
India Semiconductor Chip: भारत ने तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है. देश में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को मजबूत बनाने के लिए सरकार ने India Semiconductor Mission (ISM) के तहत 76,000 करोड़ रु का निवेश किया है. इसका मकसद है कि भारत अपनी घरेलू जरूरतों के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी एक बड़ा खिलाड़ी बने. अभी तक भारत ज्यादातर चिप्स विदेशों से आयात करता रहा है. लेकिन आने वाले सालों में ये तस्वीर बदल सकती है. क्योंकि नए मिशन के तहत भारत खुद अपने सेमीकंडक्टर बना सकता है. यानी मेड इन इंडिया सेमीकंडक्टर... ये सेमीकंडक्टर किस किस आते हैं और इनकी कीमत क्या होती है ये भी जान लेते हैं.
कहां-कहां काम आते हैं सेमीकंडक्टर?
- सेमीकंडक्टर आधुनिक तकनीक की रीढ़ माने जाते हैं. बिना इनके हमारे रोजमर्रा के गैजेट्स और मशीनें अधूरी हैं.
- कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स: स्मार्टफोन, लैपटॉप, टीवी, स्मार्टवॉच और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) डिवाइस सभी सेमीकंडक्टर पर चलते हैं.
- ऑटोमोबाइल: आधुनिक गाड़ियां अब पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर आधारित हैं. खासकर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) में बैटरी मैनेजमेंट, सेंसर और नेविगेशन के लिए चिप्स बेहद जरूरी हैं.
- स्पेस और डिफेंस: भारत ने हाल ही में इसरो (ISRO) का स्वदेशी विक्रम प्रोसेसर लॉन्च किया है. ये चिप खासतौर पर स्पेस लॉन्च व्हीकल्स के लिए डिजाइन की गई है. इसके चलते भारत की विदेशी तकनीक पर निर्भरता घटेगी और रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता बढ़ेगी.
- मेडिकल उपकरण: स्वास्थ के क्षेत्र में काम आने वाली कई तरह की मशीनों में भी चिप की जरूरत होती है. जैसे MRI और CT-Scan
- इंडस्ट्री और कम्युनिकेशन सिस्टम: बड़े पावर प्लांट्स, 5G नेटवर्क, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्लाउड सर्विसेज सब सेमीकंडक्टर की बदौलत ही चलते हैं.
कितनी हो सकती है एक चिप की कीमत?
- चिप्स की कीमत उनकी कॉम्प्लेक्सिटी, डिजाइन और उपयोग पर निर्भर करती है.
- बेसिक माइक्रोकंट्रोलर: जैसे GD32F103RET6, जो सामान्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इस्तेमाल होते हैं. इनकी कीमत लगभग 90 रु. प्रति पीस है.
- पावर मैनेजमेंट चिप्स: ये खासकर बड़े इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और गाड़ियों में बैटरी और पावर कंट्रोल के लिए इस्तेमाल होते हैं. इनकी कीमत करीब 2,000 रु प्रति पीस बताई जाती है.
- स्पेशलाइज्ड प्रोसेसर: इसरो का विक्रम 32-बिट प्रोसेसर एक पूरी तरह स्वदेशी चिप है. ये चिप काफी एडवांस्ड बताई जाती है. इसकी कीमतों का खुलासा कभी नहीं किया गया. लेकिन अनुमान है कि इसकी लागत साधारण चिप्स के मुकाबले बहुत ज्यादा हो सकती है.
भारत की तैयारी और रणनीति
- भारत का मकसद सिर्फ घरेलू जरूरतें पूरी करना नहीं है. बल्कि दुनिया के सेमीकंडक्टर बाजार में अपनी बड़ी हिस्सेदारी बनाना है.
- India Semiconductor Mission (ISM): ये सरकारी पहल देश में फैब्रिकेशन यूनिट, पैकेजिंग और डिजाइन सेंटर स्थापित करने पर ध्यान दे रही है.
- लोकल मैन्युफैक्चरिंग: अमेरिका की Micron, भारत की Tata Semiconductor और इज़राइल की Tower Semiconductor जैसी कंपनियां भारत में फैब्रिकेशन और टेस्टिंग यूनिट्स बना रही हैं. इससे लाखों रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
- वैश्विक लक्ष्य: भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक ग्लोबल सेमीकंडक्टर मार्केट में कम से कम 10-15% हिस्सेदारी हासिल की जाए.
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