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This Article is From Nov 12, 2016

वायु प्रदूषण को लेकर दुनिया के लिए खतरे की घंटी है दिल्ली : यूनीसेफ

वायु प्रदूषण को लेकर दुनिया के लिए खतरे की घंटी है दिल्ली : यूनीसेफ
  • दिल्ली में धुंध और दैनिक जीवन पर असर सामान्य बात बन जाएगी
  • यूनिसेफ ने कहा दिल्ली में बच्चों की दिक्कत हर सांस के साथ बढ़ रही है
  • दिल्ली में बच्चों की दिक्कत हर सांस के साथ बढ़ रही है
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नई दिल्ली: बच्चों के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूनीसेफ ने कहा कि नयी दिल्ली में ‘रिकॉर्ड स्तर पर उच्च’वायु प्रदूषण दुनिया के लिए ‘खतरे की घंटी’ है. यूनीसेफ ने कहा कि अगर वायु प्रदूषण कम करने के लिए निर्णायक कदम नहीं उठाए गए तो भारत की राजधानी में धुंध और इसके नागरिकों के दैनिक जीवन पर पड़ने वाला प्रतिकूल प्रभाव सामान्य बात बन जाएगी. एक बयान में कहा गया कि दिल्ली में बच्चों की दिक्कत हर सांस के साथ बढ़ रही है. दिल्ली वायु प्रदूषण को लेकर विश्व के लिए खतरे की घंटी है. यह उन सभी देशों और शहरों के लिए खतरे की घंटी है जहां वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के कारण बच्चों की मौत हुई है और वे बीमार हुए हैं.’

उन्होंने एक बयान में कहा कि‘यह खतरे की घंटी है जो हमें बहुत स्पष्ट रूप से बता रही है कि यदि वायु प्रदूषण कम करने के लिए निर्णायक कदम नहीं उठाए गए तो दिल्ली में हमने पिछले सप्ताह जो घटनाएं देखीं वे बहुत तेजी से आम हो सकती हैं.’दीपावली के बाद पिछले हफ्ते नी दिल्ली में रिकॉर्ड उच्च स्तर पर वायु प्रदूषण देखा गया. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने कहा कि ऐसा बताया जा रहा है कि राजधानी में 17 साल में अब तक की सर्वाधिक धुंध रही जिसके कारण शहर में 5000 से अधिक स्कूलों को बंद करना पड़ा ताकि वायु प्रदूषण के कारण बच्चों को हो सकने वाले नुकसान को कम किया जा सके. इसी वजह से 44 लाख 10 हजार बच्चे तीन दिन तक स्कूल नहीं जा पाए.

एजेंसी ने सतर्क करते हुए कहा कि निमोनिया के कारण हर साल पांच साल से कम उम्र के करीब 10 लाख बच्चों की मौत हो जाती है और इनमें से करीब आधे मामले सीधे वायु प्रदूषण से जुड़े हैं. उसने कहा ‘वाराणसी और लखनऊ जैसे भारत के अन्य शहरों में भी वायु प्रदूषण का स्तर हाल के दिनों में उतना ही अधिक रहा है. पिछले एक साल में लंदन, बीजिंग, मेक्सिको सिटी, लास एंजिलिस और मनीला में वायु प्रदूषण का स्तर अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों की सीमा पार गया है.’यूनीसेफ ने हाल के विश्लेषण में कहा था कि विश्व में 30 करोड़ बच्चे ऐसे इलाकों में रहते हैं जहां वायु प्रदूषण का सबसे जहरीला स्तर है जो कि अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों से छह गुणा अधिक है. उसने जोर दिया कि देशों को वायु प्रदूषण के स्रोतों में कटौती करने के कड़े कदम उठाने चाहिए. वायु प्रदूषण को सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता और यह सभी क्षेत्रों में फैलता है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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