
- चीन ने अमेरिका को स्पष्ट रूप से बताया है कि वह रूस और ईरान से तेल खरीदना बंद नहीं करेगा.
- चीन ने अमेरिका की टैरिफ की धमकी को स्वीकार नहीं करते हुए अपनी ऊर्जा आपूर्ति पर नियंत्रण बनाए रखा.
- चीन ने कहा कि जबरदस्ती और दबाव से कुछ हासिल नहीं होगा, वह अपनी संप्रभुता और सुरक्षा की रक्षा करेगा.
चीन ने रूस से तेल खरीदने के मामले पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को स्पष्ट शब्दों में न बोल दिया है. अमेरिका और चीन के अधिकारी अपने कई मतभेदों को सुलझाकर एक ट्रेड डील की तरफ पहुंचने की तरफ है. माना जा रहा है कि चीन, अमेरिका के मुश्किल टैरिफ से बच सकता है. लेकिन यहां पर रूस और ईरान से तेल की खरीद बड़ी अड़चन बन रही है. वहीं दूसरी ओर भारत के लिए ट्रंप के इस दोगलेपन पर अब उनके ही देश से आवाज उठने लगी है.
चीन के हितों की रक्षा
सीबीएस न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका की मांग है कि चीन, ईरान और रूस से तेल खरीदना बंद कर दे. स्टॉकहोम में दो दिनों तक चली व्यापार वार्ता के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने X पर लिखा, 'चीन हमेशा अपनी ऊर्जा आपूर्ति को ऐसे तरीकों से सुनिश्चित करेगा जो हमारे राष्ट्रीय हितों की पूर्ति करें.' चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से यह यह बात अमेरिका की 100 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी पर प्रतिक्रिया के तौर पर कही गई है. चीन के विदेश मंत्रालय ने दो टूक कहा, 'जबरदस्ती और दबाव से कुछ हासिल नहीं होगा. चीन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की दृढ़ता से रक्षा करेगा.'
चीन का रुख कड़ा
यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में और भी खास हो जाती है जब चीन और अमेरिका दोनों ही दुनिया की व्यापारिक संबंधों को स्थिर रखने के लिए एक ट्रेड डील पर पहुंचने को लेकर आशावादी हैं. यह ट्रंप प्रशासन के साथ व्यवहार के समय, खासकर जब व्यापार उसकी एनर्जी और विदेश नीतियों से जुड़ा हो, चीन के कठोर रुख को बयां करता है. वहीं अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने मीडिया से कहा है कि जब रूस से तेल खरीद की बात आती है, तो 'चीन अपनी संप्रभुता को बहुत गंभीरता से लेता है.' बेसेंट ने कहा, 'हम उनकी संप्रभुता में बाधा नहीं डालना चाहते, इसलिए वो 100 फीसदी टैरिफ देना चाहेंगे.'
चीनी वार्ताकार सख्त
बेसेंट ने चीनी वार्ताकारों को 'कठोर' बताया लेकिन कहा कि चीन के दबाव ने वार्ता को नहीं रोका है. बेसेंट की मानें तो अमेरिका के पास समझौते के लिए पर्याप्त संसाधन हैं. अमेरिका मानता है कि भारत और चीन रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन की जंग को बढ़ा रहे हैं. जहां ईरान के साथ अमेरिका के रिश्ते पहले ही खराब हैं तो वहीं रूस के लिए भी अब उसकी नाराजगी बढ़ती जा रही है. अमेरिका मानता है कि अगर रूस से तेल खरीदना बंद हो जाएगा तो उसकी सेनाओं के पास भी फंड का संकट हो जाएगा. ऐसे में जंग को रोका जा सकता है.
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