विज्ञापन
This Article is From Jan 20, 2022

China की Taliban को बड़ी नसीहत, Afghanistan में वैश्विक समुदाय की मान्यता चाहिए तो पहले...

अभी तक किसी भी देश ने अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है. अफगानिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुल्ला हसन अखुंद ने बुधवार को तालिबान सरकार को मान्यता देने की अपील की थी.

China की Taliban को बड़ी नसीहत, Afghanistan में वैश्विक समुदाय की मान्यता चाहिए तो पहले...
अफ़गानिस्तान में तालिबान को है वैश्विक मान्यता का इंतज़ार
काबुल:

अफ़गानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के कब्ज़े के बाद हालात हर दिन बिगड़ते जा रहे हैं. चीन ने अफगानिस्तान में तालिबान के अंतरिम शासन से कहा है कि उसे वैश्विक मान्यता के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की उम्मीदों पर खरा उतरना होगा. तालिबान ने वैश्विक समुदाय की मान्यता के पाने के लिए चीन से सहायता करने की अपील की थी. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियान ने मंगलवार को मीडिया से कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि अफगानिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपेक्षाओं पर खरा उतरने, मुक्त और समावेशी राजनीतिक माहौल बनाने, नरम और विवेकपूर्ण घरेलू तथा विदेश नीति अपनाने और सभी तरह की आतंकवादी ताकतों से निपटने की दिशा में कदम बढ़ाएगा.”

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की नयी सरकार को अन्य देशों, विशेष रूप से पड़ोसी देशों के साथ दोस्ताना रवैया अपनाना चाहिए और जल्द से जल्द अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ एकजुट होना चाहिए. वैश्विक मान्यता के लिए तालिबान द्वारा चीन से मदद की अपील करने के सवाल पर झाओ ने यह कहा.

चीन, तालिबान से ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामी आंदोलन (ETIM) पर नकेल कसने को कहता रहा है जो मुस्लिम बहुल इलाके शिंजियांग प्रांत में सक्रिय है. इस प्रांत की सीमा अफगानिस्तान से लगी हुई है. अभी तक किसी भी देश ने तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है. अफगानिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुल्ला हसन अखुंद ने बुधवार को तालिबान सरकार को मान्यता देने की अपील करते हुए कहा, “मैं सभी सरकारों, विशेषकर इस्लामी मुल्कों, से अपील करता हूं कि वे हमें मान्यता देना शुरू करें.”

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, "अखुंद ने काबुल में एक आर्थिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “सरकार को मान्यता देने के लिए अफगानिस्तान सभी अर्हता और शर्तों को पूरा करता है इसलिए मैं दुनिया के देशों से आग्रह करता हूं कि वे इस्लामी अमीरात की सरकार को मान्यता प्रदान करें.”

वहीं संयुक्त राष्ट्र (UN) के इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइज़ेशन (ILO) का कहना है कि अफ़गानिस्तान में जब से तालिबान का राज आया है तब से अब तक 5 लाख से अधिक लोग बेरोज़गार हो गए हैं और या फिर उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है.

ILO ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को "लकवा मार गया है" और अफ़गानिस्तान में रोज़गार और काम के घंटों का बहुत नुकसान हुआ है. इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइज़ेशन ने अफने एक बयान में कहा कि बेरोजगारी के हालात का सबसे बुरा असर महिलाओं पर पड़ा है. ILO ने आशंका जताई है कि अफगानिस्तान के ताज़ा संकट और महिलाओं के काम करने पर पाबंदियों के कारण इस साल के मध्य तक अफगानिस्तान में करीब 7 लाख नौकरियां चली जाएंगी और अगर हालात नहीं सुधरे तो नौकरियां जाने का आंकड़ा 9 लाख तक पहुंच सकता है.

अफगानिस्तान में महिलाओं के रोज़गार की स्तिथि पहले ही अंतरराष्ट्रीय मानकों से कम है. लेकिन ILO का कहना है कि पिछले साल 2021 की तीसरी तिमाही में अफगानिस्तान में महिलाओं का रोज़गार 16% घटा और यह 2022 के मध्य तक 21-28% तक घट सकता है.

अफगानिस्तान के लिए इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइज़ेशन के वरिष्ठ कॉर्डिनेटर रामिन बेहज़ाद ने कहा, "अफ़गानिस्तान के लिए हालात जटिल हैं और अफगानिस्तान को स्थिरता वापस लाने के लिए तुरंत मदद की ज़रूरत है. उन्होंने कहा, "जबकि प्राथमिकता तत्काल मानवीय मदद की है, लेकिन लंबे समय के लिए रिकवरी तभी आएगी जब लोगों और समुदायों के पास ठीक-ठाक रोजगार, काम-धंधा और मूलभूत सेवाएं होंगी.''

ILO ने कहा, "अफगानिस्तान के अहम क्षेत्र में तालिबान का शासन आने के बाद बर्बाद हो गए हैं और वहां लाखों रोजगार छिन गए हैं."

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को फिनलैंड के अपने समकक्ष पेक्का हाविस्टो के साथ अफगानिस्तान समेत कई मुद्दों पर चर्चा की.

अफ़गानिस्तान में तालिबान के राज में सबसे बुरा असर कृषि और सिविल सेवाओं पर पड़ा है जहां कर्मचारियों को या तो काम छोड़ना पड़ा है या उन्हें वहां तनख्वा नहीं मिल पा रही. इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में भी निर्माण रुक गया है. साथ ही अफगानिस्तान पर तालिबान का शासन होने के बाद से अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों के लाखों लोगों की नौकरियां भी चली गई हैं. अर्थव्यवस्था में पैसा ना होने की कमी का असर शिक्षकों और स्वास्थ्य कर्मियों पर भी पड़ रहा है जबकि अंतरर्राष्ट्रीय दानदाताओं ने भी अपना हाथ खींच लिया है. (इनपुट भाषा से...)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com