शिकागो:
मुम्बई में 2008 में हुए आतंकवादी हमले की एक पीड़िता ने शिकागो की एक अदालत में कहा कि इसके मुख्य साजिशकर्ता पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक डेविड हेडली को आजाद जीवन जीने का अधिकार नहीं है और उसे सिर्फ 35 साल की सजा मिलने पर भारत के लोगों में रोष पैदा होगा।
इस हमले की पीड़िता और टेनेसी के नैशविले की लेखिका लिंडा रैग्सडैले ने जिला न्यायाधीश हैरी लेनिनवेबर के सामने कहा, हेडली ने आजाद जीवन जीने का अधिकार खो दिया है।
उन्होंने कहा, उसे पूरी जिंदगी परिणाम भुगतने की जरूरत है। अगर उसे सिर्फ 35 साल की सजा मिलती है तो इससे सभी पीड़ितों और भारतीयों में नाराजगी देखी जाएगी, जो जायज होगी।
उन्हें इस बात का आश्चर्य था कि उनके बेटे की उम्र का एक लड़का ऐसा जघन्य काम कर सकता है।
उन्होंने कहा, मुझे पता है कि एक गोली पूरे शरीर में क्या कर सकती है। मैंने 13 साल के बच्चे को दम तोड़ते हुए देखा है। मैं इन चीजों को नहीं जानना चाहती, न ही इसे अनुभव करने की जरूरत है।
अदालत में उन्होंने एक और पीड़ित का बयान पढ़ा, जिसमें उसने सिर्फ 30 से 35 साल की सजा दिए जाने को भयावह अपमान बताया था।
इस हमले की पीड़िता और टेनेसी के नैशविले की लेखिका लिंडा रैग्सडैले ने जिला न्यायाधीश हैरी लेनिनवेबर के सामने कहा, हेडली ने आजाद जीवन जीने का अधिकार खो दिया है।
उन्होंने कहा, उसे पूरी जिंदगी परिणाम भुगतने की जरूरत है। अगर उसे सिर्फ 35 साल की सजा मिलती है तो इससे सभी पीड़ितों और भारतीयों में नाराजगी देखी जाएगी, जो जायज होगी।
उन्हें इस बात का आश्चर्य था कि उनके बेटे की उम्र का एक लड़का ऐसा जघन्य काम कर सकता है।
उन्होंने कहा, मुझे पता है कि एक गोली पूरे शरीर में क्या कर सकती है। मैंने 13 साल के बच्चे को दम तोड़ते हुए देखा है। मैं इन चीजों को नहीं जानना चाहती, न ही इसे अनुभव करने की जरूरत है।
अदालत में उन्होंने एक और पीड़ित का बयान पढ़ा, जिसमें उसने सिर्फ 30 से 35 साल की सजा दिए जाने को भयावह अपमान बताया था।
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