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जिसे हिटलर न मार पाया उसे ऑस्ट्रेलिया में आतंकी बाप-बेटे ने मारा डाला, जान गंवाने वालों में 10 साल की बच्ची भी

Australia Terrorist Attack: ऑस्ट्रेलिया में बोंडी बीच पर दो हमलावरों ने मिलकर उत्सव मना रहे यहूदियों पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर कम के कम 16 लोगों की जान ले ली. 42 लोगों घायल हैं और हॉस्पिटल में भर्ती हैं.

जिसे हिटलर न मार पाया उसे ऑस्ट्रेलिया में आतंकी बाप-बेटे ने मारा डाला, जान गंवाने वालों में 10 साल की बच्ची भी
Australia Terrorist Attack: ऑस्ट्रेलिया में बोंडी बीच पर आतंकी हमला
  • ऑस्ट्रेलिया के बोंडी बीच पर हुए हमले में दो आतंकी बाप-बेटे ने 16 लोगों की हत्या की और 42 घायल हुए
  • हमले में सबसे कम उम्र की मृतका दस साल की बच्ची थी, जबकि सबसे बुजुर्ग मृतक की उम्र 87 वर्ष थी
  • मृतकों में नाजी नरसंहार से बचकर ऑस्ट्रेलिया आए यहूदी अलेक्जेंडर क्लेटमैन भी शामिल थे
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एक बाप अपने बेटे को क्या सीखाता है. अमूमन इसका जवाब होगा अच्छी बात, अच्छा इंसान बनने सी सीख... लेकिन अगर बाप-बेटा दोनों आंतकी बन जाते हैं, मासूम लोगों के उपर गोलियां बरसाते हैं, तो इसका मतलब है कि परवरिश में कहीं कमी रह गई. ऑस्ट्रेलिया में सिडनी में कुछ ऐसा ही हुआ है. यहां बोंडी बीच पर दो हमलावरों ने मिलकर उत्सव मना रहे यहूदियों पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर कम के कम 16 लोगों की जान ले ली. 42 लोगों घायल हैं और हॉस्पिटल में भर्ती हैं. अब जानकारी मिली है कि ये दोनों हमलावर बाप-बेटे थे. 

पुलिस ने कहा कि 50 साल के आतंकी पिता के पास छह लाइसेंसी हथियार थे, जिनके बारे में पुलिस का मानना ​​​​है कि उनका इस्तेमाल शूटिंग में किया गया था. बाप को जवाबी हमले में मार दिया गया है. जबकि दूसरा आतंकी उसका 24 साल का बेटा था, जिसे पुलिसिया कार्रवाई में गोली लगी है और उसे गंभीर हालत में हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है.

मृतकों में 87 साल के बुजुर्ग से 10 साल की बच्ची तक शामिल

बोंडी बीच ऑस्ट्रेलिया का सबसे प्रसिद्ध सर्फ समुद्र तट है जहां रविवार को हुई गोलीबारी ने इस पर्यटक स्थल पर हमले ने भीड़ में दहशत की लहर दौड़ा दी. पुलिस ने बताया कि सबसे कम उम्र की मृतका केवल 10 साल की मासूम लड़की थी जिसकी बच्चों के अस्पताल में मौत हो गई. सबसे बुजुर्ग मृतक 87 वर्ष के थे. दिल दहलाने वाली बात है कि जिस यहूदी शख्स को हिटलर की नाजी सेना नहीं मार पाई, उसे आतंकी बाप-बेटे की इस जोड़ी ने मार डाला.

मारे गए लोगों में अलेक्जेंडर क्लेटमैन भी शामिल थे. उनकी पत्नी लारिसा क्लेटमैन ने सेंट विंसेंट हॉस्पिटल के बाहर मीडिया से कहा, "हम खड़े थे और अचानक 'बूम बूम' हुआ, और हर कोई गिर गया. इस समय वह मेरे पीछे थे और एक पल में वो मेरे करीब आ गए. उन्होंने अपने शरीर को ऊपर धकेल दिया क्योंकि वह मेरे पास रहना चाहते थे." यह कपल नाजी नरसंहार (हॉलोकॉस्ट) से बचे थे. 

बचपन में, लारिसा और अलेक्जेंडर दोनों को आतंक का सामना करना पड़ा. मरने वाले अलेक्जेंडर की यादें तो खास तौर पर कष्टदायक हैं. नाजी नरसंहार के वक्त अलेक्जेंडर साइबेरिया में थे और वहां इतनी भयानक स्थितियां थी, जिसमें उन्होंने अपनी मां और छोटे भाई के साथ जीवित रहने के लिए संघर्ष किया. बाद में वो यूक्रेन गए और वहां से ऑस्ट्रेलिया का रुख किया.

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