प्रतीकात्मक फोटो.
ढाका:
बलूचिस्तान में लोगों पर हो रहे अत्याचारों को 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तान सेना द्वारा किए गए बंगालियों के नरसंहार के बराबर बताते हुए स्व-निर्वासित बलूच नेता ने मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाने तथा अशांत क्षेत्र को ‘‘पाकिस्तानी कब्जे’’ से मुक्त कराने के लिए बांग्लादेश से मदद मांगी है.
बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम का हवाला देते हुए, मीर सुलेमान दाउद जान अहमदजई ने कल यहां कहा, ‘‘वे (पाकिस्तान) वैसा ही अत्याचार कर रहे हैं, जैसा उन्होंने आपके साथ किया था.’’ मुक्ति संग्राम के दौरान करीब तीस लाख बंगालियों की निर्मम हत्या की गई थी.
स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व करने वाले बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान प्रधानमंत्री (शेख हसीना) का परिवार इसी संकट से और इससे बुरे संकट से गुजरा है.’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने उनके देश पर मार्च 1948 में कब्जा किया और तभी से जनांदोलन को दबाने के लिए अत्याचार किए जा रहे हैं.
अहमदजई ने कहा कि बलूच आशा कर रहे हैं कि बांग्लादेश ‘‘उनके हालात के राजनयिक पहलू को समझेगा और सहयोग’’ करेगा, ताकि ढाका इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठा सके.
‘बीडीन्यूज डॉट 24’ की खबर के अनुसार, बलूच नेता ने कहा, ‘‘हम, बलूचिस्तान, संयुक्त राष्ट्र में नहीं बोल सकते हैं, क्योंकि हम सदस्य नहीं हैं. हम चाहते हैं कि सदस्य हमारी ओर से बोलें.’’ बलूचिस्तान में वे रोजाना अत्याचार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में ‘‘हत्या करो, और फेंको’’ की नीति अपनाई हुई है.
अहमदजई ने कहा, ‘‘25,000 से ज्यादा लोग लापता हैं और 10 लाख से ज्यादा विस्थापित हैं. पहले लोग लापता होते हैं, और फिर जंगलों में उनके शव मिलते हैं.. अत्याचार, प्रताड़ना के निशान से भरे और गोलियों से छलनी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारी एकमात्र योजना बलूचिस्तान के लिए स्वतंत्रता पाना है. हम आशान्वित हैं.’’ उन्होंने पाकिस्तान पर आरोप लगाया, ‘‘वह अपने सैन्य खुफिया विभाग की मदद से मनीला से लेकर कैलिफोर्निया तक आतंकवाद फैला रहा है.’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम का हवाला देते हुए, मीर सुलेमान दाउद जान अहमदजई ने कल यहां कहा, ‘‘वे (पाकिस्तान) वैसा ही अत्याचार कर रहे हैं, जैसा उन्होंने आपके साथ किया था.’’ मुक्ति संग्राम के दौरान करीब तीस लाख बंगालियों की निर्मम हत्या की गई थी.
स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व करने वाले बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान प्रधानमंत्री (शेख हसीना) का परिवार इसी संकट से और इससे बुरे संकट से गुजरा है.’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने उनके देश पर मार्च 1948 में कब्जा किया और तभी से जनांदोलन को दबाने के लिए अत्याचार किए जा रहे हैं.
अहमदजई ने कहा कि बलूच आशा कर रहे हैं कि बांग्लादेश ‘‘उनके हालात के राजनयिक पहलू को समझेगा और सहयोग’’ करेगा, ताकि ढाका इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठा सके.
‘बीडीन्यूज डॉट 24’ की खबर के अनुसार, बलूच नेता ने कहा, ‘‘हम, बलूचिस्तान, संयुक्त राष्ट्र में नहीं बोल सकते हैं, क्योंकि हम सदस्य नहीं हैं. हम चाहते हैं कि सदस्य हमारी ओर से बोलें.’’ बलूचिस्तान में वे रोजाना अत्याचार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में ‘‘हत्या करो, और फेंको’’ की नीति अपनाई हुई है.
अहमदजई ने कहा, ‘‘25,000 से ज्यादा लोग लापता हैं और 10 लाख से ज्यादा विस्थापित हैं. पहले लोग लापता होते हैं, और फिर जंगलों में उनके शव मिलते हैं.. अत्याचार, प्रताड़ना के निशान से भरे और गोलियों से छलनी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारी एकमात्र योजना बलूचिस्तान के लिए स्वतंत्रता पाना है. हम आशान्वित हैं.’’ उन्होंने पाकिस्तान पर आरोप लगाया, ‘‘वह अपने सैन्य खुफिया विभाग की मदद से मनीला से लेकर कैलिफोर्निया तक आतंकवाद फैला रहा है.’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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