Bangladesh Present Situation : बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश ओबैदुल हसन ने छात्रों के भारी विरोध प्रदर्शन के बाद आज इस्तीफा दे दिया. प्रदर्शनकारियों के अल्टीमेटम के बाद ओबैदुल हसन "सैद्धांतिक रूप से" इस्तीफा देने पर सहमत हुए. उन्हें पिछले साल ही शेख हसीना ने नियुक्त किया था. उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के वफादार के रूप में देखा जाता है. रिपोर्टों से पता चला कि मुख्य न्यायाधीश अपने इस्तीफे की घोषणा करने से पहले परिसर से भाग गए. शेख हसीना के जाने के बाद से अब तक बांग्लादेश के कई शीर्ष अधिकारियों को कार्यालय से बाहर कर दिया गया है, जिनमें राष्ट्रीय पुलिस प्रमुख और केंद्रीय बैंक के गवर्नर भी शामिल हैं. पिछले साल नियुक्त किए गए ओबैदुल हसन ने पहले युद्ध अपराध न्यायाधिकरण मामले की सुनवाई की थी. इसी मामले में शेख हसीना के विरोधियों को फांसी देने का आदेश दिया गया था. इसकी बहुत आलोचना हुई थी और तभी से वह शेख हसीना के विरोधियों के निशाने पर थे. यूनुस की सरकार में शामिल छात्र नेता आसिफ नजरूल ने संवाददाताओं से कहा कि किसी को भी ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जो छात्रों और लोगों के बड़े पैमाने पर किए विद्रोह को नुकसान पहुंचाए.
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क्यों इस्तीफे को हुए मजबूर?
प्रधान न्यायाधीश हसन ने उच्चतम न्यायालय के दोनों डिविजन के सभी न्यायाधीशों के साथ पूर्ण न्यायालय की बैठक बुलाई थी. हालांकि, प्रदर्शनकारी छात्रों ने पूर्ण न्यायालय की बैठक बुलाने को ‘‘न्यायिक तख्तापलट'' के रूप में देखा. उन्हें लगा कि कहीं हसन नवगठित अंतरिम सरकार के खिलाफ कोई फैसला न सुना दें. नवगठित अंतरिम सरकार से परामर्श किए बिना मुख्य न्यायाधीश द्वारा बुलाई गई एक पूर्ण-अदालत बैठक की जानकारी मिलने पर बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. छात्र प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि अदालत के न्यायाधीश साजिश का हिस्सा हैं. तनाव बढ़ने पर निर्धारित पूर्ण-अदालत बैठक अचानक रद्द कर दी गई. प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट को घेरना शुरू कर दिया और मुख्य न्यायाधीश को पद छोड़ने के लिए एक घंटे का अल्टीमेटम दिया. ‘डेली स्टार' की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधान न्यायाधीश ने उच्चतम न्यायालय परिसर में पत्रकारों को बताया कि उन्होंने बदलती परिस्थितियों के बीच देश भर में उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय और निचली अदालतों के न्यायाधीशों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस्तीफा देने का फैसला किया.
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हिंदू और पुलिस निशाने पर
शेख हसीना के पतन के तुरंत बाद से अब तक हिंदुओं के व्यवसायों और घरों पर हमला किया जा रहा है. हिंदुओं को मुस्लिम-बहुल बांग्लादेश में कुछ लोग शेख हसीना समर्थक के रूप में देखते हैं. बांग्लादेशी हिंदू देश की आबादी का लगभग आठ प्रतिशत हिस्सा हैं. तब से सैकड़ों लोग भारत की सीमा पर आ चुके हैं और इसे पार करने की कोशिश कर रहे हैं. हसीना के जाने के बाद हुई अशांति में 450 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें प्रदर्शनों पर रोक के दौरान मारे गए दर्जनों पुलिस अधिकारी भी शामिल थे. पुलिस विरोध प्रदर्शन करने वालों की दुश्मन बन गई है, वहीं फौज चहेती. यही कारण है कि पुलिस पर भी बांग्लादेश में हमले हो रहे हैं. यही कारण था कि पुलिस यूनियन ने मंगलवार को हड़ताल की घोषणा करनी पड़ी. पुलिस ने हड़ताल की घोषणा करते हुए कहा था कि उसके सदस्य तब तक काम पर नहीं लौटेंगे, जब तक उनकी सुरक्षा का आश्वासन नहीं दिया जाता. हालांकि, आज आधे से अधिक पुलिस स्टेशन फिर से खुल गए हैं. छात्र नेता उमर फारुक ने बताया कि हमें खुशी है कि पुलिस अपनी ड्यूटी पर लौट रही है. कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस की जरूरत है, लेकिन यह भी हमारे लिए चिंता का विषय है कि क्या पुलिस लोगों का विश्वास हासिल कर सकती है?
