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This Article is From Dec 22, 2016

बान ने भारत एवं पाकिस्तान से वार्ता के जरिए मतभेद सुलझाने की अपील की

बान ने भारत एवं पाकिस्तान से वार्ता के जरिए मतभेद सुलझाने की अपील की
बान की मून (फाइल फोटो)
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र के निवर्तमान प्रमुख बान की मून ने भारत एवं पाकिस्तान के बीच हालिया महीनों में नियंत्रण रेखा पर तनाव बढ़ने पर चिंता व्यक्त करते हुए दोनों देशों से वार्ता के जरिए आपसी मतभेद सुलझाने एवं संयम बरतने की अपील की है.

महासचिव के उप प्रवक्ता फरहान हक ने भारत एवं पाकिस्तान के बीच तनाव संबंधी एक प्रश्न के उत्तर में यहां संवाददाताओं से कहा कि कश्मीर में हालात पर बान की मून का ‘‘बहुत एक सा रख’’ रहा है.

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के रूप में बान की मून का 10 साल का कार्यकाल इस महीने समाप्त होगा.

हक ने कहा, मैं केवल यह कहना चाहता हूं कि महासचिव का एक सा रुख रहा है. हमने पिछले महीने भी यही बात कही थी कि हम नियंत्रण रेखा पर तनाव बढ़ाने को लेकर चिंतित हैं. वह भारत सरकार एवं पाकिस्तान सरकार से संयम बरतने की अपील करते हैं और वार्ता के जरिए शांतिपूर्ण तरीके से मतभेद सुलझाने के प्रयासों को जारी रखने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करते हैं.

पाकिस्तानी संवाददाता ने जब हक से इस बारे में प्रश्न किया कि महासचिव भारत पाकिस्तान संघर्ष के बारे में बात करने के लिए अपने कार्यकाल में भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर बात करने को लेकर ‘‘बहुत अनिच्छुक’’ रहे हैं, तो उन्होंने :हक ने: इस बात पर असहमति व्यक्त की.

हक ने कहा, मैं इस बात पर आप से असहमत हूं. हमने विशेषकर कश्मीर पर और भारत एवं पाकिस्तान के बीच हालात समेत कई मामलों पर बयान दिए हैं. हमने संवाददाताओं को बयान एवं नोट दिए हैं. पिछला बयान कुछ ही सप्ताह पहले दिया गया था इसलिए मैं आपको उन पर नजर डालने की सलाह दूंगा. बान ने पिछले महीने जारी बयान में कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर हालात ‘‘खराब होने’’ के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की थी तथा हालात और खराब होने एवं हताहतों की संख्या बढ़ने से रोकने के लिए शांत एवं स्थिरता की पुन: स्थापना को प्राथमिकता देने की सभी संबद्ध पक्षों से अपील की थी.

बान ने कहा कि यदि ‘‘दोनों पक्ष राजी होते हैं’’ तो उनका कार्यालय भारत एवं पाकिस्तान के बीच मध्यस्थ बनने के लिए तैयार है.

पाकिस्तान साल भर कश्मीर मामले को संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न मंचों पर उठाता रहा है लेकिन इस मामले का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की उनकी कोशिशों को संयुक्त राष्ट्र के शेष 191 सदस्य देशों ने तवज्जो नहीं दी.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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