
आपने अपने जीवन में कितनी बार ब्लड डोनेट किया होगा? 5 बार? 10 बार? अच्छा, बहुत हुआ तो 15 बार? शायद हम सब में से अधिकतर की लिमिट इतनी ही होगी. लेकिन अगर मैं आपको बताऊं कि इंसान के रूप में एक फरिश्ता ऐसा भी था जिसने 64 सालों में 1173 बार अपना खून दान में दिया. अपने दुर्लभ एंटीबॉडी वाले ब्लड प्लाज्मा से 24 लाख बच्चों की जान बचाई. आज वो फरिश्ता हमारे बीच नहीं रहा. बात हो रही है "मैन विद द गोल्डन आर्म" के रूप में जाने जाने वाले ऑस्ट्रेलिया के जेम्स हैरिसन की.
एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थय अधिकारियों ने जानकारी दी है कि जेम्स हैरिसन ने 88 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा है.
खास खून वाला खास इंसान
जेम्स हैरिसन के प्लाज्मा में एक दुर्लभ एंटीबॉडी था, जिसे एंटी-डी के नाम से जाना जाता था. इस एंडी-डी का उपयोग उन माताओं के लिए दवा बनाने के लिए किया जाता है जिनके खून से उनके ही अजन्मे बच्चों पर हमला होने का खतरा होता है. इसे भ्रूण और नवजात शिशु के रीसस डी हेमोलिटिक रोग (Hemolytic disease of the fetus and newborn/ HDFN) के रूप में जाना जाता है.
रिपोर्ट के अनुसार यह जानना असंभव है कि एंटी-डी सुरक्षा के बिना अतीत में कितने शिशुओं की मौत हुई होगी. लेकिन सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि HDFN ने 1966 तक हर 100 में से 1 महिला को प्रभावित किया था. लगभग 17 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को एंटी-डी की आवश्यकता होती है, लेकिन प्रोग्राम के लिए डोनर्स को ढूंढना मुश्किल काम बना हुआ है.
कम उम्र में ही खून देना किया शुरू
लाइफब्लड ने बताया है कि जेम्स हैरिसन ने कम उम्र में ही अपना ब्लड डोनेट करना शुरू कर दिया. उन्होंने 2018 में रिटायर होने तक ब्लड डोनेट करने की एक भी अप्वाइंटमेंट नहीं छोड़ी थी.
जेम्स हैरिसन के खून का उपयोग दवा के 24 लाख डोज बनाने में किया गया था. सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, हैरिसन ने 1,163 बार दाहिने हाथ से और 10 बार बाएं हाथ से खून दिया.
हैरिसन की 17 फरवरी को न्यू साउथ वेल्स सेंट्रल कोस्ट के एक नर्सिंग होम में नींद में ही मौत हो गई.
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