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संविधान में अंतरिम सरकार का प्रावधान नहीं, फिर भी यूनुस टीम ने ली शपथ... समझें बांग्लादेश में क्या है संवैधानिक व्यवस्था?

बांग्लादेश के मौजूदा संविधान में अंतरिम सरकार के लिए किसी भी तरह का प्रावधान शामिल नहीं है. बांग्लादेश में पहले एक प्रावधान था, जिसमें कार्यवाहक सरकार का जिक्र था. 1996 में बांग्लादेश के संविधान में 13वां संशोधन पारित किया गया, जिसमें निष्पक्ष आम चुनाव कराने और सत्ता ट्रांसफर के लिए कार्यवाहक सरकार के प्रावधानों को शामिल किया गया था.

संविधान में अंतरिम सरकार का प्रावधान नहीं, फिर भी यूनुस टीम ने ली शपथ... समझें बांग्लादेश में क्या है संवैधानिक व्यवस्था?
मोहम्मद यूनुस को माइक्रोफाइनेंस के अग्रणी के रूप में जाना जाता है.
ढाका/नई दिल्ली:

बांग्लादेश में 5 अगस्त को बड़ा सियासी उलटफेर हुआ. आरक्षण विरोधी प्रदर्शन के सरकार विरोधी आंदोलन में तब्दील होने के बाद हर तरफ हिंसक घटनाएं होने लगी. देश का माहौल बिगड़ता देख आखिरकार मजबूर होकर शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. इसके तुरंत बाद उन्होंने देश छोड़ दिया. फिलहाल हसीना अपनी बहन रेहाना के साथ भारत में हैं. उनके बांग्लादेश छोड़ने के 2 दिन बाद गुरुवार को अंतरिम सरकार का गठन हुआ. गौर करने वाली बात ये है कि बांग्लादेश के संविधान में अंतरिम सरकार को लेकर कोई प्रावधान नहीं है. फिर भी नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस की लीडरशिप में अंतरिम सरकार बनी. पहले ऐसी सरकार चलाने के लिए संविधान में संशोधन करना पड़ गया था.

आइए जानते हैं बांग्लादेश में क्या है संवैधानिक व्यवस्था. कैसे होता है संसदीय चुनाव? कैसे होता है सरकार का गठन? प्रधानमंत्री के होते हैं कौन-कौन से अधिकार:-

कैसे अस्तिव में आया बांग्लादेश?
बांग्लादेश पहले पाकिस्तान का ही हिस्सा था.1970 में पाकिस्तान में आम चुनाव हुए. इसके बाद 'बांग्ला मुक्ति संग्राम' शुरू हुआ. बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी का गठन किया गया. अलग देश की मांग उठने लगी और पूर्वी पाकिस्तान से लोग भारत की सीमाओं में घुसने लगे. भारत ने उनकी मांग का समर्थन किया. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऐलान कर दिया कि भारत इस फैसले के साथ खड़ा है. आखिरकार 16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश का जन्म हुआ. बांग्लादेश को अलग राष्ट्र के रूप में मान्यता देने वाला देश भारत ही था. 

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बांग्लादेश में संवैधानिक व्यवस्था क्या है?
बांग्लादेश साउथ एशिया का एक देश है. पाकिस्तान से अलग होकर एक राष्ट्र के रूप में मान्यता मिलने के बाद 1972 में बांग्लादेश का संविधान लिखा गया था. अब तक इसमें 17 बार संशोधन किए जा चुके हैं. 1991 में संसदीय व्यवस्था को अडॉप्ट किया गया. यानी संवैधानिक व्यवस्था में सबसे ऊपर राष्ट्रपति होते हैं. फिर प्रधानमंत्री. बांग्लादेश की संसद का नाम 'जातीय संसद' है. 1975 से 1990 तक वहां मिलिट्री का शासन रहा. यहां हर 5 साल बाद आम चुनाव होते हैं.

बांग्लादेश में कितनी पार्टियां?
बांग्लादेश में मुख्य रूप से 3 राजनीतिक पार्टियां हैं. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP), बांग्लादेश आवामी लीग (BAL) और जातीय पार्टी. अभी तक जातीय पार्टी, आवामी लीग की सहयोगी है. जबकि BNP का जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश के साथ गठबंधन है.

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क्या बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामी पार्टियां भी हैं?
बांग्लादेश में इन 3 राजनीतिक पार्टियों के अलावा 3 कट्टरपंथी इस्लामी पार्टियां भी हैं. इनके नाम जगराता मुस्लिम जनता बांग्लादेश (JMJB) और जमातुल मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB), हरकतुल जिहाद. इन तीनों पर उग्रवाद और आतंकवाद फैलाने के आधार पर फरवरी 2004 में बैन लगा दिया गया था.

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बांग्लादेश में पहली बार कब हुए आम चुनाव?
साल 1973 में पहली बार बांग्लादेश में आम चुनाव हुए. जिसमें बांग्लादेश आवामी लीग ने जीत दर्ज की. बांग्लादेश बनाने में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान देश के पहले राष्ट्रपति बनाए गए. बाद में जब चुनाव हुए, तो उन्हें प्रधानमंत्री भी चुना गया. इसके बाद 1975 में सैन्य तख्तापलट हुआ और उनकी हत्या कर दी गई. 

