वाशिंगटन:
अमेरिकी चुनाव में आमने-सामने खड़े राष्ट्रपति ओबामा और रिपब्लिकन उम्मीदवार मिट रोमनी के बीच आज तीसरी और आखिरी दौर की बहस हुई।
फ्लोरिडा में हुई इस जोरदार बहस के बाद आ रहे रुझान बता रहे हैं कि यह बहस भी ओबामा के पक्ष में जाती दिख रही है, हालांकि फर्क ज्यादा का नहीं है। बहस के बाद 48 फीसदी दर्शक ओबामा के पक्ष में दिखे तो 40 फीसदी रोमिनी के पक्ष में। इस आखिरी बहस में विदेशनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा खासतौर पर छाया रहा।
सीरिया के मुद्दे पर ओबामा ने जहां एक तरफ बशर-अल-असद को हटाने के लिए प्रयास जारी रखने की बात की वहीं इस बात पर भी जोर दिया कि सीरिया के लोग खुद अपने भविष्य के बारे में फैसले लेंगे। अमेरिका को वहां सैन्य दखल नहीं देना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ रोमनी ने कहा कि सीरिया के मुद्दे को एक चुनौती के तौर पर लेना चाहिए, क्योंकि सीरिया और ईरान दोस्त हैं। ऐसे में बशर-अल-असद को हटाकर वहां विद्रोहियों को सैन्यतौर पर मदद देने की जरूरत है। अमेरिका को यहां लीड रोल निभाना चाहिए। दूसरी तरफ ईरान के मुद्दे पर दोनों ने इस बात को माना कि ईरान पर हमला अमेरिका के लिए आखिरी विकल्प होना चाहिए।
सीरिया का मुद्दा अमेरिकी विदेशनीति में छाया हुआ है। एक साल से सीरिया में राष्ट्रपति पर दबाव बढ़ाकर उन्हें सत्ता से हटाने की कोशिशें चल रही हैं लेकिन ये कोशिशें सिर नहीं चढ़ पाई हैं। रोमनी ने एक नया नजरिया पेश करते हुए कहा कि सीरिया के जरिये ईरान पर भी दबाव बनाया जा सकता है।
ईरान को न्यूक्लियर तकनीक हासिल करने से रोकने की जरूरत पर ओबामा और रोमनी दोनों ने जोर दिया। अमेरिका का चीन सबसे बड़ा व्यापारी साझेदार है। ओबामा ने कहा कि चीन एक प्रतिद्वंदी होने के साथ-साथ एक सहयोगी भी है, लेकिन यह जरूरी है जो नियम दूसरों के लिए लागू होते हैं वह चीन को भी मानने होंगे।
दूसरी तरफ रोमनी ने कहा कि अमेरिका के चीन के साथ ऐसे कारोबारी संबंध होने चाहिए, जिससे अमेरिका को फायदा हो।
फ्लोरिडा में हुई इस जोरदार बहस के बाद आ रहे रुझान बता रहे हैं कि यह बहस भी ओबामा के पक्ष में जाती दिख रही है, हालांकि फर्क ज्यादा का नहीं है। बहस के बाद 48 फीसदी दर्शक ओबामा के पक्ष में दिखे तो 40 फीसदी रोमिनी के पक्ष में। इस आखिरी बहस में विदेशनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा खासतौर पर छाया रहा।
सीरिया के मुद्दे पर ओबामा ने जहां एक तरफ बशर-अल-असद को हटाने के लिए प्रयास जारी रखने की बात की वहीं इस बात पर भी जोर दिया कि सीरिया के लोग खुद अपने भविष्य के बारे में फैसले लेंगे। अमेरिका को वहां सैन्य दखल नहीं देना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ रोमनी ने कहा कि सीरिया के मुद्दे को एक चुनौती के तौर पर लेना चाहिए, क्योंकि सीरिया और ईरान दोस्त हैं। ऐसे में बशर-अल-असद को हटाकर वहां विद्रोहियों को सैन्यतौर पर मदद देने की जरूरत है। अमेरिका को यहां लीड रोल निभाना चाहिए। दूसरी तरफ ईरान के मुद्दे पर दोनों ने इस बात को माना कि ईरान पर हमला अमेरिका के लिए आखिरी विकल्प होना चाहिए।
सीरिया का मुद्दा अमेरिकी विदेशनीति में छाया हुआ है। एक साल से सीरिया में राष्ट्रपति पर दबाव बढ़ाकर उन्हें सत्ता से हटाने की कोशिशें चल रही हैं लेकिन ये कोशिशें सिर नहीं चढ़ पाई हैं। रोमनी ने एक नया नजरिया पेश करते हुए कहा कि सीरिया के जरिये ईरान पर भी दबाव बनाया जा सकता है।
ईरान को न्यूक्लियर तकनीक हासिल करने से रोकने की जरूरत पर ओबामा और रोमनी दोनों ने जोर दिया। अमेरिका का चीन सबसे बड़ा व्यापारी साझेदार है। ओबामा ने कहा कि चीन एक प्रतिद्वंदी होने के साथ-साथ एक सहयोगी भी है, लेकिन यह जरूरी है जो नियम दूसरों के लिए लागू होते हैं वह चीन को भी मानने होंगे।
दूसरी तरफ रोमनी ने कहा कि अमेरिका के चीन के साथ ऐसे कारोबारी संबंध होने चाहिए, जिससे अमेरिका को फायदा हो।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं