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वाह! अपनी भी आ गई... छोटी सी चिप क्यों है दुनिया पर राज करने की चाबी, समझिए

अमेरिका और चीन के बीच असली लड़ाई ही चिप या सेमीकंडक्‍टर की है और शायद चीन चिप मैन्‍युफैक्‍चरिंग में इतना ताकतवर हो गया है कि अब उसे अमेरिका की भी जरूरत महसूस नहीं होती है.

वाह! अपनी भी आ गई... छोटी सी चिप क्यों है दुनिया पर राज करने की चाबी, समझिए
  • सेमीकंडक्टर चिप्स आज की दुनिया में तकनीकी और जियोपॉलिटिक्स की सबसे महत्वपूर्ण ताकत बन चुकी हैं.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली मेड इन इंडिया चिप लॉन्च कर भारत के सेमीकंडक्टर मिशन को आगे बढ़ाया है.
  • चिप्स मोबाइल फोन, कार, मेडिकल मशीन से लेकर मिसाइल गाइडेंस सिस्टम तक हर तकनीकी उपकरण का आधार हैं.
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नई दिल्‍ली:

आज की दुनिया में अगर किसी के हाथ में सबसे बड़ी ताकत है, तो वह है चिप. यह मामूली-सी दिखने वाली सेमीकंडक्टर चिप्स असल में आज जियोपॉलिटक्‍स का केंद्र है और अंतरराष्‍ट्रीय राजनीति इसके इर्द-गिर्द ही घूमती है. कभी आपने सोचा है कि टीवी की रिमोट से लेकर एटीएम मशीन तक कैसे काम करती ? इसका जवाब है कुछ सेंटीमीटर की वह छोटी सी चिप जो आज यूं कहें तो पूरी दुनिया चला रही है. मोबाइल फोन से लेकर कार, इंटरनेट से लेकर एटीएम और मिसाइल से लेकर मेडिकल मशीन तक, हर जगह इनकी मौजूदगी है. साफ है कि जो आज टेक्‍नोलॉजी की इस दुनिया में जो चिप को कंट्रोल करता है, वही असल में दुनिया की चाबी अपने हाथों में रखता है. अच्‍छी बात है कि अब भारत ने भी चिप या सेमीकंडक्‍टर की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं.  

अब भारत में भी हो रही बातें 

मुझे खुशी है कि अब भारत में भी चिप और सेमीकंडक्‍टर जैसे टॉपिक्‍स पर बातें होने लगी हैं... यह कहना था एक मार्केटिंग स्‍ट्रैटेजिस्‍ट का जो इस बात को लेकर काफी खुश हैं कि देश में चिप बनकर तैयार हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को पहली मेड इन इंडिया चिप को लॉन्‍च किया. सेमीकॉन इंडिया-2025 में  पीएम मोदी ने कहा 18 अरब डॉलर से ज्‍यादा के 10 सेमीकंडक्टर प्रोजेक्‍ट्स चलाएं जा रहे हैं और देश सेमीकंडक्टर मिशन के अगले चरण की ओर बढ़ रहा है. पीएम मोदी का कहना था, 'वह दिन दूर नहीं जब भारत में बनी सबसे छोटी चिप दुनिया में सबसे बड़ा बदलाव लाएगी.' पिछले करीब डेढ़ दशक से दुनिया की बड़ी ताकतों का सारा ध्‍यान सेमीकंडक्‍टर या फिर चिप टेक्‍नोलॉजी की ही तरफ है.  

