अमेरिका की एक अदालत ने भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को राहत देते हुए उनके खिलाफ लगे वीजा धोखाधड़ी के अभियोग को खारिज करने की उनकी अर्जी स्वीकार कर ली। अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि देवयानी पर जब 9 जनवरी को अभियोग का ब्योरा आया तब उन्हें पूर्ण राजनयिक छूट प्राप्त थी।
अपने 14 पन्नों के आदेश में अमेरिकी जिला न्यायाधीश शिरा शेंडलीन ने कहा कि यह बात ‘निर्विवादित’ है कि देवयानी को 8 जनवरी को शाम 5 बजकर 47 मिनट पर विदेश विभाग से पूर्ण राजनयिक छूट प्राप्त हुई थी। न्यायाधीश ने कहा कि 9 जनवरी को भारत जाने तक देवयानी को छूट मिली हुई थी।
न्यायाधीश ने कहा, अगर देवयानी को गिरफ्तारी के समय या अब भी छूट नहीं हासिल है, तब भी अदालत की कार्यवाहियों के लंबित होने के दौरान उनके राजनयिक छूट हासिल करने से अभियोग खारिज होता है। न्यायाधीश ने कहा कि अभियोग दोबारा लगाए जाने के बाद 9 जनवरी को देवयानी अदालत के समक्ष पेश हुईं और मामला खारिज करने की अपील की।
आदेश में कहा गया, चूंकि अदालत के पास उस समय और अभियोग का ब्यौरा लाए जाने के समय देवयानी को लेकर न्यायाधिकार नहीं था, उनकी याचिका मंजूर की जानी चाहिए। न्यायाधीश ने कहा, राजनयिक छूट के आधार पर अभियोग खारिज करने की देवयानी की याचिका स्वीकार की जाती है। देवयानी की जमानत की शर्तों को खत्म किया जाता है और उनके मुचलके को बहाल किया जाता है। यह आदेश दिया जाता है कि इस अभियोग के आधार पर दिए गए गिरफ्तारी के वारंट रद्द किए जाएं।
न्यायाधीश ने कहा कि देवयानी ने 26 अक्तूबर, 2012 से 8 जनवरी, 2014 के बीच अमेरिका में वाणिज्य दूतावास के अधिकारी के तौर पर काम किया था। इस पद की वजह से उन्हें महावाणिज्यिक संबंधों के विएना सम्मेलन के तहत ‘महावाणिज्यिक छूट मिली हुई थी। खोबरागड़े ने कहा था कि उन्हें संयुक्त राष्ट्र में विशेष सलाहकार के तौर पर नियुक्ति से 26 अगस्त, 2013 को अतिरिक्त रूप से राजनयिक छूट मिली थी और यह छूट कम से कम 31 दिसंबर, 2013 तक जारी थी।
अमेरिकी सरकार ने दलील दी कि अभियोग खारिज नहीं किया जाए, क्योंकि गिरफ्तारी के समय देवयानी को राजनयिक छूट हासिल नहीं थी और वर्तमान में भी उन्हें छूट हासिल नहीं है।
39 वर्षीय देवयानी को पिछले साल 12 दिसंबर को वीजा धोखाधड़ी और अपनी नौकरानी संगीता रिचर्ड के वीजा आवेदन को लेकर गलत जानकारी देने के आरोपों को लेकर गिरफ्तार किया गया था। कपड़े उतारकर उनकी तलाशी ली गई और उन्हें अपराधियों के साथ रखा गया।
इस मामले को लेकर भारत और अमेरिका के बीच राजनयिक विवाद बढ़ गया और भारत ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए विशेष श्रेणी के अमेरिकी राजनयिकों को मिलने वाले विशेषाधिकार कम करने समेत कई कदम उठाए।
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