश को सत्तावादी रास्ते पर ले जाने का आरोप लगाया और सवाल किया है कि लोकतंत्र में कोई अपने आप को ऐसा राजा कैसे मान सकता है जो अपनी मर्जी में जो आए, वो करता जाए. डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा प्रायोजित यह विरोध प्रदर्शन जून में हुए पहले "नो किंग्स प्रोटेस्ट" के बाद दूसरा था, और इस बार भीड़ कहीं ज्यादा थी. CNN ने आयोजकों के हवाले से रविवार को बताया कि नो किंग्स प्रोटेस्ट में लगभग 70 लाख प्रदर्शनकारियों ने भाग लिया.

हालांकि इसमें एक खास बात यह है कि इन प्रदर्शनों में भाग लेने वाले लोगों ने पीले रंग को अपने विरोध का रंग बनाया, विरोध प्रदर्शन में लोग इस रंग के बैनर पोस्टर लेकर शामिल हुए. सवाल है कि क्यों. यहां आपको इस रंग का दूसरे बड़े विरोध प्रदर्शन से कनेक्सन भी बताएंगे. पहले बताते हैं कि अमेरिका में यह ‘नो किंग्स' थीम का विरोध प्रदर्शन क्यों शुरू हुआ है.

अमेरिका में ‘नो किंग्स' प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं? 

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"नो किंग्स" थीम का उद्देश्य उन ब्रिटिश-विरोधी विरोध प्रदर्शनों को याद दिलाना है जिनके कारण अमेरिका का जन्म हुआ, राजशाही और निरंकुशता का त्याग किया गया, और एक गणतांत्रिक शासन प्रणाली को अपनाया गया. अमेरिका के प्रदर्शकारी लोगों का कहना है कि जिस राजशाही को छोड़ हमने इस अमेरिका में लोकतंत्र को अपनाया, ट्रंप उसी राजशाही को लागू करने का सपना देश रहे हैं.

हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप ने इस बात से इनकार किया कि उनकी कोई शाही महत्वाकांक्षा है या वे किसी राजा की तरह व्यवहार कर रहे हैं. उन्होंने फॉक्स बिजनेस टीवी के एक इंटरव्यू लेने वाले से कहा, "वे मुझे राजा कह रहे हैं. मैं राजा नहीं हूं."

No Kings प्रदर्शन में लोगों ने पीले रंग के बैनर पोस्टर क्यों लिए हुए थे?

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यह जानने के लिए हम No Kings विरोध प्रदर्शन के आयोजकों की वेबसाइट पर गए. यहां इस विरोध प्रदर्शन और पीले रंग के कनेक्शन के बारे में बताया गया है. इसमें एक कार्ड पर इस सवाल का जवाब दिया गया है कि ‘हम पीला रंग क्यों पहनते हैं'. इसमें लिखा गया है, “इस शासन के खिलाफ आंदोलन में लाखों लोगों का एक साथ आना हमारी स्वतंत्रता, हमारे परिवारों और हमारे भविष्य के लिए हमारी सबसे बड़ी आशा है. महीनों से, ऑनलाइन और सड़कों पर लोग उस एकता को दिखाने के लिए एक सरल, साझा तरीके का आह्वान कर रहे हैं. कुछ ऐसा, जिसे कोई भी, कहीं भी, दूसरों के साथ दिखा और साझा कर सकता है. पूरे इतिहास में, जो लोग सत्तावादी शासन के विरोध में एक साथ आए हैं, उन्होंने एक ऐसे रंग का उपयोग किया है जिसे हजारों लोगों के समुद्र के बीच देखना आसान है. ऐसे में पीला रंग एक उज्ज्वल, बिना चूके इस बात की याद दिलाता है कि अमेरिका के लाखों लोग इस विश्वास के साथ एक साथ खड़े हैं कि अमेरिका अपने लोगों का है, राजाओं का नहीं.”

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विरोध के इस रंग के पीछे का इतिहास भी बताया गया है कि कैसे दूसरे देशों के विरोध-प्रदर्शन में इस रंग का इस्तेमाल हुआ है. बताया गया है कि हांगकांग में प्रदर्शनकारियों ने पीली छतरियां लेकर विरोध प्रदर्शन किया था. यह पीला छाता ही हिंसा और दमन के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रतिरोध का एक ज्वलंत प्रतीक बन गया. पीला रिबन एशिया में आशा, जवाबदेही और प्रणालीगत सुधार का प्रतीक बना. दक्षिण कोरिया की सिवोल नौका त्रासदी के बाद, पीले रिबन ही सरकारी पारदर्शिता और न्याय की मांग करने वाले विरोध के प्रतीकों में विकसित हुए. इसी तरह पूर्वी यूक्रेन में "येलो रिबन" आंदोलन फिर से शुरू हुआ है.

ऐसे में 'नो किंग्स' आंदोलन के आयोजकों का कहना है कि आक्रमण के बीच प्रतिरोध और राष्ट्रीय आत्मनिर्णय के संकेत के रूप में पीले रंग को चुना गया है. "पीला रंग चुनकर, हम खुद को इस ऐतिहासिक संदर्भ के साथ जोड़ते हैं. यह एक दृश्यमान, आशावादी बैनर है जो लोकतांत्रिक संघर्ष, अहिंसक असहमति का वजन रखता है, और एक रिमाइंडर है कि शक्ति लोगों से उत्पन्न होनी चाहिए, ताज से नहीं."

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