बिना चिप के बेकार संसार 

बिना चिप के काम नहीं कर सकती ये चीजें 

  • मोबाइल फोन
  • लैपटॉप और कंप्यूटर
  • स्मार्ट टीवी
  • डिजिटल कैमरा
  • गेमिंग कंसोल
  • स्मार्ट फ्रिज
  • वॉशिंग मशीन
  • माइक्रोवेव ओवन
  • एसी 
  • स्मार्ट वॉच, फिटनेस बैंड
  • मॉर्डन कार जिसमें इंजन कंट्रोल यूनिट, ABS, एयरबैग सिस्टम, इंफोटेनमेंट सिस्टम सबकुछ चिप पर निर्भर है 
  • इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs)
  • ई-स्कूटर और बाइक
  • इंटरनेट राउटर और मॉडेम
  • मोबाइल टावर 
  • सैटेलाइट सिस्टम
  • MRI मशीन
  • CT स्कैनर
  • ECG और अल्ट्रासाउंड मशीन
  • डिजिटल थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर
  • एटीएम मशीन
  • क्रेडिट/डेबिट कार्ड (चिप वाले)
  • पॉइंट-ऑफ-सेल (POS) मशीन
  • बायोमेट्रिक डिवाइस
  • फाइटर जेट्स
  • मिसाइल गाइडेंस सिस्टम
  • स्पेसक्राफ्ट
  • ड्रोन
  • CNC मशीन
  • रोबोटिक्स
  • स्मार्ट ग्रिड और पावर कंट्रोल सिस्टम

चिप वॉर का दौर 

21वीं सदी में महाशक्ति बनने की लड़ाई अब जंग के मैदानों या तेल बाजारों में नहीं लड़ा जा रहा है बल्कि अब यह सेमीकंडक्टरों या चिप तक आ गया है. कभी इनकी अहमियत को दुनिया नजरअंदाज करती थी लेकिन अब ये जियो-पॉलिटिक्‍स में एक बड़ा रोल अदा करने लगे हैं. चीन और अमेरिका के बीच साल 2018 में जिस टैरिफ वॉर की शुरुआत हुई थी वह दरअसल चिप या सेमीकंडक्‍टर की अप्रत्‍यक्ष लड़ाई थी. अब इस बात पर यकीन किया जाने लगा है कि 'जो चिप्स को कंट्रोल करता है, वह दुनिया को कंट्रोन कर सकता है.' एआई से लेकर क्वांटम कंप्यूटिंग, ग्‍लोबल सप्‍लाई चेन और यहां तक कि एडवांस्‍ड वेपन टेक्‍नोलॉजी चिप के बगैर अधूरी है. आपके घर में मौजूद टीवी की रिमोट से लेकर अंतरिक्ष में गए सैटेलाइट तक, सिलिकॉन चिप्‍स के बिना कुछ भी नहीं हो सकता है. 

अमेरिका और चीन: टकराव की वजह 

अमेरिका और चीन के बीच असली लड़ाई ही चिप या सेमीकंडक्‍टर की है और शायद चीन चिप मैन्‍युफैक्‍चरिंग में इतना ताकतवर हो गया है कि अब उसे अमेरिका की भी जरूरत महसूस नहीं होती है. दोनों देशों के बीच सेमीकंडक्‍टर टेक्‍नोलॉजी को लेकर अक्‍सर टकराव रहता है और इसका असर ग्‍लोबल मार्केट पर भी नजर आता है. अमेरिका अक्‍सर चीन के खिलाफ 'स्‍मॉल यार्ड, हाई फेंस' वाली रणनीति को अपनाता आया है. इस रणनीति के तहत अमेरिका ने चीन की डिफेंस से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) के लिए जरूरी एडवांस चिप एक्‍सपोर्ट को निशाना बनाया. जवाबी कार्रवाई में, बीजिंग ने साल 2024 के अंत तक गैलियम और जर्मेनियम जो सेमीकंडक्टर क्रूसिबल के लिए जरूरी मैटेरियल है, उसके निर्यात को ही बैन कर दिया. चीन ने इसके साथ ही तूफान हेलेन के कारण उत्तरी कैरोलिना में अमेरिकी क्वार्ट्ज खदानों में आई मुश्किलों का भी फायदा उठाया. दोनों देशों के इस रवैये से सप्‍लाई चेन पर एक बड़ा संकट आ गया. 

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