बीजिंग:
चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ के राजनीति से संन्यास लेने से पहले उनको नुकसान पहुंचाने वाली एक खबर में आरोप लगाया गया कि उनके परिवार ने कम से कम 2.7 अरब डॉलर की संपत्ति जमा की है। चीन ने इस आरोपों को सिरे से नकारते हुए इसे दुष्प्रचार करार दिया।
न्यूयार्क टाइम्स ने वेन के प्रधानमंत्री कार्यकाल 1992 से 2012 के दौरान अपनी जांच के हवाले से यह खबर छापी है। उसने खबर दी है, ‘वेन जियाबाओ के कई संबंधी जिनमें उनके छोटे भाई, पुत्र, पुत्री, दामाद आदि शामिल हैं, उनके नेतृत्व के दौरान असाधारण रूप से धनवान बन गए।’
खबर के अनुसार ‘निगमित एवं नियामक रिकार्डों की समीक्षा से संकेत मिलता है कि प्रधानमंत्री के रिश्तेदारों, जिनमें से कुछ के पास आगे बढ़कर सौदे करने का कौशल है, के पास 2.7 अरब अमेरिकी डॉलर की संपत्ति है। इनमें उनकी पत्नी भी शामिल हैं।’ कई मामलों में रिश्तेदारों के नामों को भागीदारी एवं निवेश कंपनियों की तह में छिपा दिया गया।
इसमें कहा गया कि वेन की पत्नी झांग बेएली ने सरकारी हीरा कंपनयिों के प्रबंधन के माध्यम से अपने संबंधियों को बीमा, प्रौद्योगिकी एवं रियल एस्टेट उद्यमों में लाखों रूपये का निवेश करने में मदद की।
खबर को खारिज करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह चीन के लिए खिलाफ दुष्प्रचार अभियान है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हांग ली ने इस खबर के बारे में पूछे एक सवाल के जवाब में कहा, ‘कुछ खबरों चीन को बदनाम करती हैं और उनके निहित स्वार्थ होते हैं।’
न्यूयार्क टाइम्स ने वेन के प्रधानमंत्री कार्यकाल 1992 से 2012 के दौरान अपनी जांच के हवाले से यह खबर छापी है। उसने खबर दी है, ‘वेन जियाबाओ के कई संबंधी जिनमें उनके छोटे भाई, पुत्र, पुत्री, दामाद आदि शामिल हैं, उनके नेतृत्व के दौरान असाधारण रूप से धनवान बन गए।’
खबर के अनुसार ‘निगमित एवं नियामक रिकार्डों की समीक्षा से संकेत मिलता है कि प्रधानमंत्री के रिश्तेदारों, जिनमें से कुछ के पास आगे बढ़कर सौदे करने का कौशल है, के पास 2.7 अरब अमेरिकी डॉलर की संपत्ति है। इनमें उनकी पत्नी भी शामिल हैं।’ कई मामलों में रिश्तेदारों के नामों को भागीदारी एवं निवेश कंपनियों की तह में छिपा दिया गया।
इसमें कहा गया कि वेन की पत्नी झांग बेएली ने सरकारी हीरा कंपनयिों के प्रबंधन के माध्यम से अपने संबंधियों को बीमा, प्रौद्योगिकी एवं रियल एस्टेट उद्यमों में लाखों रूपये का निवेश करने में मदद की।
खबर को खारिज करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह चीन के लिए खिलाफ दुष्प्रचार अभियान है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हांग ली ने इस खबर के बारे में पूछे एक सवाल के जवाब में कहा, ‘कुछ खबरों चीन को बदनाम करती हैं और उनके निहित स्वार्थ होते हैं।’
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