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चीन के नवनियुक्त राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए पांच सूत्री फार्मूला पेश करते हुए मंगलवार को कहा कि दोनों पक्षों के बीच सीमा विवाद का हल ‘‘आसान नहीं होगा’’ तथा उसके अंतिम समाधान तक समग्र संबंधों को प्रभावित किए बिना सीमा पर ‘‘शा
कम्युनिस्ट पार्टी प्रमुख, राष्ट्रपति एवं सैन्य प्रमुख का पदभार संभालने वाले 59 वर्षीय शी ने भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के स्पष्ट संकेत दिए और अगले सप्ताह ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात करने की इच्छा जताई। शी के सत्ता संभालने के बाद यह भारत के शीर्ष नेतृत्व से उनकी पहली मुलाकात होगी।
चीन के वर्ष 1949 में स्वतंत्र होने के बाद जन्मे शी ने 2.5 अरब की कुल आबादी वाले भारत और चीन के बीच बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग की बात कही ताकि विकासशील देशों के ‘‘वैध अधिकारों और हितों’’ की रक्षा हो सके।
शी ने कहा कि भारत के साथ संबंधों को चीन ‘‘सबसे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों में से एक’’ मानता है। शी ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘सीमा मुद्दा एक जटिल मुद्दा है और इसे हल करना आसान नहीं होगा। हालांकि यदि हम मैत्री सलाह मशविरा जारी रखें तो हम अंतत: एक निष्पक्ष उचित एवं परस्पर स्वीकार्य हल पर पहुंच सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सीमा मुद्दे का अंतिम समाधान होने तक दोनों पक्षों को मिलकर काम करना चाहिए और सीमा क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता बरकरार रखनी चाहिए तथा सीमा मुद्दे से समग्र संबंधों को प्रभावित नहीं होने देना चाहिए।’’
चीन के नए राष्ट्रपति ने यह बात उस प्रश्न का उत्तर देते हुए कही जिसमें उनसे पूछा गया था कि चीन का नया नेतृत्व भारत के साथ किस नीति पर आगे बढ़ेगा और सीमा मुद्दे पर उसके रुख में क्या कोई परिवर्तन होगा।
भारत का कहना है कि सीमा विवाद चार हजार किलोमीटर में फैला हुआ है जबकि चीन का दावा है कि यह अरुणाचल प्रदेश के दो हजार किलोमीटर क्षेत्र तक ही सीमित है जिसका उल्लेख वह दक्षिण तिब्बत के रूप में करता है।
शी ने अपने पांच प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि पहली बात कि चीन और भारत को रणनीतिक संवाद जारी रखना चाहिए और द्विपक्षीय संबंधों को ‘सही रास्ते’ पर रखना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘दूसरे हमें एकदूसरे की तुलनात्मक ताकत का उपयोग करना चाहिए और आधारभूत संरचना, परस्पर निवेश और अन्य क्षेत्रों में इस तरह से सहयोग बढ़ाना चाहिए ताकि दोनों पक्षों को लाभ हो।’’
उन्होंने कहा कि भारत और चीन को सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती प्रदान करने के साथ ही दोनों देशों के बीच परस्पर विस्तारित होने वाली मित्रता को लगातार बढ़ाना चाहिए। चीन के नेता ने कहा कि दोनों देशों को संयुक्त रूप से विकसित देशों के वैध अधिकारों और हितों की रक्षा करने और वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए बहुपक्षीय मंचों पर समन्वय एवं सहयोग बढ़ाना चाहिए।
उन्होंने अपने पांचवें प्रस्ताव में कहा, ‘‘हमें एकदूसरे की प्रमुख चिंताओं को समायोजित करना चाहिए और दोनों देशों के बीच मौजूद समस्याओं और मतभेदों को उचित ढंग से निपटना चाहिए।’’
शी ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया के साथ अपनी पहली बातचीत में ब्रिक्स देशों के चुनिंदा संपादकों के साथ भारत और चीन के बीच परंपरागत मित्रता पर बात की। उन्होंने दोनों देशों को विश्व के दो सबसे बड़े विकासशील देश बताया जिनकी जनसंख्या संयुक्त रूप से 2.5 अरब से अधिक है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम संयुक्त रूप से शांतिपूर्ण विकास के मार्ग का अनुसरण करते हैं जिसमें सहयोग के साथ ही दोनों देशों के पारस्परिक हित शामिल हैं। इससे एशिया और विश्व की महान सेवा भी हो रही है।’’
शी ने वर्ष 2010 में चीन की यात्रा पर आयीं तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के साथ अपनी ‘अच्छी मुलाकात’ को याद किया जब दोनों इस बात पर सहमत हुए थे कि चीन-भारत सहयोग की संभावना का पूर्ण उपयोग करने और संबंध को एक उच्च स्तर पर ले जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हाल के वर्षों में दोनों पक्षों के संयुक्त प्रयासों से चीन-भारत संबंधों में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल हुई है। चीन भारत के साथ अपने संबंधों को महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों में से एक मानता है और वह दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने को प्रतिबद्ध है।’’
चीन के नेता ने कहा कि वर्तमान समय में भारत और चीन तेज गति से विकास कर रहे हैं और इससे दोनों देशों को परस्पर लाभकारी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई ऐसे मौके हासिल हुए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें मौकों का लाभ उठाना चाहिए और सभी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए तथा चीन-भारत संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाना चाहिए।’’