ओटावा : कनाडा इस वर्ष से अगले पांच वर्षों तक भारत को तीन हजार मीट्रिक टन यूरेनियम की आपूर्ति करने को सहमत हुआ है।
नई सामरिक भागीदारी के तहत भारतीय रिएक्टरों के लिए 25.4 करोड़ डॉलर की कीमत के यूरेनियम की आपूर्ति की जाएगी। भारत के परमाणु कार्यक्रम को लेकर करीब चार दशक पहले इस क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंध खत्म हो गए थे।
भारत और कनाडा के बीच लंबी बातचीत के बाद 2013 में हुए असैन्य परमाणु समझौते के पश्चात यूरेनियम आपूर्ति का यह समझौता हुआ है, जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कनाडाई समकक्ष स्टीफन हार्पर के बीच व्यापक वार्ता के बाद दस्तखत हुआ।
एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि कैमिको कॉरपोरेशन भारत को अगले पांच सालों में तीन हजार मीट्रिक टन यूरेनियम की आपूर्ति करेगा, जिसकी अनुमानित कीमत 25.4 करोड़ डॉलर होगी। रूस और कजाकिस्तान के बाद कनाडा तीसरा देश है, जो भारत को यूरेनियम की आपूर्ति करेगा। आपूर्ति अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के सुरक्षा मानकों के तहत होगी।
कनाडा ने 1970 के दशक में भारत को यूरेनियम और परमाणु हार्डवेयर निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। कनाडा ने ये आरोप लगाते हुए कि भारत ने परमाणु बम बनाने में कनाडा की तकनीक का इस्तेमाल किया, यूरेनियम निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। दोनों देशों ने 2013 में कनाडा-भारत परमाणु सहयोग समझौता करके इस अध्याय को पीछे छोड़ दिया था।
हार्पर ने मोदी के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, कनाडा ने अगले पांच वर्षों तक भारत को यूरेनियम मुहैया कराने का निर्णय किया है। नरेंद्र मोदी पिछले 42 सालों में भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं, जो कनाडा के दौरे पर आए हैं। मोदी ने कहा, हमारे असैन्य परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिए कनाडा से यूरेनियम खरीदने का समझौता द्विपक्षीय संबंधों में एक नए युग की शुरुआत है और परस्पर विश्वास का यह नया स्तर है।
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