हिंदुओं की बेबसी
बांग्लादेश हिंदू-बौद्ध-ईसाई ओइक्या परिषद ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के 5 अगस्त को इस्तीफे के बाद से बांग्लादेश के 52 जिलों में अल्पसंख्यक समुदायों के उत्पीड़न की 205 घटनाएं सामने आईं हैं. इन घटनाओं की संख्या रिपोर्ट की गई संख्या से कहीं अधिक होने की आशंका है. यूनिटी काउंसिल के अध्यक्ष निर्मल रोसारियो ने 'द डेली स्टार' के हवाले से कहा, "हम सुरक्षा चाहते हैं क्योंकि हमारा जीवन विनाशकारी स्थिति में है. हम रात में जागकर अपने घरों और धार्मिक स्थलों की रखवाली कर रहे हैं. मैंने अपने जीवन में ऐसी घटनाएं कभी नहीं देखी हैं. हम मांग करते हैं कि सरकार देश में सांप्रदायिक सद्भाव बहाल करे.'' वहीं शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद इस सप्ताह राजधानी ढाका के उत्तर की जेलों से 200 से अधिक कैदी भाग गए हैं.
खुश करने में लगे अंतरिम नेता
इस बीच, बांग्लादेश के अंतरिम नेता मुहम्मद यूनुस ने शनिवार को पुलिस की गोली से मारे गए एक छात्र की रोती हुई मां को गले लगाने के बाद धार्मिक एकता की अपील की. यूनुस ने उत्तरी शहर रंगपुर की यात्रा के दौरान पिछले महीने की अशांति के दौरान मारे गए पहले छात्र अबू सईद की याद में शांति का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर भेदभाव न करें. अबू सईद अब हर घर में है. जिस तरह वह खड़े रहे, हमें भी वैसा ही करना होगा. अबू सईद के बांग्लादेश में कोई मतभेद नहीं हैं. आपको बता दें कि 16 जुलाई को हसीना सरकार के खिलाफ छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शन पर पुलिस की कार्रवाई की शुरुआत में 25 वर्षीय सईद को पुलिस ने बहुत करीब से गोली मार दी थी. यूनुस अपने कैबिनेट के सदस्यों के साथ सईद को सम्मान देने आए थे. नाहिद इस्लाम भी साथ में थे.
शेख हसीना को शरण देने से नाराजगी
शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी की कट्टर प्रतिद्वंद्वी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने कहा कि भारत में रहने का पूर्व प्रधानमंत्री का फैसला पूरी तरह से उनका और भारतीय अधिकारियों का है, लेकिन उन्होंने आगाह किया कि बांग्लादेश के लोग इसे अच्छे नजरिए से नहीं देखेंगे. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के वरिष्ठ नेता और पार्टी के प्रवक्ता अमीर खसरू महमूद चौधरी ने कहा कि अभी, वह (हसीना) बांग्लादेश में हत्याओं और लोगों को जबरन गायब करने से लेकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार जैसे कई अपराधों में सबसे वांछित व्यक्ति हैं. खुद हसीना और भारत सरकार का निर्णय है कि उन्हें पड़ोसी देश में रहना चाहिए या नहीं. बीएनपी को इस मुद्दे पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है.
अमेरिका ने पीठ थपथपाई
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के अचानक इस्तीफा देने और देश छोड़कर चले जाने के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ लेने का स्वागत किया है. ब्लिंकन ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘अमेरिका शांति और संयम के यूनुस के आह्वान का समर्थन करता है तथा बांग्लादेश के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है, क्योंकि वह बांग्लादेश में लोगों के लिए एक लोकतांत्रिक और समृद्ध भविष्य की कामना करता है. मैं बांग्लादेश में डॉ. मुहम्मद यूनुस के अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ लेने का स्वागत करता हूं.''
चीन भी खुश
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की स्थापना पर संवाददाता के सवाल के जवाब में बताया कि चीन ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की स्थापना पर ध्यान दिया है. चीन इसका स्वागत करता है. उन्होंने कहा कि चीन हमेशा दूसरे देश के घरेलू मामले में हस्तक्षेप नहीं करने के सिद्धांत का पालन कर बांग्लादेश की स्वतंत्रता, प्रभुसत्ता, प्रादेशिक अखंडता और बांग्लादेश की जनता द्वारा चुने गए विकास के रास्ते का सम्मान करता है. हम हमेशा बांग्लादेश की समग्र जनता के प्रति अच्छे पड़ोसी जैसी मैत्रीपूर्ण नीति रखते हैं. प्रवक्ता ने कहा कि चीन और बांग्लादेश के बीच परंपरागत मित्रता का लंबा इतिहास है. चीन द्विपक्षीय संबंधों के विकास को महत्व देता है और बांग्लादेश के साथ समान कोशिश कर दोनों देशों के विभिन्न क्षेत्रों का आदान-प्रदान व सहयोग मजबूत करने और चीन-बांग्लादेश सर्वांगीण रणनीतिक सहयोगी साझेदारी आगे बढ़ाने को तैयार है.
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