दुनियाभर में मौत का तांडव मचाने वाले कोरोनावायरस (Coronavirus) की वैक्सीन को लेकर कोई ऐसा देश नहीं है जहां के वैज्ञानिक खोज में नहीं लगे हैं. कई देशों ने इस वायरस को खत्म करने वाली दवा बनाने का दावा भी किया जबकि कई देशों ने कुछ अन्य दवाओं के जरिए इसके असर को कम करने की कोशिश भी की लेकिन दुनिया अभी तक किसी भी देश के वैज्ञानिक इस वायरस को खत्म करने के लिए को कोई भी कारगर दवा नहीं बना सके हैं. रिसर्च के किसी ना किसी चरण में दवा की प्रमाणिकता सवालों के घेरे में आज जाती है. इस बीच मंगलवार को कोरोना की वैक्सीन को लेकर एक अच्छी खबर सामने आई. अमेरिका की बायोटेक फर्म इनोवियो (Inovio) ने प्रायोगिक कोरोनोवायरस वैक्सीन के परीक्षण से प्रारंभिक लेकिन उत्साहजनक परिणाम की सूचना दी.
40 लोगों पर किए गए इसके परीक्षण में से 94 प्रतिशत के इम्यून सिस्टम ने रिस्पॉंस किया है. ये वो थे जिनका पहले चरण का क्लिनिल ट्रायल पूरा हो चुका था. मतलब इन्हें चार सप्ताह में दो इंजेक्शन दिए गए थे. इनोवियो के इस टीके को INO-4800 कहा जाता है, इसे एक व्यक्ति के डीएनए को इंजेक्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है ताकि SARS-CoV-2 वायरस के खिलाफ एक विशिष्ट प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिक्रिया (specific immune system response) निर्धारित की जा सके.
दवा को सुई के साथ त्वचा के नीचे इंजेक्ट किया जाता है, फिर एक उपकरण के साथ सक्रिय किया जाता है जो टूथब्रश जैसा दिखता है, ये एक सेकंड के एक अंश के लिए एक विद्युत आवेग बचाता है, जिससे डीएनए को शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने और अपने मिशन को पूरा करने की अनुमति मिलती है. अमेरिकी रक्षा विभाग और गैर सरकारी संगठन सीईपीआई द्वारा फाइनेंस की जा रही गई इनोवियो ने यह भी कहा कि इसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा जनवरी से ऑपरेशन 'वारप स्पीड' के हिस्से के रूप में वैक्सीन के सैकड़ों लाखों खुराक का उत्पादन करने की योजना में शामिल किया गया है.
इनोवियो के सीईओ जोसेफ किम ने कहा कि इनोवियो की दवा एकमात्र डीएनए वैक्सीन है जो कमरे के तापमान पर एक साल से अधिक समय तक स्थिर रहती है और इसे कई वर्षों तक ट्रांसपोर्टेश और स्टोरेज लिए रेफ्रिजिरेशन की आवश्यकता नहीं होती है. यह बड़ी बात है जब विकासशील देशों में लोगों को टीकाकरण करने की बात आती है, जहां कई उत्पादों को संरक्षित करने के लिए आवश्यक कोल्ड चेन को बनाए रखना कठिन होता है.
लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के मुताबिक, कुल 23 COVID-19 वैक्सीन प्रोजेक्ट्स ने इंसानों पर क्लिनिकल ट्रायल शुरू किए हैं, और कई लोग दो या तीन फेज में चले गए हैं, जिसका मतलब है कि उन्हें हजारों या हजारों वॉलेंटियर्स में इंजेक्ट किया जा रहा है.
यूएस बायोटेक फर्म मॉडर्न द्वारा बनाई गई वैक्सीन और एक ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश स्विडिश फर्म अस्ट्राजेनिका (AstraZeneca) द्वारा बनाई गई वैक्सीन सबसे एडवांस्ड स्टेज पर है. जैसी की कई चीनी प्रोजेक्ट हैं. इनमें CanSinoBIO कंपनी शामिल है, जिसे चीनी सैनिकों को वैक्सीन देने की अनुमति मिली है.
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