भूटान के लोग बधाई संकेत के रूप में तालियां नहीं बजाते। उनका मानना है कि तालियां केवल बुरी आत्माओं को दूर भगाने के लिए बजाई जाती हैं। लेकिन सोमवार को उन्होंने मोदी द्वारा भूटान के संसद में संयुक्त अधिवेशन के संबोधन के दौरान एक अपवाद पेश किया।
मोदी के हिंदी में दिए गए धाराप्रवाह भाषण को दुभाषिये की मदद से भूटानी सांसद समेत प्रधानमंत्री त्शेरिंग तोबगे और अन्य गणमान्य लोग बड़े ध्यान से सुन रहे थे। जैसे ही उनका भाषण खत्म हुआ अचानक तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी।
तालियों की शुरुआत राष्ट्रीय सभा के निचले सदन के एक कोने से हुई, जो जल्द ही वीवीआईपी चैंबर से होते हुए दर्शक दीर्घा तक फैल गई, जहां ढेर सारे भारतीय और भूटानी पत्रकार और प्रतिभावान छात्र बैठे हुए थे।
चूंकि तालियों की गड़गड़ाहट सभा के सभी कोने में गूंज रही थी, इसलिए कुछ देशवासी असहज होकर भी मुस्कुरा रहे थे।
इससे पहले रविवार को मीडिया को एक परामर्श जारी किया गया था, जिसमें वहां की प्रथा की चर्चा की गई थी। जिसके अनुसार 'मोदी के दो दिवसीय दौरे के मद्देनजर प्रधानमंत्री द्वारा भूटानी संसद में संयुक्त अधिवेशन के संबोधन के दौरान ताली नहीं बजाई जाएगी। क्योंकि भूटान की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ताली केवल बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए बजाई जाती है।'
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