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बस एक खुराक से डेंगू का खात्मा! इस देश ने बना ली दुनिया की पहली सिंगल डोज वैक्सीन

बुटानटन संस्थान द्वारा विकसित बुटानटन-डीवी के इस्तेमाल को 12 से 59 वर्ष की आयु के लोगों के लिए अधिकृत किया गया है. संस्थान के निदेशक एस्पर कैलस ने कहा कि यह बाजील में विज्ञान और स्वास्थ्य के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.

बस एक खुराक से डेंगू का खात्मा! इस देश ने बना ली दुनिया की पहली सिंगल डोज वैक्सीन
  • ब्राजील के अधिकारियों ने दुनिया की पहली सिंगल डोज डेंगू वैक्‍सीन को मंजूरी दे दी है.
  • बुटानटन संस्थान द्वारा विकसित बुटानटन-डीवी को 12 से 59 वर्ष की आयु के लोगों के लिए अधिकृत किया गया है.
  • डेंगू के वैश्विक मामले 2024 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए. जलवायु परिवर्तन को इसका मुख्य कारण माना गया.
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ब्राजील :

दुनिया भर में हर साल डेंगू के कारण हजारों लोगों की जान चली जाती है और इससे बचाव के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. हालांकि अब ब्राजील के अधिकारियों ने दुनिया की पहली सिंगल डोज डेंगू वैक्‍सीन को मंजूरी दे दी है. दुनिया भर में बढ़ते तापमान के कारण मच्छरजनित इस बीमारी के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं, ऐसे में उन्‍होंने वैक्‍सीन को मंजूरी मिलने को ऐतिहासिक बताया है.  डेंगू के लक्षणों में तेज बुखार, भीषण थकान और शरीर में दर्द प्रमुख हैं. डेंगू 2024 में वैश्विक स्तर पर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था और शोधकर्ताओं ने इसके प्रसार का कारण जलवायु परिवर्तन को बताया है. 

ब्राजील की स्वास्थ्य नियामक एजेंसी ANVISA ने साओ पाउलो स्थित बुटानटन संस्थान द्वारा विकसित बुटानटन-डीवी के इस्तेमाल को 12 से 59 वर्ष की आयु के लोगों के लिए अधिकृत कर दिया है. 

8 सालों के परीक्षण के बाद विक‍सित की वैक्‍सीन

वर्तमान में दुनिया भर में उपलब्ध एकमात्र डेंगू वैक्सीन TAK-003 है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, इसकी तीन महीने के अंतराल पर दो खुराकें देनी होती हैं.

उम्‍मीद की जा रही है कि ब्राजील में आठ सालों के परीक्षणों के बाद विकसित की गई इस सिंगल डोज के बाद टीकाकरण अभियान और तेज होंगे.  

डेंगू ने हमें दशकों तक परेशान किया: कैलस

सार्वजनिक अनुसंधान केंद्र बुटानटन संस्थान के निदेशक एस्पर कैलस ने साओ पाउलो में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "यह बाजील में विज्ञान और स्वास्थ्य के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है."

उन्होंने कहा, "यह एक ऐसी बीमारी है, जिसने हमें दशकों परेशान किया है. अब एक बहुत ही शक्तिशाली हथियार से लड़ी जा सकती है."

वैक्‍सीन के 91.6 फीसदी प्रभावी होने का दावा 

नए टीके ने 16,000 से ज्‍यादा स्वयंसेवकों पर किए गए क्लिनिक ट्रायल के दौरान गंभीर डेंगू के खिलाफ 91.6 प्रतिशत प्रभावी साबित हुई है.  

डेंगू के अप्रिय लक्षणों के कारण इसे "हड्डी तोड़ बुखार" उपनाम दिया गया है. गंभीर मामलों में यह रक्तस्रावी बुखार और मृत्यु का कारण बन सकता है. 

यह संक्रमित एडीज मच्छरों द्वारा फैलता है, जो अपने सामान्य क्षेत्रों से आगे बढ़ गए हैं, जिसके कारण यूरोप या अमेरिका के उन हिस्सों में डेंगू के मामले सामने आए हैं जहां ये आमतौर पर नहीं पाए जाते थे. 

2024 में डेंगू से 12 हजार मौतें: WHO

वैश्विक स्‍तर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 2024 में 1.46 करोड़ से ज्‍यादा मामले और करीब 12,000 मौतों के मामले सामने आए हैं, जो अब तक के सबसे ज्‍यादा आंकड़े हैं. इनमें से आधी मौतें ब्राजील में हुई हैं. 

अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 2024 में एक अध्ययन प्रकाशित किया था, जिसमें अनुमान लगाया गया  कि उस वर्ष डेंगू के 19 प्रतिशत मामलों के लिए ग्लोबल वार्मिंग जिम्‍मेदार थी. 

ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्री एलेक्जेंडर पैडिल्हा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि ब्राजील ने 2026 की दूसरी छमाही में वैक्सीन की करीब 3 करोड़ खुराकें देने के लिए चीनी कंपनी वूशी बायोलॉजिक्स के साथ एक समझौता किया है. 
 

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