क्या संविधान में अंतरिम सरकार का प्रावधान है?
बांग्लादेश के मौजूदा संविधान में अंतरिम सरकार के लिए किसी भी तरह का प्रावधान शामिल नहीं है. बांग्लादेश में पहले एक प्रावधान था, जिसमें कार्यवाहक सरकार का जिक्र था. 1996 में बांग्लादेश के संविधान में 13वां संशोधन पारित किया गया, जिसमें निष्पक्ष आम चुनाव कराने और सत्ता ट्रांसफर के लिए कार्यवाहक सरकार के प्रावधानों को शामिल किया गया था. 1991 में चुनाव के बाद गठित नई संसद में इससे जुड़ा कानून पारित किया गया था.

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पहली बार अंतरिम सरकार कब बनी?
बांग्लादेश में पहली बार 1990 में अंतरिम सरकार बनी. 6 दिसंबर 1990 को एक विद्रोह के कारण सैन्य तानाशाह हुसैन मुहम्मद इरशाद की सरकार चली गई थी. इसके बाद 3 महीने के भीतर देश के पांचवें आम चुनाव कराने के लिए एक अंतरिम या अस्थायी सरकार बनाई गई थी. उस समय तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश शहाबुद्दीन अहमद के नेतृत्व में एक अस्थायी सरकार का गठन किया गया था. यह फैसला अवामी लीग और बांग्लादेश नेशनल पार्टी (BNP) समेत सभी दलों के बीच आम सहमति के आधार पर हुआ था.

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अंतरिम सरकार के लिए किया गया कौन सा संशोधन?
बांग्लादेश के ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, संविधान में नए संशोधन में गैर पार्टी कार्यवाहक सरकार को जोड़ा गया है. नए संशोधन के बाद संविधान के भाग IV में अध्याय IIA में गैर-पार्टी कार्यवाहक सरकार को परिभाषित किया गया है. नए अनुच्छेद 58A, 58B, 58C, 58D और 58E भी शामिल किए गए हैं. इसमें 5 नए अनुच्छेद शामिल किए गए, जिनमें कार्यवाहक सरकार के मुख्य सलाहकार और अन्य सलाहकारों की नियुक्ति और कार्यकाल का जिक्र किया गया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाहक सरकार प्रणाली को असंवैधानिक करार दे दिया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 30 जून, 2011 को अवामी लीग सरकार ने संविधान संशोधन के जरिए इसे निरस्त करने का काम किया.

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कार्यवाहक सरकार की व्यवस्था को कब किया गया खत्म?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले और सरकार के निर्णय के बाद 13 सितंबर, 2012 को बांग्लादेश में कार्यवाहक सरकार को औपचारिक रूप से समाप्त करने का फैसला लिया गया. मौजूदा संविधान के मुताबिक, सत्ता की बागडोर संभाल रही सरकार बांग्लादेश में अपने कार्यकाल के अंत में चुनाव कराती है और जीतने वाले दल को सत्ता सौंप दी जाती है. 

बंगाल में सत्ता सौंपने का क्या विकल्प होता है?
बांग्लादेश के मौजूदा संविधान के मुताबिक, मौजूदा सरकार का कार्यकाल खत्म होने के बाद उसके तहत ही आम चुनाव होते हैं. यह सरकार फिर जीतने वाले राजनीतिक दल या गठबंधन को सत्ता सौंप देती है. चूंकि संविधान में इसका कोई जिक्र ही नहीं है, इसलिए बांग्लादेश में इस वक्त संवैधानिक संकट की स्थिति है.

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बांग्लादेश में आखिरी बार चुनाव कब हुए?
बांग्लादेश में 7 जनवरी को संसदीय चुनाव हुए थे. शेख हसीना की अवामी लीग ने 300 में से 224 सीटें जीती थीं. अवामी लीग की सहयोगी जतिया पार्टी ने 11, स्वतंत्र उम्मीदवारों ने 61 सीटें जीतीं और बाकी सीटें अन्य पार्टियों के खाते में गई थीं. नतीजों के बाद 11 जनवरी को शेख हसीना ने पीएम पद की शपथ ली. नई कैबिनेट में पीएम समेत 37 सदस्य थे. बाद में उनकी संख्या 44 हो गई. हालांकि, हिंसा के बाद राष्ट्रपति ने बुधवार को संसद भंग कर दी है. 

बांग्लादेश में पीएम के होते हैं कौन से अधिकार?
-बांग्लादेश में प्रधानमंत्री सदन के नेता होते हैं. वो सरकार के कामों को शेड्यूल और मैनेज करने के लिए जिम्मेदार होते हैं.
- कैबिनेट का गठन और विभागों का बंटवारा करना उनके अधिकारक्षेत्र में आता है.
- प्रधानमंत्री सशस्त्र बल डिविजन के प्रमुख होते हैं और रक्षा मंत्रालय भी उन्हें के जिम्मे होता है.
-पीएम प्लानिंग कमीशन के चेयरमैन होते हैं.
-बांग्लादेशी इंटेलिजेंस कम्युनिटी के चीफ भी वहीं होते हैं.

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