बीजिंग:
तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बनी चीन की सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना - जम हाइड्रोपावर स्टेशन मंगलवार को चालू हो गई। डेढ़ अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 9764 करोड़ रुपये) की इस परियोजना से जल आपूर्ति में व्यवधान उत्पन्न होने की आशंका पर भारत चिंता जता चुका है।
चीन ने बांध को चालू करते हुए कहा कि वह भारत की चिंताओं पर गौर करेगा और इस संबंध में भारत के साथ संपर्क में रहेगा। चीन के वुहान में स्थित प्रमुख चीनी पनबिजली ठेकेदार 'चाइना गेझोउबा ग्रुप' ने सरकारी समाचार एजेंसी 'शिन्हुआ' को बताया कि केंद्र की सभी छह इकाइयों का समावेश पावर ग्रिड में करा दिया गया है और इससे केंद्र ने संचालन करना शुरू कर दिया।
शन्नान के ग्यासा काउंटी में स्थित जम हाइड्रो पावर स्टेशन को जांगमू हाइड्रोपावर स्टेशन के नाम से भी जाना जाता है। यह ब्रह्मपुत्र नदी के पानी का इस्तेमाल करता है। ब्रह्मपुत्र नदी को तिब्बत में यारलुंग जांगबो नदी के नाम से जाना जाता है। यह नदी तिब्बत से भारत आती है और फिर वहां से बांग्लादेश जाती है।
सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बना पनबिजली केंद्र
इस बांध को विश्व की सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बने पनबिजली केंद्र के रूप में जाना जाता है। यह अपने किस्म की सबसे बड़ी परियोजना है, जो एक साल में 2.5 अरब किलोवाट-घंटे बिजली उत्पादन करेगी। भारत की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने यहां कहा कि दोनों देश उच्च स्तरीय यात्राओं के दौरान उठे जल मुद्दों को लेकर एक-दूसरे के संपर्क में हैं। इसके साथ ही दोनों ओर के विशेषज्ञ एक-दूसरे के संपर्क में हैं।
उन्होंने कहा, हम भारतीय पक्ष की चिंताओं पर गौर करेंगे और उनके संपर्क में रहेंगे। कंपनी ने कहा, यह मध्य तिब्बत की बिजली की किल्लत दूर करेगी और बिजली की कमी वाले क्षेत्र में विकास लाएगी। यह मध्य तिब्बत का एक अहम ऊर्जा आधार भी है।
'शिन्हुआ' की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने कहा है कि जब गर्मियों में बिजली प्रचूर होगी तो उसके एक हिस्से का ट्रांसमिशन पड़ोस के छिंगहाई प्रांत में किया जाएगा। इस परियोजना की पहली इकाई ने पिछले साल नवंबर में अपना संचालन शुरू कर दिया था।
चीन ने बांध को चालू करते हुए कहा कि वह भारत की चिंताओं पर गौर करेगा और इस संबंध में भारत के साथ संपर्क में रहेगा। चीन के वुहान में स्थित प्रमुख चीनी पनबिजली ठेकेदार 'चाइना गेझोउबा ग्रुप' ने सरकारी समाचार एजेंसी 'शिन्हुआ' को बताया कि केंद्र की सभी छह इकाइयों का समावेश पावर ग्रिड में करा दिया गया है और इससे केंद्र ने संचालन करना शुरू कर दिया।
शन्नान के ग्यासा काउंटी में स्थित जम हाइड्रो पावर स्टेशन को जांगमू हाइड्रोपावर स्टेशन के नाम से भी जाना जाता है। यह ब्रह्मपुत्र नदी के पानी का इस्तेमाल करता है। ब्रह्मपुत्र नदी को तिब्बत में यारलुंग जांगबो नदी के नाम से जाना जाता है। यह नदी तिब्बत से भारत आती है और फिर वहां से बांग्लादेश जाती है।
सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बना पनबिजली केंद्र
इस बांध को विश्व की सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बने पनबिजली केंद्र के रूप में जाना जाता है। यह अपने किस्म की सबसे बड़ी परियोजना है, जो एक साल में 2.5 अरब किलोवाट-घंटे बिजली उत्पादन करेगी। भारत की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने यहां कहा कि दोनों देश उच्च स्तरीय यात्राओं के दौरान उठे जल मुद्दों को लेकर एक-दूसरे के संपर्क में हैं। इसके साथ ही दोनों ओर के विशेषज्ञ एक-दूसरे के संपर्क में हैं।
उन्होंने कहा, हम भारतीय पक्ष की चिंताओं पर गौर करेंगे और उनके संपर्क में रहेंगे। कंपनी ने कहा, यह मध्य तिब्बत की बिजली की किल्लत दूर करेगी और बिजली की कमी वाले क्षेत्र में विकास लाएगी। यह मध्य तिब्बत का एक अहम ऊर्जा आधार भी है।
'शिन्हुआ' की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने कहा है कि जब गर्मियों में बिजली प्रचूर होगी तो उसके एक हिस्से का ट्रांसमिशन पड़ोस के छिंगहाई प्रांत में किया जाएगा। इस परियोजना की पहली इकाई ने पिछले साल नवंबर में अपना संचालन शुरू कर दिया था।
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