काठमांडू:
महीनों से जारी राजनीतिक गतिरोध खत्म करते हुए नेपाल के मुख्य न्यायाधीश खिल राज रेगमी ने देश के नए प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली। रेगमी ने 21 जून को होने वाले चुनावों की देखरेख के लिए गठित अंतरिम सरकार के प्रधान का यह पदभार संभाला है।
यूनाइटेड डेमोक्रेटिक मधेशी फ्रंट (यूडीएमएफ) समेत देश के चार प्रमुख दलों ने लंबी बैठक के दौरान मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में चुनावों की देखरेख के लिए सरकार गठित करने के मकसद से 11 बिन्दु वाले राजनीतिक सहमति दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके बाद 63 वर्षीय रेगमी ने अंतरिम सरकार के प्रमुख के तौर पर शपथ ग्रहण की।
राष्ट्रपति रामबरन यादव ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में रेगमी को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई, जिसके बाद नवनियुक्त प्रधानमंत्री ने कैबिनेट के दो नए मंत्रियों को शपथ ग्रहण कराई।
राष्ट्रपति कार्यालय ने बताया कि माधव घिमिरे को गृह एवं विदेश मामलों का विभाग सौंपा गया, जबकि हरि प्रसाद न्यूपेन को कानून, न्याय और श्रम विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई।
मुख्य न्यायाधीश रेगमी ने पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई की जगह ली है। मुख्य दलों के बीच हुई बैठक में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति बनी। दलों के बीच न्याय प्रदान करने के लिए ‘ट्रुथ एंड रिकंसीलिएशन कमीशन’ गठित करने, नेपाल सेना में शामिल माओवादियों के लिए कर्नल का एक और लेफ्टिनेंट कर्नल के दो पद सुनिश्चित करना, संविधान सभा के चुनाव से पहले मतदाता सूची में आवश्यक सुधार करना और नागरिक प्रमाण पत्र वितरण संबंधी मामलों को सुलझाना जैसे मसलों पर सहमति बनी। राजनीतिक दलों के बीच सभी कानूनी बाधाओं को दूर करके 21 जून को नए चुनाव कराने पर भी सहमति बनी। समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले मुख्य दलों के शीर्ष नेताओं में नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के प्रमुख प्रचंड, नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष सुशील कोइराला, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनीफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट के अध्यक्ष झालानाथ खनाल और ज्वाइंट डेमोक्रेटिक मधेशी फ्रंट के प्रतिनिधि बिजय कुमार गछधर शामिल थे।
नेपाल के राजनीतिक इतिहास में यह पहली बार है जब वर्तमान मुख्य न्यायाधीश को सरकार का प्रमुख बनाया गया है। एक वर्ष पहले संसद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद पैदा हुआ गतिरोध रेगमी के चयन के साथ समाप्त हो गया। संसद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद पिछले साल नवंबर में चुनाव होने थे लेकिन राजनीतिक मतभेद के कारण इन्हें रद्द कर दिया गया था।
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष सुशील कोइराला ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद कहा कि मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन से न केवल मौजूदा राजनीतिक गतिरोध का समाधान निकलने का रास्ता मिलेगा, बल्कि इससे देश के लोकतंत्र को मजबूत करने में भी मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि इस समय चुनाव कराना बहुत जरूरी है, क्योंकि ताजा जनादेश लोकतंत्र की रक्षा करेगा और आमजन की भागीदारी सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि नेपाली कांग्रेस लोकतंत्र और मानवाधिकार के सिद्धांतों के मसले पर किसी भी ताकत से किसी प्रकार का समझौता नहीं करेगी। इस बीच सीपीएन-माओवादी के 100 कार्यकर्ताओं ने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान राष्ट्रपति भवन के सामने विरोध प्रदर्शन किया।
यूनाइटेड डेमोक्रेटिक मधेशी फ्रंट (यूडीएमएफ) समेत देश के चार प्रमुख दलों ने लंबी बैठक के दौरान मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में चुनावों की देखरेख के लिए सरकार गठित करने के मकसद से 11 बिन्दु वाले राजनीतिक सहमति दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके बाद 63 वर्षीय रेगमी ने अंतरिम सरकार के प्रमुख के तौर पर शपथ ग्रहण की।
राष्ट्रपति रामबरन यादव ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में रेगमी को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई, जिसके बाद नवनियुक्त प्रधानमंत्री ने कैबिनेट के दो नए मंत्रियों को शपथ ग्रहण कराई।
राष्ट्रपति कार्यालय ने बताया कि माधव घिमिरे को गृह एवं विदेश मामलों का विभाग सौंपा गया, जबकि हरि प्रसाद न्यूपेन को कानून, न्याय और श्रम विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई।
मुख्य न्यायाधीश रेगमी ने पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई की जगह ली है। मुख्य दलों के बीच हुई बैठक में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति बनी। दलों के बीच न्याय प्रदान करने के लिए ‘ट्रुथ एंड रिकंसीलिएशन कमीशन’ गठित करने, नेपाल सेना में शामिल माओवादियों के लिए कर्नल का एक और लेफ्टिनेंट कर्नल के दो पद सुनिश्चित करना, संविधान सभा के चुनाव से पहले मतदाता सूची में आवश्यक सुधार करना और नागरिक प्रमाण पत्र वितरण संबंधी मामलों को सुलझाना जैसे मसलों पर सहमति बनी। राजनीतिक दलों के बीच सभी कानूनी बाधाओं को दूर करके 21 जून को नए चुनाव कराने पर भी सहमति बनी। समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले मुख्य दलों के शीर्ष नेताओं में नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के प्रमुख प्रचंड, नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष सुशील कोइराला, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनीफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट के अध्यक्ष झालानाथ खनाल और ज्वाइंट डेमोक्रेटिक मधेशी फ्रंट के प्रतिनिधि बिजय कुमार गछधर शामिल थे।
नेपाल के राजनीतिक इतिहास में यह पहली बार है जब वर्तमान मुख्य न्यायाधीश को सरकार का प्रमुख बनाया गया है। एक वर्ष पहले संसद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद पैदा हुआ गतिरोध रेगमी के चयन के साथ समाप्त हो गया। संसद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद पिछले साल नवंबर में चुनाव होने थे लेकिन राजनीतिक मतभेद के कारण इन्हें रद्द कर दिया गया था।
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष सुशील कोइराला ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद कहा कि मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन से न केवल मौजूदा राजनीतिक गतिरोध का समाधान निकलने का रास्ता मिलेगा, बल्कि इससे देश के लोकतंत्र को मजबूत करने में भी मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि इस समय चुनाव कराना बहुत जरूरी है, क्योंकि ताजा जनादेश लोकतंत्र की रक्षा करेगा और आमजन की भागीदारी सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि नेपाली कांग्रेस लोकतंत्र और मानवाधिकार के सिद्धांतों के मसले पर किसी भी ताकत से किसी प्रकार का समझौता नहीं करेगी। इस बीच सीपीएन-माओवादी के 100 कार्यकर्ताओं ने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान राष्ट्रपति भवन के सामने विरोध प्रदर्शन किया।
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