Bangladesh Protest: क्यों जल रहा बांग्लादेश, जानें.
नई दिल्ली:
Bangladesh Protest: हिंसा की आग में धधक रहे बांग्लादेश की स्थिति इतनी भायवह हो गई है कि सरकार को कर्फ्यू लगाने का फैसला करना पड़ा. वहीं अब चप्पे-चप्पे पर सेना लगा दी गई है, ताकि प्रदर्शनकारियों को कंट्रोल किया जा सके.
- क्यों धधक रहा बांग्लादेश: बांग्लादेश इन दिनों हिंसा की आग में जल रहा है. जिन छात्रों के हाथों में किताब और कलम होनी चाहिए उनके हाथों में पत्थर और जुबान पर सरकार विरोधी नारे नजर आ रहे हैं. सरकारी नौकरियों में आरक्षण का मुद्दा इन दिनों बहुत ही गर्म है. छात्रों के इस विरोध प्रदर्शन ने उग्र रूप ले लिया है. इस हिंसक आंदोलन में अब तक 105 से ज्यादा लोगों की जानें जा चुकी हैं.
- शेख हसीना सरकार ने उठाए क्या कदम: हालात इतने खराब हैं कि हिंसक विरोध प्रदर्शन पर काबू पाने के लिए शेख हसीना सरकार ने देशव्यापी कर्फ्यू का ऐलान कर दिया है. साथ ही सेना को भी सड़क पर उतार दिया गया है. राजधानी ढाका में तो इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. देश के शिक्षण संस्थानों पर ताले लग गए हैं. छात्र अपने घरों को वापस लौट गए हैं.
- बांग्लादेश में क्यों भड़की हिंसा: साल 1972 में बांग्लादेश सरकार ने स्वतंत्रता सैनानियों के वंशजों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया था. आज इसी कोटा सिस्टम का विरोध छात्र कर रहे हैं. पिछले महीने यह विरोध प्रदर्शन हिंसक नहीं था. लेकिन बड़ी संख्या में लोगों के इसमें शामिल होने के बाद हिंसा भड़क उठी है. सोमवार को ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों और पुलिस के बीच झड़प हो गई. जिसमें बड़ी संख्या में लोग घायल हो गए थे.
- बांग्लादेश का कोटा सिस्टम क्या है: 1972 में लागू किए गए आरक्षण सिस्टम को सरकार ने साल 2018 में खत्म कर दिया था. लेकिन पिछले महीने ही हाई कोर्ट ने इस कोटा सिस्टम को फिर से बहाल कर दिया, जिसकी वजह से छात्रों में उबाल है. हालांकि शेख हसीना सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश को निलंबित कर दिया है. इस पर अब 7 अगस्त को सुनवाई होनी है.
- प्रदर्शनकारियों के भड़कने की वजह: बांग्लादेश के प्रदर्शनकारी सरकार पर अपनी मांगों को पूरा करने का दबाव डाल रहे थे. लेकिन जब शेख हसीना ने अदालती कार्यवाही का हवाला देते हुए उनकी बात मानने से इनकार कर दिया तो ये विरोध और भी भड़क गया. प्रदर्शनकारियों ने वहां के सरकारी न्यूज चैनल के ऑफिस में आग लगा दी और काफी हंगामा किया.
- क्या है आरक्षण सिस्टम: वर्तमान आरक्षण सिस्टम के तहत बांग्लादेश में 56 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित हैं, जिनमें से 30 प्रतिशत 1971 के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए, 10 प्रतिशत पिछड़े प्रशासनिक जिलों, 10 प्रतिशत महिलाओं, 5 प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यक समूहों और 1 प्रतिशत नौकरियां दिव्यांगों के लिए आरक्षित हैं. लेकिन यहां के छात्र स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को मिलने वाले आरक्षण के खिलाफ हैं.
- प्रदर्शनकारियों की मांगें: प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वह दिव्यांगों और अल्पसंख्यकों को मिलेन वाले आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं. लेकिन स्वतंत्रता सैनानियों के वंशजों को मिलने वाला 30 प्रतिशत आरक्षण खत्म होना चाहिए. हालांकि सरकार आरक्षण सिस्टम का बचाव करते हुए कह रही है कि आजादी में योगदान देने वालों को सर्वोच्च सम्मान मिलना चाहिए.
- जानें भारत सरकार का रुख: भारत सरकार ने शुक्रवार को बांग्लादेश में जारी छात्रों के विरोध-प्रदर्शन को ढाका का 'आंतरिक' मामला करार दिया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि वह वहां रह रहे 15,000 भारतीयों की सुरक्षा को लेकर स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए बताया कि बांग्लादेश में रह रहे 8,500 छात्रों सहित 15,000 भारतीय सुरक्षित हैं. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग वहां रह रहे भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में है. उन्होंने बताया कि बांग्लादेश से शुक्रवार रात आठ बजे तक 245 भारतीय सुरक्षित भारत लौट आए, जिसमें से 125 छात्र हैं.
- UN की अपील: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस के प्रवक्ता ने कहा कि गुतारेस बांग्लादेश के घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहे हैं. वह वहां जारी हिंसा से बेहद चिंतित हैं. स्टीफन दुजारिक ने गुरुवार को नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हम ढाका और बांग्लादेश के अन्य स्थानों पर घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं साथ ही सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील करते हैं." UN प्रमुख ने बांग्लादेश सरकार से बातचीत के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने की अपील की, साथ ही गतिरोध दूर करने के लिए प्रदर्शनकारियों से बातचीत में शामिल होने की अपील भी की. उन्होंने कहा, हिंसा कोई समाधान नहीं है.
- हिंसा के बीच पलायन: बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच भारत, नेपाल और भूटान के 360 से अधिक नागरिक मेघालय पहुंचे हैं, जिससे राज्य में शरण लेने वालों की संख्या 670 से अधिक हो गई है, अधिकारियों ने यह जानकारी दी. गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को 363 लोग दावकी एकीकृत जांच चौकी के जरिये मेघालय पहुंचे, जिनमें 204 भारतीय, 158 नेपाली और एक भूटानी नागरिक शामिल है.