वाशिंगटन:
पाकिस्तान में जन्में कनाडाई आतंकवादी तहव्वुर राना की नई सुनवाई की मांग करती याचिका को अमेरिका की अदालत ने ठुकरा दिया है और उसकी सजा सुनाने के लिए चार दिसंबर की तारीख मुकर्रर की है।
इलिनोइस की जिला अदालत के न्यायाधीश हैरी लिनेनवेबर ने नयी सुनवाई और बरी होने की मांग करती याचिकाओं को अस्वीकार कर दिया। सात और आठ जून को दो अलग अलग फैसलों में लिनेनवेबर ने चार दिसंबर को सजा सुनाने की तारीख तय की।
हालांकि सह प्रतिवादी डेविड हेडली की सजा के लिए कोई तारीख निश्चित नहीं की गई है। पिछले साल, राना को डेनमार्क में लोगों की हत्या के लिए रची जा रही एक आतंकी साजिश और आतंकी संगठन लश्कर ए तय्यबा को सहयोग देने का दोषी पाया गया।
हालांकि राना को 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों को सहायता पहुंचाने की साजिश रचने के आरोप से बरी कर दिया गया था। मुंबई में इन आतंकी हमलों में 168 लोग मारे गए थे। इसके बाद, राना ने नयी सुनवाई और बरी किए जाने के लिए याचिका दायर की जिसे शिकागो की एक अदालत ने अब खारिज कर दिया है और उसकी सजा का रास्ता साफ हो गया है।
नयी सुनवाई की मांग करने वाली अपनी याचिका में राना ने आरोप लगाया कि मुंबई आरोपों से डेनमार्क के आरोपों को अलग करने की उसके सुनवाई पूर्व आग्रह को अदालत ने गलती से इंकार कर दिया। हालांकि अपने फैसले में न्यायाधीश उसकी दलीलों से सहमत नहीं हुए।
आदेश में कहा गया, ‘‘एक तार्किक ज्यूरी पाता कि उसने डेनमार्क साजिश में हेडली को सहायता कर लश्कर का समर्थन किया जो उस वक्त साजिश के पीछे था।’’ न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इस बात में जरा सा भी विवाद नहीं कि राना को इस बात की जानकारी थी कि लश्कर एक आतंकी संगठन है जो कि आतंकवाद में लिप्त है।’’ अपने आदेश में न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अगर हेडली के बयान को स्वीकार किया गया तो ज्यूरी यह भी पा सकती थी कि 2008 के आखिर से फरवरी 2009 के दौरान डेनमार्क साजिश के पीछे लश्कर था और राना लश्कर की संलिप्पता को जानता था।’’ आदेश में यह भी कहा गया कि मौजूदा सबूत साबित करते हैं कि राना ने लश्कर को सहायता पहुंचाई।
इलिनोइस की जिला अदालत के न्यायाधीश हैरी लिनेनवेबर ने नयी सुनवाई और बरी होने की मांग करती याचिकाओं को अस्वीकार कर दिया। सात और आठ जून को दो अलग अलग फैसलों में लिनेनवेबर ने चार दिसंबर को सजा सुनाने की तारीख तय की।
हालांकि सह प्रतिवादी डेविड हेडली की सजा के लिए कोई तारीख निश्चित नहीं की गई है। पिछले साल, राना को डेनमार्क में लोगों की हत्या के लिए रची जा रही एक आतंकी साजिश और आतंकी संगठन लश्कर ए तय्यबा को सहयोग देने का दोषी पाया गया।
हालांकि राना को 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों को सहायता पहुंचाने की साजिश रचने के आरोप से बरी कर दिया गया था। मुंबई में इन आतंकी हमलों में 168 लोग मारे गए थे। इसके बाद, राना ने नयी सुनवाई और बरी किए जाने के लिए याचिका दायर की जिसे शिकागो की एक अदालत ने अब खारिज कर दिया है और उसकी सजा का रास्ता साफ हो गया है।
नयी सुनवाई की मांग करने वाली अपनी याचिका में राना ने आरोप लगाया कि मुंबई आरोपों से डेनमार्क के आरोपों को अलग करने की उसके सुनवाई पूर्व आग्रह को अदालत ने गलती से इंकार कर दिया। हालांकि अपने फैसले में न्यायाधीश उसकी दलीलों से सहमत नहीं हुए।
आदेश में कहा गया, ‘‘एक तार्किक ज्यूरी पाता कि उसने डेनमार्क साजिश में हेडली को सहायता कर लश्कर का समर्थन किया जो उस वक्त साजिश के पीछे था।’’ न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इस बात में जरा सा भी विवाद नहीं कि राना को इस बात की जानकारी थी कि लश्कर एक आतंकी संगठन है जो कि आतंकवाद में लिप्त है।’’ अपने आदेश में न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अगर हेडली के बयान को स्वीकार किया गया तो ज्यूरी यह भी पा सकती थी कि 2008 के आखिर से फरवरी 2009 के दौरान डेनमार्क साजिश के पीछे लश्कर था और राना लश्कर की संलिप्पता को जानता था।’’ आदेश में यह भी कहा गया कि मौजूदा सबूत साबित करते हैं कि राना ने लश्कर को सहायता पहुंचाई।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं