प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ (फाइल फोटो)
न्यूयॉर्क:
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के कश्मीर मुद्दा उठाए जाने के बाद भारत ने नवाज़ शरीफ पर वास्तविकता के साथ छेड़छाड़ करने और क्षेत्र की चुनौतियों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया है।
जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन के प्रथम सचिव अभिषेक सिंह ने कहा 'शरीफ का पाकिस्तान को आंतकवाद का प्रमुख पीड़ित बताना गलत है। मामले का केंद्रबिन्दु एक देश है जो आतंकवाद का इस्तेमाल शासन के वैध औजार के रूप में करता है ।
इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट करते हुए कहा 'कश्मीर में सेना हटाने में नहीं, पाकिस्तान से आतंकवाद मिटाने में हल छुपा है।'
संबोधन में शरीफ ने कश्मीर मुद्दे का समाधान न होने को संयुक्त राष्ट्र की असफलता बताते हुए चार सूत्री 'शांति पहल' का भी प्रस्ताव दिया, जिसमें कश्मीर के विसैन्यीकरण और सियाचिन से बलों की बिना शर्त वापसी शामिल है।
'दूसरों पर जिम्मेदारी डालना आसान'
अभिषेक सिंह ने कहा कि विश्व चिंता के साथ देख रहा है क्योंकि आतंकवाद के परिणाम अब पाकिस्तान के तात्कालिक पड़ोसी देश तक फैल रहे हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर संघषर्विराम उल्लंघन का मुद्दा उठाए जाने के जवाब में सिंह ने कहा कि दुनिया जानती है कि 'गोलीबारी का प्रमुख कारण आतंकवादियों को सीमा पार कराने के लिए ढाल की तरह काम करना है। उन्होंने कहा कि देशों के लिए नया नहीं है कि जब वह गंभीर चुनौतियों का सामना करते हैं तो वह जिम्मेदारी दूसरों पर डालते हैं।'
सिंह ने यह भी कहा 'यही स्थिति पाकिस्तान और आतंकवाद के मामले में है जिसे यह मानने में अक्षमता झलकती है कि यह घर से ही पैदा हुई समस्या है और इसने उसी हाथ को डसना शुरू कर दिया है जिसने उसे ही पाला और पोसा है।
उन्होंने प्रस्तावित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को लेकर भारत की आपत्तियों को रेखांकित किया और कहा कि यह पाकिस्तान द्वारा 'अवैध रूप से कब्जाए गए' भारतीय क्षेत्र से होकर गुजरता है।
शरीफ द्वारा यह कहे जाने पर कि जम्मू-कश्मीर का मुद्दा अनसुलझा है और वार्ता आगे नहीं बढ़ी है, सिंह ने कहा 'ऐसा इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान ने अपने वादों को निभाया नहीं है, फिर चाहे यह वर्ष 1972 का शिमला समझौता हो या फिर आतंकवाद को समाप्त करने के लिए वर्ष 2004 में हुई संयुक्त घोषणा। और ऐसा ही हाल उफा में दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच बनी सहमति का रहा है।'
'पाक तो खुद आतंकवाद का शिकार'
शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान तो खुद आतंकवाद का मारा है जिस पर स्वरूप ने ट्वीट किया 'पाकिस्तान, आतंकवाद का नहीं अपनी नीतियों का शिकार है। पाक तो आतंकवाद का मुख्य आर्थिक संरक्षक है।'
स्वरूप ने यह भी ट्वीट किया कि आतंकियों का पोषण करना ही पाकिस्तान की अस्थिरता की वजह है। पड़ोसियों को दोष देने से कुछ नहीं होगा।
दुनिया भर में मुसलमानों की तकलीफों के बारे में बात करते हुए शरीफ ने कश्मीर की फलस्तीन से तुलना करते हुए कहा था कि 'फलस्तीनी और कश्मीरियों को विदेशी कब्ज़े से दबाया जा रहा है।'
इसका जवाब में स्वरूप ने चुटकी लेते हुए ट्वीट किया 'पाक पीएम ने बाहरी कब्ज़ें की बात सही कही है लेकिन कब्ज़ा करने वाला कोई ओर है। हम जो़र देकर कहते हैं पाक अधिकृत कश्मीर को जल्दी खाली करें।'
जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन के प्रथम सचिव अभिषेक सिंह ने कहा 'शरीफ का पाकिस्तान को आंतकवाद का प्रमुख पीड़ित बताना गलत है। मामले का केंद्रबिन्दु एक देश है जो आतंकवाद का इस्तेमाल शासन के वैध औजार के रूप में करता है ।
इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट करते हुए कहा 'कश्मीर में सेना हटाने में नहीं, पाकिस्तान से आतंकवाद मिटाने में हल छुपा है।'
संबोधन में शरीफ ने कश्मीर मुद्दे का समाधान न होने को संयुक्त राष्ट्र की असफलता बताते हुए चार सूत्री 'शांति पहल' का भी प्रस्ताव दिया, जिसमें कश्मीर के विसैन्यीकरण और सियाचिन से बलों की बिना शर्त वापसी शामिल है।
'दूसरों पर जिम्मेदारी डालना आसान'
अभिषेक सिंह ने कहा कि विश्व चिंता के साथ देख रहा है क्योंकि आतंकवाद के परिणाम अब पाकिस्तान के तात्कालिक पड़ोसी देश तक फैल रहे हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर संघषर्विराम उल्लंघन का मुद्दा उठाए जाने के जवाब में सिंह ने कहा कि दुनिया जानती है कि 'गोलीबारी का प्रमुख कारण आतंकवादियों को सीमा पार कराने के लिए ढाल की तरह काम करना है। उन्होंने कहा कि देशों के लिए नया नहीं है कि जब वह गंभीर चुनौतियों का सामना करते हैं तो वह जिम्मेदारी दूसरों पर डालते हैं।'
सिंह ने यह भी कहा 'यही स्थिति पाकिस्तान और आतंकवाद के मामले में है जिसे यह मानने में अक्षमता झलकती है कि यह घर से ही पैदा हुई समस्या है और इसने उसी हाथ को डसना शुरू कर दिया है जिसने उसे ही पाला और पोसा है।
उन्होंने प्रस्तावित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को लेकर भारत की आपत्तियों को रेखांकित किया और कहा कि यह पाकिस्तान द्वारा 'अवैध रूप से कब्जाए गए' भारतीय क्षेत्र से होकर गुजरता है।
शरीफ द्वारा यह कहे जाने पर कि जम्मू-कश्मीर का मुद्दा अनसुलझा है और वार्ता आगे नहीं बढ़ी है, सिंह ने कहा 'ऐसा इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान ने अपने वादों को निभाया नहीं है, फिर चाहे यह वर्ष 1972 का शिमला समझौता हो या फिर आतंकवाद को समाप्त करने के लिए वर्ष 2004 में हुई संयुक्त घोषणा। और ऐसा ही हाल उफा में दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच बनी सहमति का रहा है।'
'पाक तो खुद आतंकवाद का शिकार'
शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान तो खुद आतंकवाद का मारा है जिस पर स्वरूप ने ट्वीट किया 'पाकिस्तान, आतंकवाद का नहीं अपनी नीतियों का शिकार है। पाक तो आतंकवाद का मुख्य आर्थिक संरक्षक है।'
स्वरूप ने यह भी ट्वीट किया कि आतंकियों का पोषण करना ही पाकिस्तान की अस्थिरता की वजह है। पड़ोसियों को दोष देने से कुछ नहीं होगा।
दुनिया भर में मुसलमानों की तकलीफों के बारे में बात करते हुए शरीफ ने कश्मीर की फलस्तीन से तुलना करते हुए कहा था कि 'फलस्तीनी और कश्मीरियों को विदेशी कब्ज़े से दबाया जा रहा है।'
Sharif UNGA speech: Pak PM gets foreign occupation right, occupier wrong. We urge early vacation of Pak occupied Kashmir
— Vikas Swarup (@MEAIndia) September 30, 2015
इसका जवाब में स्वरूप ने चुटकी लेते हुए ट्वीट किया 'पाक पीएम ने बाहरी कब्ज़ें की बात सही कही है लेकिन कब्ज़ा करने वाला कोई ओर है। हम जो़र देकर कहते हैं पाक अधिकृत कश्मीर को जल्दी खाली करें।'
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