चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर अपने अबतक के सबसे बड़े बांध को बनाने का काम पूरा कर लिया है। ख़बर है कि इसे रविवार को चालू भी कर दिया गया। इस निर्माण से भारत और बांग्लादेश के लिए एक नया खतरा पैदा हो गया है।
बांध बनने की वजह से दोनों देशों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। जानकारों की मानें तो एक डर ये भी है कि संघर्ष की स्थिति में चीन इस बांध के जरिये अधिक मात्रा में पानी छोड़ सकता है, जिस वजह से इन दोनों देशों को नुकसान पहुंच सकता है।
सूत्रों की मानें तो इस बांध से थोड़ी बहुत बिजली पैदा की जा रही है। इस संयंत्र की कुल उत्पादन क्षमता पांच लाख 10 हजार किलोवाट है और इसे हर साल 2.5 अरब किलोवाट बिजली उत्पादन करने के लिए डिजाइन किया गया है।
वहीं चीन ने की अपनी योजना का बचाव करते हुए आज कहा कि उसने बांधों का निर्माण करते समय नदी के प्रवाह की दिशा में आने वाले देशों की चिंताओं और भारत के साथ अच्छे संबंधों का पूरी तरह ध्यान रखा है।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने तिब्बत के जांगमू में सबसे बड़े जलविद्युत केंद्र के पहले चरण की कल शुरुआत होने के संबंध में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए मीडियाकर्मियों से कहा, 'सीमा के आर पार बहने वाली नदियों से लाभ उठाने और उनके उपयोग के संबंध में चीन जिम्मेदाराना रवैया अपना रहा है और हम सुनिश्चित करते हैं कि इस्तेमाल के साथ सुरक्षा का ध्यान रखा जाएगा।'
9.6 अरब युआन (1.5 अरब डॉलर) की लागत वाले जांगमू जलविद्युत केंद्र की पहली उत्पादन इकाई में कल से काम शुरू हो गया और पांच अन्य इकाइयां अगले साल तक पूरी होंगी। यह जलविद्युत केंद्र 'दुनिया की छत' पर समुद्रस्तर से करीब 3300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
ब्रह्मपुत्र नदी के प्रवाह की दिशा में आने वाले भारत और बांग्लादेश जैसे देशों की आशंकाओं का जिक्र करते हुए प्रवक्ता ने कहा, 'हमने इन देशों की चिंताओं पर पूरी तरह ध्यान दिया है।' चीन ऐसी तीन और परियोजनाओं पर काम कर रहा है। (एजेंसी इनपुट के साथ)
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