Beijing:
तिब्बती धर्मगुरु 17वें करमापा उग्येन त्रिनले दोरजी के चीन का जासूस होने की खबरों के बीच चीन के एक अधिकारी ने कहा है कि इस मामले से पता चलता है कि भारत, चीन को लेकर किस तरह का अविश्वसनीय रवैया अपनाए हुए है। चीनी अधिकारी ने उन खबरों का खंडन किया है जिसमें कहा जा रहा है कि भारत-चीन सीमा पर मठों को अपने नियंत्रण में करने के लिए करमापा को चीन ने एक योजना के तहत भेजा है। सीपीसी केंद्रीय समिति के संयुक्त मार्चा कार्य विभाग में एक अधिकारी झू झिताओ ने समाचार पत्र 'ग्लोबल टाइम्स' के साथ बातचीत के दौरान रविवार को कहा, "करमापा के मामले में भारतीय मीडिया यह कयास लगा रहा है वह चीन के जासूस हैं। इससे साबित होता है कि भारत, चीन को लेकर किस तरह का अविश्वसनीय रवैया अपनाए हुए है।" गौरतलब है कि करमापा के मठ से लगभग सात करोड़ रुपये की विदेशी और देशी मुद्रा मठ से बरामद हुई थी। करमापा ने भारतीय जांच एजेंसियों को बताया कि छापेमारी के दौरान जब्त मुद्रा उनके श्रद्वालुओं द्वारा चढ़ाई गई है और उन्होंने भारतीय हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ नहीं किया है। झू ने कहा, "करमापा ने धार्मिक उद्देश्यों को लेकर वर्ष 1999 में चीन छोड़ दिया था, जैसा कि उन्होंने इसका दावा भी किया है।" गौरतलब है कि करमापा जनवरी 2000 में तिब्बत से भारत आए थे। तब से लेकर अब तक वह ज्यादातर धर्मशाला के सिद्धबारी मठ में रहते रहे हैं।
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करमापा, अविश्वास, रवैया